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पुरुष बांझपन और परिवार में कैंसर के खतरे के बीच एक चौंकाने वाला संबंध सामने आया है. हाल ही में हुए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया है कि जिन पुरुषों को बच्चे पैदा करने में परेशानी होती है, उनके परिवारों में कुछ खास तरह के कैंसर होने का खतरा ज्यादा हो सकता है. ये कैंसर हड्डी और जोड़ों, कोलन और अंडकोष से जुड़े हो सकते हैं.
अभी तक पता था कि बांझपन से जूझ रहे पुरुषों को खुद कैंसर, दिल की बीमारी और ऑटोइम्यून बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है. लेकिन नई स्टडी में शोधकर्ताओं ने यह जानने की कोशिश की कि क्या उनके परिवारों को भी यही खतरा होता है? अध्ययन के नतीजे कैंसर के खतरे को पर्सनल रूप से जांचने में मददगार हो सकते हैं, जिससे कैंसर की रोकथाम में सफलता मिल सकती है. साथ ही, इससे बांझपन का सामना कर रहे पुरुषों के परिवारों और डॉक्टरों के बीच और बातचीत को बढ़ावा मिल सकता है.
अल्गोरिथम से कैंसर के खतरे का आकलन
अध्ययन में पाया गया कि बांझपन से जूझ रहे पुरुषों के परिवारों में हड्डी और जोड़ों, कोमल टिशू, कोलन और अंडकोष के कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा पाया गया. शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए यूटा पॉपुलेशन डेटाबेस का इस्तेमाल किया, जिसमें जेनेटिक और पब्लिक हेल्थ से जुड़ी जानकारी मौजूद है.
अध्ययन में पीड़ित के परिजनों को किया शामिल
अध्ययनकर्ताओं ने बांझपन से पीड़ित पुरुषों के माता-पिता, भाई-बहन, बच्चों के साथ-साथ चाचा-चाची, मामा-मामी और चचेरे भाई-बहनों को भी शामिल किया. शोधकर्ताओं का कहना है कि चूंकि परिवार के सदस्यों में जेनेटिक्स, वातावरण और लाइफस्टाइल एक जैसी होती है, इसलिए उनमें कैंसर के खतरे को प्रभावित करने वाले फैक्टर की पहचान करना आसान हो जाता है.
कैंसर के खतरे को कम करने की राह
अध्ययन की मुख्य शोधकर्ता जोएमी रामसे का कहना है कि एक बार परिवार में कैंसर के सामान्य रिस्क का आकलन कर लेने के बाद, कैंसर के कारणों का और सटीक मूल्यांकन किया जा सकता है. शोधकर्ताओं ने कैंसर के विभिन्न प्रकारों का अध्ययन किया और करीब 13 विशेष पैटर्न की पहचान कर एक एल्गोरिथम विकसित किया. इन पैटर्नों को अलग-अलग कैंसरों को देखने के बजाय, पूरे परिवार में एक जैसे पाए जाने वाले कई कैंसर के खतरों को देखकर समझा गया. रामसे कहते हैं कि कैंसर और बांझपन दोनों ही गंभीर बीमारियां हैं. यह तरीका परिवारों के समान ग्रुप बनाने में मदद करता है, जिससे यह पता लगाना आसान हो जाता है कि कोई परिवार कुछ बीमारियों के लिए दूसरों की तुलना में ज्यादा खतरे में क्यों है.
अभी और रिसर्च की जरूरत
जोएमी रामसे ने आगे कहा कि हालांकि पुरुष बांझपन और कैंसर के खतरे के बीच के संबंध को पूरी तरह से समझा नहीं गया है, लेकिन परिवारों के साथ इन मुद्दों पर बातचीत करना और डॉक्टरों से सलाह लेना जरूरी है. कैंसर के कारणों को समझने के लिए भविष्य में और शोध की आवश्यकता है. इससे इलाज, जांच और रोकथाम के ज्यादा पर्सनल तरीके विकसित किए जा सकते हैं.