लोकसभा चुनाव में मायावती जरूरी या कांग्रेस की मजबूरी? क्या कहते हैं UP के समीकरण

Is Mayawati Necessary or Compulsion of Congress in Lok Sabha Elections? What is the equation of UP
Is Mayawati Necessary or Compulsion of Congress in Lok Sabha Elections? What is the equation of UP
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Lok Sabha Election 2024 UP: एक ओर बीजेपी का विजय रथ यानी पीएम मोदी (PM Modi) की जीत की हैट्रिक रोकने के लिए तमाम विपक्षी दल मजबूत गठबंधन बनाने की तैयारी में जुटे हैं. दूसरी ओर बीएसपी (BSP) सुप्रीमो और यूपी की पूर्व CM मायावती (Mayawati) पार्टी का खोया जनाधार पाने के लिए जी जान से जुटी है. इस बीच यूपी में नए समीकरण बनते दिख रहे हैं. राजनीति में कोई किसी का स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता. इसलिए इन अटकलों पर चर्चा तेज हो गई है.

यूपी में कांग्रेस से गठबंधन करेगी बीएसपी?
देश ने पिछले कुछ सालों में सत्ता के लिए अजीबोगरीब और बेमेल राजनीतिक गठबंधन देखे हैं. ऐसे में अबतक ‘एकला चलो’ की नीति पर बढ़ने को तैयार दिख रहीं मायावती की पार्टी बीएसपी के कांग्रेस से गठबंधन बोने के कयास लगने शुरू हो गए हैं. दरअसल पिछले हफ्ते बीएसपी ने दो पन्नों का प्रेस नोट जारी किया था. जिसमें बीजेपी (BJP) और समाजवादी पार्टी (SP) पर तो सीधा हमला बोला गया था पर कांग्रेस पर कोई टिप्पणी नहीं की गई अब इसके बाद लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में राजनीतिक पुनर्गठन की अटकलों का दौर शुरू हो गया है. 2004 के लोक सभा चुनाव में बीएसपी ने 19 और 2009 के चुनाव में बीएसपी ने 21 सीटें जीती थीं. उसके बाद 2014 और 2019 में पार्टी का करीब-करीब सफाया हो गया. ऐसे में मायावती का अगला कदम क्या होगा? इसकी चर्चा बड़े जोरशोर से हो रही है.

पहले भी हो चुका है कांग्रेस-बीएसपी का गठबंधन

बीएसपी पर 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ‘बी’ टीम होने के साथ वोटकटवा पार्टी बनने का आरोप लगा था. ऐसे में अपने हालिया नोट में मायावती का बीजेपी और सपा पर हमलावर होना और कांग्रेस के लिए नरम यानी न्यूट्रल होना पॉलिटिकल पंडितों को हैरान कर रहा है. बीएसपी सूत्रों ने कहा कि उसके नेताओं को अपने भाषणों में कांग्रेस के प्रति आक्रामक न होने का निर्देश दिया गया है. इन बातों से लग रहा है कि बीएसपी ने भविष्य के लिए गठबंधन का विकल्प खुला रखा है.

2019 से 2023 तक यूं घूमा समय का पहिया
2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने के बाद बीसपी नेता मायावती ने कांग्रेस के साथ साझेदारी से इनकार कर दिया था. अखिलेश यादव जहां गठबंधन में कांग्रेस को शामिल करने का मन बना चुके थे पर मायावती ने कांग्रेस के लिए दरवाजे बंद कर दिए थे. बीते 10 साल में यूपी की सियासत 360 डिग्री घूम गई है. बीजेपी महाशक्ति बन चुकी है. वोटबैंक के मामले में वो सबसे आगे है. इसलिए 2024 में अल्पसंख्यकों को साधने समेत कई जरूरी चीजों को लेकर कांग्रेस और BSP साथ-साथ आ सकते हैं क्योंकि दोनों को एक दूसरे की जरूरत है.

जानकारों का मानना है कि दोनों इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि मुस्लिम वोटर्स दोनों की ताकत रहे हैं. ये कम्युनिटी तभी उनका साथ देगी जब उन्हें यकीन हो उनका उम्मीदवार बीजेपी को हराने की ताकत रखता है. वरना मुसलमान वोटरों का समाजवादी पार्टी के साथ जाने का खतरा बढ़ जाएगा और ये रिस्क कांग्रेस या फिर बीएसपी कोई भी नहीं लेना चाहेगी.

वहीं अगर कांग्रेस बीएसपी के साथ हाथ मिलाती है, तो मायावती दलित वोट बैंक के साथ मुसलमानों को अपने साथ एकजुट करने की योजना में सफल हो सकती हैं. इसी सिलसिले में अभी दलित नेता चंद्रशेखर के सुर भी बदले बदले नजर आ रहे हैं.

मायावती और बीएसपी की अहमियत
मायावती की पार्टी बीएसपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में लंबे समय से सक्रिय है. ऐसे में कांग्रेस को BSP लॉन्ग टर्म में उन राज्यों में भी फायदा पहुंचा सकती है. ऐसे में ये भी दोनों के हाथ मिलाने की एक वजह हो सकती है. वहीं TOI में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रियंका गांधी और टीम आकाश (मायावती के भतीजे) से बातचीत चल रही है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले चरण में इस बातचीत में सोनिया गांधी और मायावती शामिल हो सकती हैं. इसी रिपोर्ट में कांग्रेस के सूत्रों के हवाले से लिखा गया है कि देश का सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ‘बहनजी के साथ एक समझ विकसित करने में गंभीरता से रुचि रखती है.’