Kabzaa Movie Review : केजीएफ की आ गई याद, लेकिन…

Kabzaa Movie Review: Remembered KGF, but...
Kabzaa Movie Review: Remembered KGF, but...
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इस पीरियड फिल्म की कहानी आजादी से पहले ब्रिटिश कालीन भारत में शुरू होती है। जब एक स्वतंत्रता सेनानी को तिरंगा फहराने के जुर्म में ब्रिटिश हुकूमत द्वारा फांसी दे दी जाती है। उसकी पत्नी अपने दो बेटों को लेकर दूसरे शहर में बस जाती है। उसका बेटा अर्केश्वर (उपेंद्र) बड़ा होकर एयरफोर्स पायलट बन जाता है। अर्केश्वर राजा वीर बहादुर (मुरली शर्मा) की बेटी मधुमती (श्रिया सरन) को बचपन से ही चाहता है। वह पायलट बनकर लौटता है, इसी बीच कुछ ऐसा होता है कि अर्केश्वर का भाई शहर के माफिया डॉन के हाथों मारा जाता है। भाई की मौत का बदला लेने के लिए अर्केश्वर को मजबूरन अंडरवर्ल्ड की खौफनाक दुनिया में उतरना पड़ता है। वह न सिर्फ बड़े माफियाओं का सफाया करके माफिया का सरताज बन जाता है, बल्कि मधुमती से उसके पिता की इच्छा के विरुद्ध शादी भी कर लेता है। इससे खफा वीर बहादुर अर्केश्वर के खिलाफ खतरनाक साजिश रचता है। पूरी कहानी जानने लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

फिल्म कब्जा के राइटर और डायरेक्टर आर चंद्रू ने एक्शन और हिंसक दृश्यों से भरपूर से एक डार्क ड्रामा पीरियड फिल्म बनाई है। इंटरवल से पहले फर्स्ट हाफ में उन्होंने कहानी को स्थापित किया है। वहीं सेकंड हाफ में कहानी अपने असली रंग में आती है। क्लाईमैक्स में कुछ ऐसा होता है कि आप हैरान रह जाते हैं और फिल्म के अगले भाग का इंतजार करने लगते हैं। उपेंद्र ने फिल्म में बढ़िया काम किया है, तो श्रिया सरन भी खूबसूरत लगी हैं। जबकि मुरली शर्मा समेत दूसरे कलाकारों ने अच्छा काम किया है। किच्चा सुदीप का कैमियो स्टाइलिश है, जबकि शिवा राजकुमार का क्लाईमैक्स वाला सीन फिल्म के अगले भाग की कहानी की झलक देता है। फिल्म का एक्शन, बैकग्राउंड स्कोर और सिनेमेटाग्राफी जबर्दस्त हैं। लेकिन स्क्रीनप्ले और कहानी के मामले में फिल्म कमजोर है। खासकर फिल्म के हिंदी डब वर्जन की बात करें, तो हिंदी डायलॉग्स में शुद्ध हिंदी के शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, जो दर्शकों से कनेक्ट नहीं कर पाते। वहीं कई जगह कहानी भी आपको क्लियर नहीं हो पाती। इस फिल्म को देखकर केजीएफ की याद जरूर आती है, लेकिन कहानी में मामले में यह केजीएफ से काफी पीछे रह जाती है।

बीते साल कन्नड़ फिल्मों केजीएफ 2 और कांतारा के हिंदी डब वर्जन की जबर्दस्त सफलता के बाद कन्नड़ फिल्म निर्माताओं में अपनी फिल्मों को हिंदी में रिलीज करने की होड़ लगी हुई है। कन्नड़ सुपरस्टार उपेंद्र के लीड रोल वाली फिल्म कब्जा को पैन इंडिया रिलीज करने की चर्चा पिछले साल से ही थी। इस पीरियड ड्रामा फिल्म का ट्रेलर भी दर्शकों को पसंद आया था। बड़े बजट में बनी इस फिल्म के साथ बॉलिवुड फिल्म निर्माता आनंद पंडित बतौर प्रोड्यूसर जुड़े हैं। हिंदी में करीब 1600 स्क्रीन पर रिलीज हुई इस फिल्म को ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक पहुंचाने के लिए निर्माताओं ने इसकी टिकट सस्ते दामों पर बेचने का फैसला किया है। फिल्म की कहानी कुछ हद तक केजीएफ की याद दिलाती है। वहीं केजीएफ की तर्ज पर ही फिल्म के आखिर में इसके सीक्वल की घोषणा निर्माताओं ने कर दी है। फिल्म में कन्नड़ सुपरस्टार किच्चा सुदीप और शिवा राजकुमार का कैमियो है। शायद उनका पूरा रोल फिल्म के सेकंड पार्ट में दिखेगा। कन्नड़ फिल्मों और स्टार्स के हिंदी दर्शकों के बीच क्रेज का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हिंदी पट्टी में बिना किसी प्रमोशन के रिलीज की गई इस फिल्म को देखने सुबह के शोज में ठीकठाक दर्शक पहुंचे हुए थे।

अगर आपको विशाल सेट्स और लाउड एक्शन वाली साउथ फिल्में पसंद है, तो इस फिल्म को सिनेमाघर में जाकर एन्जॉय कर सकते हैं। वरना इसके ओटीटी पर आने का इंतजार करें।