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बीजेपी ने हेमा मालिनी (Hema Malini) को लगातार तीसरी बार मथुरा लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है. बॉलीवुड की दिग्गज अदाकारा हेमा मालिनी का राजनीतिक जीवन बहुत दिलचस्प रहा है. हेमा मालिनी साल 1999 के आम चुनाव में पहली बार राजनीतिक मंच पर नजर आई थीं. तब गुरदासपुर लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे विनोद खन्ना (Vinod Khanna) के लिए उन्होंने प्रचार किया था. वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई अपनी किताब ‘नेता-अभिनेता: बॉलीवुड स्टार पावर इन इंडियन पॉलिटिक्स’ में लिखते हैं कि हेमा मालिनी जब विनोद खन्ना के प्रचार के लिए मंच पर पहुंचीं तो भीड़ उनकी एक झलक पाने को बेताब हो गई. उन्होंने अपनी ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘शोले’ का डायलॉग मारा और भीड़ झूम पड़ी. उस चुनाव में विनोद खन्ना बंपर वोट से जीते.
जब BJP के प्रचार में उतरीं हेमा मालिनी
किदवई लिखते हैं कि इसके बाद जब राज्यों के विधानसभा चुनाव आए तो बीजेपी ने हेमा मालिनी (Hema Malini) से फिर चुनाव प्रचार करने का अनुरोध किया. उन्होंने सुझाव मान लिया. इसके बाद अलग-अलग राज्यों के विधानसभा चुनाव में गांव-गांव तक गईं. हेमा मालिनी (Hema Malini) एक समय खुद को चुका हुआ मानने लगी थीं और उनको लगने लगा था कि उनकी फैन फॉलोइंग घटती जा रही है, लेकिन जब चुनाव प्रचार में उतरीं तब उन्हें अपनी लोकप्रियता का अंदाजा हुआ. 1999 में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया और फिर वाजपेयी की सरकार ने 2000 से 2003 तक नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन यानी एनएफडीसी का अध्यक्ष भी बनाया.
फोन ऑन किया तो सैकड़ों मैसेज थे
हालांकि हेमा मालिनी के लिए असली पुरस्कार अभी बाकी था. साल 2003 में भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें राज्यसभा के लिए नामित कर दिया. जिस वक्त बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा भेजने का ऐलान किया, उस वक्त हेमा मालिनी अपनी नृत्य-नाटिका ‘राधा-कृष्ण’ का मंचन करने अमेरिका जा रही थीं. हेमा मालिनी याद करती हैं कि जब वह पेरिस हवाई अड्डे पर रुकीं और अपना फोन ऑन तो सैकड़ों बधाई संदेश पड़े थे. जिस दिन बीजेपी ने उन्हें संसद के उपरी सदन में भेजने का ऐलान किया था, उस दिन हेमा मालिनी का 55वां जन्मदिन भी था और इससे शानदार तोहफा क्या मिल सकता था!
किसने दी थी बीजेपी छोड़ने की सलाह?
साल 2004 में जब एनडीए के हाथ से सत्ता चली गई तब हेमा मालिनी अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर थोड़ा सशंकित हो गईं. हेमा मालिनी ने अपनी जीवनी लिखने वालीं वरिष्ठ पत्रकार भावना सोमाया को बताया कि ”जब मैंने सक्रिय रूप से बीजेपी ज्वाइन की तो पार्टी का भविष्य उज्जवल नजर आ रहा था, लेकिन कुछ महीने बाद ही पार्टी चुनाव हार गई. उस वक्त कुछ लोगों ने मुझे यहां तक सुझाव दिया कि मैं बीजेपी छोड़ दूं और कांग्रेस में शामिल हो जाऊं. तरह-तरह की सलाह मिलने लगी. मैंने सबकी सुनी, लेकिन किसी की सलाह मानी नहीं. बीजेपी के साथ डटी रही…”
मंच पर लड़खड़ा गईं हेमा मालिनी
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हेमा मालिनी को मथुरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया और वह बंपर वोट से जीतकर लोकसभा में पहुंचीं. इसके बाद 2019 में भी चुनाव जीतने में कामयाब रहीं. रशीद किदवई अपनी किताब में हेमा मालिनी (Hema Malini) के पहले कार्यकाल के एक वाकये का जिक्र करते हैं. वह लिखते हैं कि 25 मई 2015 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) एक कार्यक्रम में हेमा मालिनी के संसदीय क्षेत्र मथुरा पहुंचे. सांसद होने के नाते कार्यक्रम के मंच पर हेमा मालिनी को भी बुलाया गया. उन्हें पहले से नहीं बताया गया था कि भाषण भी देना है. जब तक वह मंच पर सेटल हो पातीं, अचानक कार्यक्रम के आयोजकों ने उन्हें माइक थमा दी.
PM मोदी ने कैसे संभाली बात?
हेमा मालिनी (Hema Malini) हड़बड़ा गईं. उन्होंने बिल्कुल कोई तैयारी नहीं की थी. पता भी नहीं था कि क्या बोलना है. उन्होंने टूटी-फूटी हिंदी में कुछ शब्द बोले. इसके बाद लड़खड़ाने लगीं. इसके बाद भीड़ शोर मचाने लगी. ठीक इसी मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने दखल दिया और माइक अपने हाथ में लेकर मामले को संभाल दिया.