जमीन का खेल और जाना पड़ा जेल, कैसे ED के हाथ लगे ‘बॉस’ हेमंत सोरेन

Land game and had to go to jail, how ED got hold of 'Boss' Hemant Soren
Land game and had to go to jail, how ED got hold of 'Boss' Hemant Soren
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रांची: रांची नगर निगम के टैक्स क्लेक्टर के बयान पर दर्ज एक मामूली केस के रास्ते ईडी ने न सिर्फ जमीन घोटाले का पर्दाफाश किया। इस केस के जरिए ही पहली ईसीआईआर दर्ज कर ईडी ने सीएस के करीबी कोरोबारी अमित अग्रवाल को पहले गिरफ्तार किया। फिर हेमंत सोरेन के गिरेबां तक भी ईडी पहुंची। दरअसल 4 जून 2022 को रांची के बरियातू थाने में नगर निगम के टैक्स क्लेक्टर दिलीप शर्मा ने प्रदीप बागची के खिलाफ फर्जी कागजात के आधार पर होल्डिंग लेने का मामला दर्ज कराया था। इस केस में ईडी ने ईसीआईआर दर्ज किया और जमीन घोटाले की जांच शुरू की।

ईसीआईआर की जांच के दौरान ईडी ने पाया कि कोलकाता के एश्योरेंस ऑफ रजिस्टार के यहां से दस्तावेज में हेरफेर कर जमीन की रजिस्ट्री प्रदीप बागची ने कराई। इसके बाद सेना की कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री फर्जी मालिक प्रदीप बागची ने कोलकाता की कंपनी जगतबंधु टी इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड को की। रजिस्ट्री पेपर में 20 करोड़ मूल्य की सरकारी जमीन को सात करोड़ में बेचे जाने का जिक्र था, लेकिन रजिस्ट्री में दिखाया गया 6.75 करोड़ का पेमेंट ईडी जांच में गलत निकला।

ईडी ने जांच में पाया कि दिलीप घोष की कंपनी के लाभुक मूलत अमित अग्रवाल थे। ईडी ने इसी केस में पहली बार 4 नवंबर 2022 व दूसरी बार 13 अप्रैल 2023 को छापेमारी की। 13 अप्रैल की छापेमारी के बाद ईडी ने फर्जी कागजात बनाने के आरोपियों के साथ बड़गाईं अंचल के राजस्व उपनिरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद को भी गिरफ्तार किया था। छापेमारी के बाद ईडी ने रांची के पूर्व डीसी छविरंजन को भी गिरफ्तार किया। ईडी ने जांच में पाया कि जमीन घोटाला राजनीतिक संरक्षण में अंजाम दिया गया था। अमित अग्रवाल व प्रेम प्रकाश के द्वारा घोटाले की साजिश राजनीतिक संरक्षण में करने का खुलासा ईडी ने किया।

किस जमीन को ले विवाद, ईडी ने जांच में क्या पाया
बरियातू की जिस जमीन को लेकर सीएम हेमंत सोरेन से पूछताछ की गई, वह डीएवी स्कूल बरियातू के पीछे है। 12 प्लॉट में बंटी जमीन का कुल रकबा 8.46 एकड़ है। ईडी की जांच रिपोर्ट में जिक्र है कि पूरी जमीन की बाउंड्री की हुई है, वहीं इस जमीन में एक आउट हाउस व गार्ड रूम बना हुआ है। जांच में खाता संख्या 221 गैरमजरूआ भूईहरी जमीन है, खाता संख्या 210, 234, 223, 223 बकास्त भूईहरी जमीन है। खाता संख्या 211 प्लॉट संख्या 983 का रकबा .21 एकड़, प्लाट संख्या 985 रकबा 1.16 एकड़, प्लाट संख्या 986 रकबा 1.09 एकड़ लोधा पाहन वल्द बिरसा पाहन के नाम पर दर्ज है। खाता संख्या 221 प्लाट संख्या 983 रकबा 0.21 एकड़, प्लाट संख्या 985 रकबा 1.16 एकड़, खाता संख्या 210 प्लाट संख्या 984 रकबा 0.3 एकड़, खाता संख्या 990 रकबा .41 एकड़ की जमाबंदी पंजी 2 में दर्ज नहीं है। खाता संख्या 221 प्लाट संख्या 987 का रकबा 0.8 एकड़ कुश कुमार भगत, 0.16 एकड़ बुधन राम के नाम पर है। खाता संख्या 109 प्लाट संख्या 986 रकबा 1.09 एकड़ लोधा पाहन के नाम पर दर्ज है। खाता संख्या 210 प्लाट संख्या 988 रकबा 2.06 एकड़, 0.84 एकड़ शशिभूषण सिंह, 0.84 एकड़ भवानी शंकर लाल, 0.38 एकड़ बुधन राम वगैरह के नाम दर्ज हैं। खाता संख्या 210 संख्या 990 रकबा 0.38 एकड़ जमीन बुधन राम के नाम पर दर्ज है। इस जमीन के अन्य हिस्से की जमीन भी भरत राम, जगदीश राम, सुधीर जायसवाल, महेश्वर दास गुप्ता, मोती साहू, उमाशंकर जायसवाल, वाणीव्रत राय, यामिनी मोहन राय, नारायण चौधरी के नाम पर दर्ज है।

ईडी ने इस केस में गिरफ्तार राजस्व उपनिरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद का बयान लिया तो उन्होंने बताया कि 8.46 एकड़ जमीन का सर्वे का आदेश सीएम हाउस से आया था। इस जमीन के सर्वे का आदेश उदय नाम के व्यक्ति ने दिया था। उदय ने तब कहा था कि बॉस की जमीन है। ईडी के अधिकारियों ने जब भानु प्रताप प्रसाद से पूछा कि बॉस कौन है, तब उसने हेमंत सोरेन का नाम लिया था। साथ ही भानु ने बताया कि उन्हें सर्वे का आदेश सीओ मनोज कुमार ने भी दिया था। इसके बाद ईडी ने मनोज कुमार का बयान लया। मनोज कुमार ने स्वीकार किया कि जमीन हेमंत सोरेन की है। उन्हें ही सभी बॉस कहते हैं। दोनों सरकारी पदाधिकारियों के गवाही के बाद ईडी ने पहली बार सीएम को 13 अगस्त 2023 को समन किया। लेकिन मुख्यमंत्री लगातार सात समन पर अनुपस्थित रहे। आठवें समन पर उनसे 20 जनवरी को पहली बार पूछताछ हुई थी।