मुलायम सिंह को पद्म विभूषण से सदमे में अखिलेश, समझ नहीं आ रहा हंसे या रोएं

Mulayam Singh Akhilesh shocked by Padma Vibhushan, can't understand whether to laugh or cry
Mulayam Singh Akhilesh shocked by Padma Vibhushan, can't understand whether to laugh or cry
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लखनऊ: समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। देश के नागरिक सम्मानों की घोषणा के दौरान मुलायम सिंह यादव का नाम देखकर उत्तर प्रदेश के राजनीतिक हलकों में चर्चा का दौर शुरू हो गया है। चर्चा इस बात की कि क्या मुलायम सिंह यादव को पद्मविभूषण सम्मान देकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अखिलेश यादव को फंसा दिया? दरअसल, मुलायम सिंह यादव और भाजपा के संबंधों पर चर्चा कई बार हो चुकी है। कई नेता इसको लेकर तरह-तरह की टिप्पणियां कर चुके हैं। ऐसे में विपक्षी दल के नेता को सर्वोच्च नागरिक सम्मान में से एक दिए जाने पर राजनीतिक माहौल गर्माना तय है। राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहे हैं। भविष्य में इसके फायदे और नुकसान की चर्चा भी शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश के राजनीतिक मैदान में भारतीय जनता पार्टी एक अलग ही राजनीति ताना-बाना को स्थापित करने की कोशिश करती दिख रही है। ऐसे में मुलायम सिंह यादव को सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किए जाने को अलग ही नजरिए से देखा जा रहा है। विपक्ष की राजनीति को साधने की कोशिश के रूप में पूरे मामले को देखा जा रहा है।

यूपी की राजनीति पर क्या होगा असर?

मुलायम सिंह यादव को यूपी की राजनीति में एक बड़े चेहरे के रूप में जाना जाता है। समाजवादी आंदोलन को धार देने में मुलायम सिंह यादव की बड़ी भूमिका रही है। पहलवानी के अखाड़े से निकलकर राजनीतिक मैदान तक अपने दांव से उन्होंने बड़े-बड़े राजनीतिक दलों को पछारा। यूपी की राजनीति में कांग्रेस की भूमिका को नगण्य न करने में मुलायम सिंह यादव का योगदान अहम रहा है। ऐसे में मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित कर नरेंद्र मोदी सरकार ने एक बड़ा दांव खेल दिया है। देश में अभी हिंदुत्व और सनातन को लेकर जिस प्रकार की बहस छिड़ी हुई है। उसमें समाज एक अलग ही दूरी पर जाता दिख रहा है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यूपी के राजनीतिक मैदान में भारतीय जनता पार्टी नई रणनीति के साथ उतरने की तैयारी कर रही है।

यूपी भाजपा ने प्रदेश की सभी 80 सीटों पर जीत का लक्ष्य तय किया है। आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उप चुनाव के परिणाम भाजपा के पक्ष में आए थे। इसके बाद से प्रदेश में अलग रणनीति पर भाजपा काम करती दिख रही है। इसमें पसमांदा मुसलमान को साधने की रणनीति तो है ही। इनके साथ-साथ मुलायम सिंह यादव पर आस्था रखने और अखिलेश यादव से दूरी बनाने वाले यादव वोट बैंक को साधने की कोशिश भी हो रही है। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में गंवाने वाली सीटों को साधने की रणनीति पर काम तेज कर दिया है।

प्रणव दा को सम्मान देकर बंगाल में जमी भाजपा

भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार के वर्ष 2019 में नागरिक सम्मानों की घोषणा ने भी खासी सुर्खियां बटोरी थीं। इसमें पश्चिम बंगाल से आने वाले देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। कांग्रेस पृष्ठभूमि से आने वाले प्रणब दा को सम्मानित किए जाने को लेकर पश्चिम बंगाल से लेकर दिल्ली तक की राजनीति में चर्चा का माहौल खूब गर्माया। इस घोषणा ने भाजपा को पश्चिम बंगाल में चर्चा में ला दिया। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के विकल्प के रूप में पार्टी को देखा जाने लगा। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में इसका खासा प्रभाव दिखा। पार्टी ने बंगाल के राजनीतिक मैदान में जबरदस्त प्रदर्शन किया। मोदी लहर का असर वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में बंगाल में नहीं दिखा था। लेकिन, 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 18 सीटों पर जीत मिली।

पश्चिम बंगाल में वर्ष 2014 के आम चुनाव में भाजपा 2 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई थी। इस प्रकार 16 सीटों का फायदा हुआ। वहीं, कांग्रेस 2 सीटों के नुकसान के साथ दो सीट ही जीतने में सफल हुई। सबसे बड़ा झटका ममता बनर्जी को लगा। वर्ष 2014 के चुनाव में टीएमसी ने 36 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी 22 सीटें जीत पाई। इस प्रकार ममता बनर्जी को 14 सीटों का नुकसान झेलना पड़ा था। इस जीत में प्रणव दा के सम्मान के बाद उनके संबद्ध रहे वोटरों का भाजपा की तरफ रुझान को भी एक वजह माना जा सकता है।

मुलायम के सम्मान से हमलों नहीं मिलेगा मौका

मुलायम सिंह यादव को सम्मानित कर केंद्र सरकार ने बड़ी राजनीति कर रही है। धरतीपुत्र के नाम से प्रसिद्ध समाजवादी नेता का निधन इसी वर्ष हुआ है। उनके निधन के बाद समाजवादी पार्टी की ओर से उन्हें भारत रत्न दिए जाने की मांग की गई। हालांकि, केंद्र ने मुलायम सिंह यादव को देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान दिया है। यह सम्मान समाजवादी पार्टी की परेशानी बढ़ाएगा। मुलायम सिंह यादव को लेकर भाजपा पर हमलावर होने का मौका पार्टी गंवाएगी। भाजपा ने मुलायम सिंह यादव पर पहले भी कभी सीधा हमला नहीं बोला। मैनपुरी में मुलायम का गढ़ रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर कोई भी सीनियर नेता उनके खिलाफ प्रचार करने मैनपुरी के चुनावी मैदान में नहीं उतरा था। अब उनके निधन के बाद सम्मानित कर पार्टी ने एक बड़े वोट बैंक को संदेश दिया है कि मुलायम सिंह यादव उनके लिए भी सम्मानित व्यक्ति रहे हैं। इससे भाजपा के प्रति उनके समर्थकों में कोई बड़ी नाराजगी खड़ी कर पाना संभव नहीं हो सकेगा। लोकसभा चुनाव 2024 में इसका फायदा भाजपा और नरेंद्र मोदी के लीडरशिप को मिल सकता है।

गहराता रहा है कारसेवकों पर गोली मामला

मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री काल के दौरान वर्ष 1990 में अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चली थी। कारसेवकों पर चली गोली ने मुलायम सिंह यादव को ‘मुल्ला मुलायम’ के नाम से प्रसिद्ध कर दिया। भाजपा चुनावों के दौरान इस मुद्दे को खूब भुना रही है। कारसेवकों की हत्या के मामले ने मुद्दे को खासा गरमाया जाता रहा, खासकर चुनावों के दौरान यह मामला लगातार उठा। हालांकि, मुलायम सिंह यादव की राजनीति और उनके समाज के एक बड़े वर्ग पर प्रभाव को देखते हुए उन पर निजी हमला करने से भाजपा बचती रही। अब पद्म विभूषण पुरस्कार की घोषणा का असर एक बड़े वर्ग पर होगा। इसे भाजपा की रणनीति का एक हिस्सा के रूप में देखा जा रहा है। वहीं, लोकसभा चुनाव को देखते हुए अखिलेश यादव यूपी में माय समीकरण को मजबूत बनाने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं, मुलायम सिंह यादव की विरासत को आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं।

मुलायम की तर्ज पर अखिलेश खुद को राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी बनाने की जगह यूपी तक सीमित कर रखे हैं। भाजपा मुलायम सिंह यादव के 2019 के आम चुनाव से पहले लोकसभा में दिए गए भाषण का जिक्र करते हुए उनका आशीर्वाद पीएम नरेंद्र मोदी को मिलने की बात करती रही है। दरअसल, 2019 में लोकसभा के आखिरी सत्र में मुलायम सिंह यादव ने पीएम मोदी के दोबारा जीत दर्ज कर लौटने की शुभकामना दी थी।