भरतपुर: राजस्थान में साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर दिल्ली से केंद्रीय नेताओं की आवाजाही सूबे में तेज हो गई है जहां बीते शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भरतपुर पहुंचे जहां बीजेपी कार्यकर्ताओं को चुनावी मंत्र देकर गए. शाह ने अपने संबोधन के दौरान अशोक गहलोत और सचिन पायलट की खींचतान पर तंज कसने के साथ ही जयपुर ब्लास्ट मामले में आरोपियों की रिहाई पर कांग्रेस सरकार को घेरा. वहीं शाह के साथ मंच पर बीजेपी के तमाम दिग्गज नेता मौजूद थे लेकिन राज्य की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की मौजूदगी को हर किसी ने हैरान किया.
माना जा रहा है कि चुनावों के नजदीक आने के साथ ही बीजेपी आलाकमान ने शाह के साथ मंच पर राजे को बिठाकर एक बड़ा संदेश दिया है. मालूम हो कि हाल में प्रदेश बीजेपी में कई बदलाव हुए हैं जहां अध्यक्ष से लेकर नेता प्रतिपक्ष और उपनेता पर अदलाबदली की गई है लेकिन वसुंधरा राजे को लेकर अभी असमंजस का माहौल है. ऐसे में शनिवार को शाह ने भरतपुर में कार्यकर्ताओं को संदेश दिया कि वह राजे के बिना चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगे.
मंच पर शाह के साथ कॉन्फिडेंट दिखीं राजे
दरअसल शनिवार को अमित शाह के दौरे को लेकर प्रदेश बीजेपी की ओर से जमकर तैयारियां की गई थी जहां शाह के हेलीकॉप्टर से भरतपुर उतरने पर पूर्व सीएम राजे ने ही उनका स्वागत किया और बताया जा रहा है कि सभा स्थल तक राजे और अमित शाह साथ ही गए. वहीं इस दौरान प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी भी उनके साथ ही रहे. वहीं सभा के दौरान अमित शाह के साथ मंच पर वसुंधरा राजे पूरे समय दिखाई दी.
जानकारों का मानना है कि शाह ने 2023 से पहले बीजेपी की खींचतान के बीच एक बड़ा संदेश दिया है जहां बीजेपी राजस्थान में राजे की अहम भूमिका के बिना चुनावों में नहीं उतरेगी. वहीं राजे इस दौरान मंच पर काफी कॉन्फिडेंट भी दिखाई दी और उन्होंने गहलोत सरकार को कई मुद्दों पर जमकर घेरा.
बीजेपी खींचतान को लेकर गंभीर!
बता दें कि प्रदेश में विधानसभा चुनावों से पहले चर्चा है कि वसुंधरा राजे को कम तरजीह दी जा रही है लेकिन आलाकमान अब बीजेपी में चल रही खींचतान को दूर करने में गंभीर दिखाई दे रहा है. मालूम हो कि कर्नाटक में दिग्गज नेता येदुरप्पा को साइडलाइन किए जाने के बाद राज्य में नए नेतृत्व को लेकर बीजेपी को काफी पशोपेश का सामना करना पड़ रहा है.
जोगिंदर अवाना का आरोप
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी राजस्थान में चुनावों से पहले कर्नाटक जैसे हालात नहीं बनाना चाहती है. इधर राजे की भूमिका को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है जहां माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में राजे को चुनाव प्रचार समिति का चैयरमेन बनाया जा सकता है. हालांकि इस पर अभी कुछ साफ नहीं हुआ है. वहीं बीते दिनों से राजे के गहलोत सरकार पर हमले तेज हो गए हैं जिसको लेकर माना जा रहा है कि राजे किसी बड़ी भूमिका में जल्द सामने आ सकती है.