अभी अभीः मुम्बई जैसा भीषण आतंकी हमला, होटल में अंधाधुंध गोलीबारी, बमों से दहला इलाका, बिछी लाशें ही लाशें, हाई अलर्ट

Right now: Horrific terrorist attack like Mumbai, indiscriminate firing in hotel, bomb-torn area, only dead bodies, high alert
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काबुल। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में चीनी होटल के नाम से मशहूर एक रेस्टोरेंट और गेस्ट हाउस पर हमला हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस होटल में कई चीनी नागरिक मौजूद हैं। कुछ फुटेज भी सामने आए हैं। इनमें होटल के एक हिस्से में आग नजर आ रही है। तालिबान हुकूमत या चीनी एम्बेसी ने अब तक इस मामले पर कुछ नहीं कहा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक- होटल के अंदर कुछ फिदायीन हमलावर मौजूद हैं। ऐसे में तालिबान की सिक्योरिटी फोर्सेज को अंदर जाने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। होटल के अंदर से फायरिंग की आवाजें आ रही हैं। चीन के कई डिप्लोमैट्स यहां अक्सर आते हैं।

यह हमला ऐसे वक्त हुआ जब शुक्रवार को ही चीन के एम्बेसेडर ने काबुल में अपनी एम्बेसी की सिक्योरिटी को लेकर तालिबान के अफसरों से बातचीत की थी। दो हफ्ते पहले इसी इलाके में मौजूद पाकिस्तान की एम्बेसी पर फायरिंग की गई थी। इसमें एक पाकिस्तानी डिप्लोमैट घायल हो गया था। सोमवार को हुए हमले के बारे में ज्यादा जानकारी का इंतजार है।

बिल्डिंग का नाम चीनी होटल क्यों
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस होटल का असली नाम शेर-ए-नॉ है। यहां से चंद मीटर की दूरी पर एक गेस्ट हाउस है और यहां ज्यादातर चीनी नागरिक और डिप्लोमैट्स आते हैं। लिहाजा, इस होटल का नाम ही चीनी होटल पड़ गया। इस बिल्डिंग में स्नूकर हॉल और स्विमिंग पूल जैसी फैसिलिटी मौजूद हैं। फिलहाल, इस होटल से आग और धुआं उठता दिखाई दे रहा है।

बड़ा ब्लास्ट हुआ
न्यूज एजेंसी AP ने एक चश्मदीद के हवाले से कहा- होटल के अंदर बहुत बड़ा ब्लास्ट हुआ है। इसके बाद आग लग गई। चीन और अफगानिस्तान के बीच 76 किलोमीटर लंबा बॉर्डर है। तालिबान के हुकूमत में आने के बाद यहां चीनियों की आवाजाही बढ़ गई है। चीन यहां जड़ें जमाने की कोशिश कर रहा है।

चीन की सरकार को डर है कि अफगान तालिबान और ISIS खोरासान ग्रुप चीन के उईघर मुस्लिमों की मदद कर सकते हैं। लिहाजा, जिनपिंग सरकार तालिबान हुकूमत को खुश रखने की तमाम कोशिशें कर रही है। कुछ दिन पहले पाकिस्तान की एम्बेसी पर हुए हमले की जिम्मेदारी ISIS के खोरासान ग्रुप ने ली थी।

सोमवार को चीनी होटल पर हुए हमले की जिम्मेदारी अभी तक किसी ग्रुप ने नहीं ली है। माना जा रहा है कि चीन चुपचाप अफगानिस्तान की तांबा खदानों पर कब्जा करना चाहता है और इसकी वजह से कुछ लोकल ग्रुप्स भी उससे नाराज हैं।

अगस्त में मस्जिद पर हुए हमले में 20 लोगों की हुई थी मौत
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अगस्त में भी एक मस्जिद में धमाका हुआ था, जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी। टोलो टीवी के टेलीग्राम चैनल के मुताबिक, काबुल के खैरखाना इलाके में ‘अबूबकिर सेदिक’ मस्जिद में मगरिब की नमाज के दौरान यह धमाका हुआ था।

तालिबान के सुरक्षा अधिकारियों ने बताया था कि काबुल के पीडी-17 एरिया में हुए इस ब्लास्ट मस्जिद के मौलवी आमिर मोहम्मद काबुली की भी मौत हो गई थी। इलाके के अस्पताल इमरजेंसी NGO ने बताया कि वहां 27 लोगों को भर्ती किया गया है, जिसमें 5 बच्चे शामिल हैं। इनमें एक बच्चा 7 साल का भी था।

भारतीय दूतावास भी रहे हैं निशाने पर
अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास भी निशाने पर रहे हैं। अगस्त 2013 में जलालाबाद में दूतावास पर हमले करने वाले तीन आत्मघाती हमलावरों को मार गिराया था। इसमें कुछ अफगानी सेना के जवान भी मारे गए थे। उस दौरान अफगानिस्तान में भारतीय राजदूत अमर सिन्हा ने मारे गए लोगों और घायल लोगों से खुद मिलकर सुरक्षा देने केलिए धन्यवाद दिया था।

इतना ही नहीं उनकी सभी मेडिकल जरूरतों का खर्च भी भारतीय दूतावास ने उठाया था। 2010 में काबुल स्थित दो गेस्ट हाउस में हमले में छह भारतीयों की मौत हो गई थी। जुलाई 2008 में कार धमाके में ब्रिगेडियर और दो आईटीबीपी के जवानों की मौत हो गई थी।