हंगामे के बीच विधानसभा में राइट-टू-हेल्थ बिल पास, जानकर झूम उठेंगे आप

Right-to-health bill passed in assembly amid uproar, you will be shocked to know
Right-to-health bill passed in assembly amid uproar, you will be shocked to know
इस खबर को शेयर करें

जयपुर। राजस्थान विधानसभा में राइट टू हेल्थ बिल पर बहस के दौरान मंगलवार को हेल्थ मिनिस्टर परसादी लाल मीणा ने कहा- डॉक्टर अपने धर्म को भूल गए हैं।
बीजेपी के तमाम विरोध और हो-हल्ला के बीच राजस्थान विधानसभा में राइट टू हेल्थ (स्वास्थ्य के अधिकार) बिल मंगलवार को पास हो गया। इसी के साथ राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य बना, जहां राइट टू हेल्थ बिल पारित हुआ है। सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल इलाज से अब मना नहीं कर सकेंगे। यहां के हर व्यक्ति को इलाज की गारंटी मिलेगी।

इमरजेंसी की हालत में प्राइवेट हॉस्पिटल को भी फ्री इलाज करना होगा। प्राइवेट हॉस्पिटल में इमरजेंसी में फ्री इलाज के लिए अलग से फंड बनेगा। ऐसे मामलों में किसी भी तरह की हॉस्पिटल स्तर की लापरवाही के लिए जिला और राज्य स्तर पर प्राधिकरण बनेगा। इसमें सुनवाई होगी। दोषी पाए जाने पर 10 से 25 हजार रुपए जुर्माना लगाया जा सकता है।

इलाज से मना नहीं कर सकेंगे हॉस्पिटल
राइट टू हेल्थ का उल्लंघन करने और इलाज से मना करने पर 10 से 25 हजार तक का जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। पहली बार उल्लंघन पर जुर्माना 10 हजार और इसके बाद 25 हजार तक होगा। राइट टू हेल्थ बिल की शिकायतें सुनने और अपील के लिए जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण और राज्य स्तर पर राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण बनेगा। प्राधिकरण में ही शिकायतें सुनी जाएंगी। बिल के उल्लंघन से जुड़े मामले में प्राधिकरण के फैसले को किसी सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।

सत्ता पक्ष और विपक्ष में जमकर नोकझोंक हुई
सदन में इस बिल पर बहस को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में जमकर नोकझोंक हुई। स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने डॉक्टर्स और कुछ बड़े हॉस्पिटल को लेकर हमला बोला। उन्होंने साफ कहा- प्राइवेट अस्पताल में इलाज के दौरान किसी की मौत हो जाती है तो बिल लेने के बाद ही डेडबॉडी दी जाती है। कई बार लाखों का बिल होता है। गरीब आदमी कहां से लाखों रुपए लाएगा?

जयपुर के कई नामी हॉस्पिटल चीटिंग करते हैं, उन पर कार्रवाई करेंगे
मीणा ने कहा- जनता ने हमें चुन कर भेजा है। हमें जनता का पक्ष लेना चाहिए। मेरी किसी से कोई लाग-लपेट नहीं है। मुझे ध्यान है। जयपुर में कई नामी और बड़े हॉस्पिटल इलाज के नाम पर किस तरह चीटिंग करते हैं। यह बिल पास होने के बाद हम उन पर भी कार्रवाई करेंगे। बिल सबकी सहमति से सिलेक्ट कमेटी को भेजा था। सबकी सहमति से सिलेक्ट कमेटी ने रिपोर्ट बनाई है।

भगवान राम को भी इमरजेंसी आई थी
स्वास्थ्य मंत्री परसादीलाल मीणा बोले- भगवान राम को भी इमरजेंसी आई थी। जब लक्ष्मण को शक्ति लगी थी। दुश्मन रावण के वैद्य ने आकर इलाज किया था। यह होता है डॉक्टर का धर्म। राइट टू हेल्थ बिल पर बहस का जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री परसादीलाल मीणा ने कहा- डॉक्टर अपने धर्म को भूल गए हैं। डॉक्टर अपने धर्म का पालन नहीं कर रहे, बिल को वापस लेने पर अड़ गए थे। हम डॉक्टर्स से मिले थे। डॉक्टर्स केवल एक ही बात पर अड़े हुए थे कि हम तो बिल को वापस लेने से कम पर नहीं मानेंगे। यह कहां तक न्याय संगत है? यह तो हाउस का अपमान हो गया।

हमने जैसा कहा, वैसा किया
मीणा ने कहा- मूल बिल में इमरजेंसी को लेकर विरोध था। हमने आपने जैसा कहा वैसा किया। आपातकालीन उपचार के लिए डॉक्टर्स से भी बात हुई । इमरजेंसी इलाज में हमने जानवर के काटने, इमरजेंसी सहित तीन ही चीजें रखीं। यह सवाल भी आया कि इमरजेंसी में इलाज का खर्च कौन उठाएगा। पुनर्भरण कौन करेगा? हमने यह प्रावधान किया है कि सरकार इसका खर्च उठाएगी। इसके लिए फंड बनेगा। राज्य स्तर और जिला स्तर की कमेटियों में हमने जनप्रतिनिधियों को नहीं रखा है। हमने डॉक्टरों की ज्यादातर बातों को माना है।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा- डॉक्टर्स सरकार को डराने की कोशिश ना करें, हम झुकने वाले नहीं
स्वास्थ्य मंत्री परसादीलाल मीणा ने बिल पर बहस के जवाब के दौरान प्राइवेट अस्पतालों को निशाने पर लिया। मीणा ने कहा- गरीब का इलाज नहीं करने पर कोई कितना भी बड़ा हो, हम कार्रवाई करेंगे। डॉक्टर सरकार को डराने की कोशिश ना करें। डॉक्टर आंदोलन करें। आंदोलन करने से कौन मना करता है। डॉक्टर्स को धर्म निभाना चाहिए। किसी का इलाज करना डॉक्टर का पहला धर्म होता है।

संसदीय कार्य मंत्री ने जताई आपत्ति
इससे पहले बिल पर बहस में उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के बोलने पर संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने आपत्ति जताई। इसी मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस विधायकों के बीच नोकझोंक हुई। शांति धारीवाल ने तर्क दिया कि प्रवर समिति का मेंबर बहस में भाग नहीं ले सकता। राठौड़ प्रवर समिति के मेंबर हैं। इस मुद्दे पर बीजेपी विधायकों ने हंगामा किया।

सभापति जेपी चंदेलिया ने दखल देकर हंगामा शांत करवाया। बिल पर बहस के दौरान बाद में बीजेपी विधायकों ने इसके कई प्रावधानों को बताते हुए इसे वापस लेने की मांग उठाई।

स्वास्थ्य मंत्री के डॉक्टर्स से नहीं मिलने पर भी बीजेपी विधायकों ने सवाल उठाए। वे बोले- जिन्होंने जिंदगी दांव पर लगा दी थी, उनसे मिल भी नहीं रहे हैं। इससे शर्मनाक क्या होगा?

बिल बहस पर विधानसभा में हंगामा
शांति धारीवाल ने कहा- 1998 में राजस्व से जुड़ी एक प्रवर समिति को लेकर उपाध्यक्ष ने व्यवस्था दी थी कि जिस विधायक ने प्रवर समिति में विरोध दर्ज कराया हो वह प्रवर समिति का मेंबर बिल पर बहस में नहीं बोल सकता। ऐसे में राजेंद्र राठौड़ जो राइट टू हेल्थ बिल की प्रवर समिति के मेंबर थे, वह बहस में नहीं बोल सकते हैं।
इस पर सभापति जेपी चंदेलिया ने कहा की प्रवर समिति में जिस मेंबर ने अगर डिसेंट नोट दिया है तो वह डिसेंट नोट पर बोल सकता है। इस पर निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि राजेंद्र राठौड़ डिसेंट नोट से बाहर की बात बोल रहे हैं।

इस पर संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल फिर खड़े हुए और कहा कि इन्हें बोलने का कोई अधिकार नहीं है। और, उनके इतना बोलते ही फिर से हंगामा शुरू हो गया।

बहस में भाग लेते हुए राजेंद्र राठौड़ ने कहा- 3 विधायकों ने डिसेंट नोट दिया था और विरोध का सबसे बड़ा कारण यह था कि आप कम से कम 50 बेड वाले हॉस्पिटल को ही इसमें शामिल करें। इससे छोटे अस्पतालों को शामिल नहीं करें।

50 बेड से कम के अस्पतालों पर लागू नहीं हो कानून
राजेंद्र राठौड़ और कालीचरण सराफ ने कहा कि इस बिल के तहत अनिवार्य इलाज में 50 बेड वाले अस्पतालों से नीचे के अस्पताल को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। अगर कोई हार्ट अटैक का मरीज छोटे अस्पताल में चला गया तो उसका इलाज कैसे होगा? आंख, अस्थमा के अस्पताल में हार्ट अटैक का मरीज पहुंच गया तो इलाज कैसे करेगा?

डॉक्टर्स पर लाठीचार्ज की जांच हो

राठौड़ और सराफ ने कहा -इन्हीं दो मुद्दों को लेकर हमने प्रवर समिति में विरोध किया था और यही डॉक्टर्स इनके विरोध में हैं। सोमवार को विरोध-प्रदर्शन के दौरान डॉक्टर के साथ जिस तरह से बदसलूकी हुई, उन पर लाठीचार्ज किया गया और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया गया उसकी जांच होनी चाहिए। डॉक्टर्स से स्वास्थ्य मंत्री ने मिलने तक से मना मना कर दिया। जिन डॉक्टरों ने अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर काम किया, आप उन पर लाठीचार्ज कर रहे हो। आप हमसे मिलना नहीं चाहते हो इससे शर्मनाक कोई बात नहीं हो सकती।

लाहोटी बोले – मनमाने तरीके से लाया जा रहा बिल

बीजेपी विधायक अशोक लाहोटी ने कहा- राइट टू हेल्थ बिल प्राइवेट अस्पतालों पर मनमाने तरीके से लाया जा रहा है। कल आप राइट टू फूड ले आएंगे, हर होटल वाले को बाध्य कर देंगे कि जो आएगा उसे खाना खिलाना ही होगा। केवल झुनझुना पकड़ाने का काम कर रहे हो। बिना आधार के यह बिल लाया जा रहा है।

यह राइट टू हेल्थ है या राइट टू ट्रीटमेंट है। इसमें हेल्थ का जिक्र नहीं है। यह बिल तो केवल इलाज के लिए है और वह भी प्राइवेट हॉस्पिटल पर बेवजह की पाबंदियां लगाने वाला है।