जयपुर। Rajasthan में चुनावी वर्ष 2018 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने पांच हजार किलोमीटर राज्य राजमार्गों को नेशनल हाईवे बनाने के प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेज कर सैद्धांतिक सहमति तो ले ली, लेकिन प्रस्ताव कागजों में ही सिमट कर रह गए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले माह एक मीटिंग में केन्द्रीय सडक़ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को अपना वादा भी याद दिलाया था, लेकिन इसके बाद भी कुछ नहीं हुआ।
राज्य की तत्कालीन भाजपा सरकार ने प्रदेश के 26 जिलों के पचास राज्य राजमार्ग एवं अन्य सडक़ों को नेशनल हाईवे बनाने के लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजे थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उस समय के सार्वजनिक निर्माण मंत्री युनूस खान ने बार-बार केन्द्र सरकार से इन सडक़ों को नेशनल हाईवे बनाने की मांग रखी। इसके बाद केन्द्रीय सडक़ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 2018 में ही इन सडक़ों को नेशनल हाईवे बनाने के लिए सैद्धांतिक सहमति दे दी।
इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा भी बनाया गया। चुनाव हो गए और प्रदेश में भाजपा की सरकार भी चली गई। दिसम्बर 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अब तक कई बार केन्द्र सरकार को इन सडक़ों को नेशनल हाईवे घोषित करने के लिए आग्रह किया जा चुका है, लेकिन अभी तक इस बारे में किसी तरह का सकारात्मक जवाब केन्द्र की ओर से नहीं आया है। पिछले माह एक सडक़ के ऑनलाइन उद्घाटन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केन्द्रीय सडक एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पिफर से अपना वादा याद दिलाया था।
हर सडक़ के गिनाए थे फायदे
तत्कालीन भाजपा सरकार ने जिन पचास सडक़ों को नेशनल हाईवे घोषित करने के प्रस्ताव केन्द्र को भेजे थे, उनमें हर सडक़ को नेशनल हाईवे बनने के फायदे भी गिनाए गए थे। किसी सडक़ को धार्मिक तो किसी को आर्थिक गतिविधियों के लिहाज से महत्वपूर्ण बताया गया था। आसपास के राज्यों से भी यह सडक़ें जोड़े जाने के फायदे गिनाए गए थे। साथ ही पर्यटन को बढ़ावा मिलने की बात कही गई थी।
नेशनल हाईवे बनने का इंतजार
— दौसा—लवाण— चाकसू—फागी—दूदू (137 किमी)
— जालोर—भीनमाल—कारडा—सांचौर (136 किमी)
— नाचना—रामदेवरा—फलसूंड— बायतू (210 किमी)
— सिरसा—नोहर—तारानगर—चूरू (143 किमी)
— देवली—नसीराबाद वाया केकड़ी (96 किमी)
— रामदेवरा—पोकरण—फलसूंड— भादका (210 किमी)
— डूंगरगढ—सरदारशहर—तारानगर— राजगढ़—कैरू—लोहानी (180 किमी)
— मंदसौर—प्रतापगढ़—धरियावद—सलूम्बर—डूंगरपुर (167 किमी)
— झिरका फरोजपुर— पहाड़ी—नगर— हिंडौन—करौली— मुहाना (210 किमी)
— मथुरा— भरतपुर— बयाना— हिंडौन— उत्तर प्रदेश सीमा (101 किमी)
— जालंधर—मोगा—भटिंडा— किशनगढ़—अजमेर (429 किमी)
— नाथूसरी— भादरा— सिंधमुख— सार्दुलपुर—मलसीसर—झुंझुनूं— गुढ़ा— उदयपुरवाटी (200 किमी)
हरी झंडी मिले तो 26 जिलों को फायदा
यदि राज्य के प्रस्तावों को केन्द्र की ओर से हरी झंडी मिल जाती तो प्रदेश की 50 सडकें नेशनल हाईवे के लिए स्वीकृत हो जाती तो जोधपुर, बीकानेर, जयपुर, दौसा, सिरोही, पाली, जालोर, कोटा, बाड़मेर, हनुमानगढ, चूरू, नागौर, टोंक, अजमेर, कोटा, जैसलमेर, श्रीगंगानगर, बारां, प्रतापगढ़, उदयपुर, डूंगरपुर, करौली, भरतपुर, सवाईमाधोपुर, सीकर, झुंझुनूं जिलों को फायदा होता।