सेला और शिनकुन, 3600KM की दूरी; 10000 फीट से ज्यादा ऊंचाई, हिमालय में हुए ये 2 सुराख चीन के लिए चेतावनी

Sela and Shinkun, distance of 3600KM; Height more than 10000 feet, these 2 holes in the Himalayas are a warning to China
Sela and Shinkun, distance of 3600KM; Height more than 10000 feet, these 2 holes in the Himalayas are a warning to China
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Sela-Shinkun La Tunnel: चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में सीमा पर संघर्ष के लगभग 4 साल पूरे हो गए हैं. अब तक कई दौर की बातचीत हो चुकी हैं, लेकिन सीमा पर अब भी हालात तनाव जारी है. इस बीच चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा और सीमा पर लगातार अपनी ताकत बढ़ा रहा है. ऐसे में भारत सरकार भी लगातार चीन को चेतावनी देने की तैयारी कर रही है और सीमा खुद को मजबूत बनाने में जुटी है. भारत ने पहले अरुणाचल प्रदेश में 10 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर ‘सेला टनल’ का उद्घाटन किया और अब 3600 किलोमीटर दूर लद्दाख में ‘शिनकुन ला टनल’ को बनाने में एक कदम आगे बढ़ा दिया है.

निम्मू-पदम-दारचा सड़क पर ‘कनेक्टिविटी’ स्थापित

सीमा सड़क संगठन (BRO) ने अब लद्दाख में 298 किलोमीटर लंबी निम्मू-पदम-दारचा सड़क पर ‘कनेक्टिविटी’ स्थापित कर ली है. यह मनाली-लेह और श्रीनगर-लेह के बाद रणनीतिक रूप से तीसरी सफलता है. बीआरओ प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन ने बताया, ‘हमने अब इस महत्वपूर्ण धुरी पर कनेक्टिविटी स्थापित कर ली है. जल्द ही हम सड़क पर ब्लैक टॉपिंग का काम शुरू करेंगे. शिनकुन ला सुरंग का निर्माण भी शुरू होने के साथ लद्दाख के लिए तीसरी ऑलवेदर धुरी स्थापित हो जाएगी.’ 298 किलोमीटर लंबी सड़क कारगिल-लेह हाइवे पर दारचा और निम्मू से होते हुए मनाली को लेह से जोड़ेगी.

‘शिनकुन ला टनल’ की खासियत

पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट कमेटी ने पिछले साल फरवरी में सीमा पर 16,558 फीट की ऊंचाई पर शिनकुन ला (दर्रा) टनल को मंजूरी दी थी. 1,681 करोड़ रुपये में बनने वाली इस ट्विन-ट्यूब टनल की लंबाई 4.1 किलोमीटर है. इस टनल का काम दिसंबर 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा. इसके बाद लद्दाख से सभी मौसम में रोड कनेक्टिविटी रहेगी. यह टनल बॉर्डर पर सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम है, क्योंकि इसके बनने के बाद हमारे जवान किसी भी मौसम में सड़क मार्ग के जरिए लद्दाख में बॉर्डर तक पहुंच सकते हैं. किसी भी आपात स्थिति में कुछ ही देर में लद्दाख बॉर्डर तक मदद पहुंचाई जा सकती है.

‘सेला टनल’ की खासियत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी महीने अरुणाचल प्रदेश में ‘सेला टनल’ का उद्घाटन किया था. 13 हजार 700 फीट की ऊंचाई पर बनी इस सुरंग को बनाने में 825 करोड़ रुपये का खर्च आया है. इस प्रोजेक्ट में टनल और सड़कों को मिलाकर कुल लंबाई 12 किलोमीटर है, जिसमें 2 टनल शामिल हैं. पहली टनल सिंगल-ट्यूब है, जो 980 मीटर लंबी है. जबकि, दूसरी टनल डबल-ट्यूब है, जो 1.5 किलोमीटर लंबी है.

सेला सुरंग असम के तेजपुर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग को जोड़ने वाली सड़क पर बनाई गई है. यह टनल रणनीतिक रूप से काफी अहम है, क्योंकि यह लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पास बनी है. इसके बनने के बाद बॉर्डर तक की दूरी लगभग 10 किमी कम हो गई है. टनल के बनने के बाद भारतीय सेना की चीन बॉर्डर तक पहुंच आसान हो गई है. इसके जरिए किसी भी मौसम में सीमा तक मदद पहुंचाई जा सकेगी.

दोनों टनल चीन के लिए क्यों हैं चेतावनी

चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है और लगातार अरुणाचल प्रदेश के अलावा लद्दाख के कई हिस्सों को अपना बताता रहा है. लेकिन, ‘सेला टनल’ और ‘शिनकुन ला टनल’ बनने के बाद भारत की कनेक्टिविटी बढ़ गई है और यह चीन को बड़ी चेतावनी है. इन दोनों टनल की वजह से भारतीय सेना के लिए बॉर्डर तक पहुंचना आसान होगा और इस वजह से चीन की किसी भी एक्शन का तुरंत जवाब दिया जा सकेगा.