पीएम मोदी की नकल करना चाहते थे शहबाज शरीफ, तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने दिखाया ‘औकात’

Shehbaz Sharif wanted to copy PM Modi, Turkish President Erdogan showed 'status'
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अंकारा: तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने तीसरे कार्यकाल के लिए शनिवार को शपथ ली। एर्दोगन के शपथ ग्रहण समारोह में दुनियाभर के कई नेता शरीक हुए, जिसमें पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी शामिल थे। शपथ ग्रहण से ठीक पहले एर्दोगन ने सभी विदेशी मेहमानों के गले लग उनका स्वागत किया। इस दौरान एर्दोगन पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नकल करने की कोशिश की। लेकिन, एर्दोगन ने शहबाज को अनमने ढंग से सिर्फ कंधे से लगाकर दूर कर दिया। इस मुलाकात का वीडियो वायरल हो रहा है। पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया में इसे शहबाज शरीफ की बेइज्जती के तौर पर देखा जा रहा है। शहबाज का मुल्क इस समय गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। ऐसे में वे तुर्किये से पाकिस्तान में निवेश बढ़ाने की गुजारिश कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर उड़ा मजाक

सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि एर्दोगन काफी होशियार हैं। वे जानते हैं कि शहबाज शरीफ क्या करने की कोशिश करने वाले थे। कुछ यूजर्स ने लिखा कि शहबाज शरीफ जबरन एर्दोगन के गले पड़ने की कोशिश कर रहे थे। एक भारतीय यूजर ने कहा कि शहबाज, एर्दोगन के कान में धीरे से पैसे का अनुरोध कर रहे थे, वहीं, तुर्किये के राष्ट्रपति बिना किसी हाव-भाव के उनकी बातें सुन रहे थे।

2003 से तुर्की के राष्ट्रपति हैं एर्दोगन

69 साल के एर्दोगन पिछले हफ्ते हुए राष्ट्रपति चुनाव में पांच वर्षों के नये कार्यकाल के लिए निर्वाचित हुए। वह पिछले 20 साल से तुर्किय की सत्ता पर काबिज हैं। 2003 से तुर्की के राष्ट्रपति हैं। इससे पहले वे तुर्किये के प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं। उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में अमेरिका के बाद सर्वाधिक संख्या में सैनिक रखने वाला देश तुर्किये है, जिसकी आबादी 8.5 करोड़ है। तुर्किये में लाखों की संख्या में शरणार्थी शरण लिये हुए हैं। साथ ही, इस देश ने यूक्रेन के अनाज की ढुलाई से संबद्ध समझौते में मध्यस्थता कर वैश्विक खाद्य संकट को टालने में एक बड़ी भूमिका निभाई थी।

पाकिस्तान तुर्किये की पुरानी दोस्ती

तुर्किये और पाकिस्तान की दोस्ती काफी पुरानी है। 2003 में एर्दोगन के सत्ता में आने के बाद यह दोस्ती और मजबूत हुई है। एर्दोगन को खुले तौर पर पाकिस्तान समर्थक नेता माना जाता है। वे संयु्क्त राष्ट्र के मंच से कई बार कश्मीर पर पाकिस्तान का समर्थन कर चुके हैं। एर्दोगन की इन्हीं नीतियों के कारण तुर्की के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध काफी कमजोर हैं।