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नर्मदापुरम: घर में लकड़ी की टेबल पर कुछ खिलौने रखे हैं। इनमें बंदूक और डॉल (गुड़िया) है। इन्हीं के साथ 9 साल की बच्ची खेलती थी, कूदती थी। अब ये खिलौने ही उसकी यादें हैं, जिन्हें देखकर उसकी मां के आंसू बहने लगते हैं। नर्मदापुरम के केसला गांव में 18 नवंबर को बच्ची के फूफा ने ही दुष्कर्म के बाद गला दबाकर उसकी हत्या कर दी थी। जब हम दुष्कर्म पीड़ित बच्ची के घर पहुंचे तो उसके मां और पिता दोनों थाना गए हुए थे। पुलिस ने बुलाया था बयान लेने के लिए। जब हम थाने पहुंचे ताे देखा कि बच्ची की मां रो-रोकर अपनी बेटी को खोने का दर्द बयां कर रही थी।
जानते हैं मां की जुबानी…
रोज की तरह सुबह उठने के बाद मैं अपने काम पर जाने की तैयारी कर रही थी। मेरी बेटी को ट्यूशन जाना था। मैंने कहा- जाने से पहले खाना खा लेना। कई बार बोलने पर कुछ खाती थी, इसलिए हर दिन उसे हिदायत देकर ही घर से निकलती थी। यह कहकर मैं काम करने चली गई। एक दिन पहले ही हमारे ननदोई घर आए थे। उनसे भी पूछा, लेकिन कुछ बताया नहीं। ननदोई ने ही पुलिस को फोन लगाया और बच्ची के गुम होने की शिकायत की। एक घंटे बाद ही पुलिस भी पहुंच गई। देर रात तक बच्ची को आसपास के गली-मोहल्लों में खोजा, लेकिन नहीं मिली। इसी दौरान मोहल्ले के बच्चों ने बताया कि सुबह वो अपने फूफा के साथ दिखी थी। उनके साथ वो नहीं जाना चाहती थी, लेकिन फूफा ने उसे चॉकलेट के लिए 10 रुपए दिए और फिर अपने साथ लेकर गया।
पुलिस ने सख्ती की, तब बताया- मार डाला उसे
बच्चों से मिली जानकारी के बाद पुलिस ने ननदोई से पूछताछ शुरू की। पहले तो वो शराब के नशे में कुछ नहीं बता पाया। होश में आने पर सख्ती से पूछताछ की गई, तो उसने कहा कि मैंने हत्या की है। रेप का पूछा तो इनकार कर दिया। आखिर में जब पुलिस पीड़िता के शव को बरामद करने पहुंची तो शव अर्धनग्न हालत में पड़ा था। मासूस बेटी के खिलौने। इन्हीं खिलौनों से वो खेला करती थी। मां-बाप अब इन्हीं खिलौनों को देखकर उसे याद करते हैं। मां रो देती है। कहती है- दिल में कसक सी है…काश! अपने हाथों से खाना खिलाकर जाती। उसके चेहरे को चूमकर घर से निकली होती। अब ऐसा नहीं हो सकता।
घर से 10 किलोमीटर दूर हत्या कर फेंका शव
बेटी को साथ घर से 10 किलोमीटर दूर जंगल में ले जाकर ननदोई ने उसके साथ दुष्कर्म किया। फिर पहचान उजागर होने के डर से गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। मेरी बेटी उसके साथ जाने में डर रही थी। हमारे घर के सामने एक मकान में छिप भी गई थी। इसके बाद उसने 10 रुपए दिए और कहा कि चॉकलेट लेने चल रहे हैं। तब मेरी बेटी फूफा के साथ जाने को राजी हुई।उस समय घर के बाहर कोई बड़ा नहीं था, सिर्फ आसपास के बच्चे खेल रहे थे। घर से थोड़ी दूर दुकान पर और फिर गांव के बाहर जाने पर भी किसी ने इसलिए नहीं रोका कि वो अपने फूफा के साथ जा रही थी।
काश! अपने हाथों से खाना खिलाकर जाती
मुझे नहीं पता था कि मैं बेटी काे आखिरी बार देख रही हूं। हमारे परिवार में दो ही बच्चे हैं। बेटी बड़ी थी और बेटा छोटा। बेटी स्कूल से पहले कोचिंग जाती थी। रोज मैं और मेरे पति मजदूरी पर निकल जाते। दादी उसे तैयार कर स्कूल भेजती थीं। उस दिन बेटी ने कहा था कि कोचिंग के बाद स्कूल जाऊंगी, लेकिन वह नहीं जा पाई। बेटी घर की लाड़ली और प्यारी थी। उसके जाने से आंगन सूना हो गया। मेरे ननदोई ने हमारे परिवार की खुशियां छीन लीं।
जिस प्रकार से उसने हमारी बेटी को हमसे छीना। उसके साथ गलत काम किया, उसका गला घोंट दिया। ऐसा करने वाले को मौत की सजा मिले, तभी मेरी बेटी की आत्मा को शांति मिलेगी। जो अपनी पत्नी की सगी भतीजी से घिनौनी हरकत करे, उसे मौत की सजा होनी चाहिए। उसे जीने का हक नहीं। उसे मौत होनी चाहिए, जिसने हमारी हंसती-खेलती मासूम बेटी को तड़पाकर मारा, उसे भी इसी प्रकार सजा मिलनी चाहिए। हमारी मांग है कि खून का बदला खून, मौत का बदला मौत से हो।
फूफा पर शक हुआ तो मौके पर पहुंचे SP
SP गुरकरन सिंह ने बताया कि दोपहर से ही बच्ची की तलाश हो रही थी। रात 11 बजे जब केसला थाना प्रभारी ने बताया कि आरोपी फूफा बच्ची को चॉकलेट दिलाने का बोलकर लेकर गया है, तो तुरंत हमारा शक गहराया। मैं रात में ही केसला के लिए निकला। साथ ही, SDOP महेंद्र सिंह चौहान, पथरौटा, इटारसी, रामपुर और तवानगर थाना प्रभारी, थानों के बल और FSL टीम को भी बुलाया। मैं स्वयं पुलिस टीम के साथ सर्च में जुटा। दो इमरजेंसी लाइट, टार्च के सहारे 5 घंटे चली सर्चिंग के बाद शव को ढूंढा जा सका।