मां की डांट पर 11 साल की उम्र में बेटे ने छोड़ा था घर, 22 साल बाद साधु बनकर भिक्षा लेने पहुंचा गांव

The son left home at the age of 11 after being scolded by his mother, after 22 years he became a monk and went to the village to collect alms.
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रायबरेली: यूपी के रायबरेली जिले में हैरान परेशान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक लड़के ने खेलने-कूदने पर उम्र में घर छोड़ दिया था। घर छोड़ने की वजह पिता और सौतेली मां की डांट थी। 11 साल की उम्र में जो लड़का परिवार को छोड़कर गया था वह 22 साल बाद वापस लौट आया है। युवक के घर लौटने के बाद उसके परिवार में खुशी के साथ-साथ गम का भी माहौल था। खुशी इस बात की थी कि जो बेटा 22 साल पहले चला गया था अब वह वापस आ चुका है, लेकिन गम इस बात का था कि बेटा अब साधु बन चुका था। वह घर केवल भिक्षा लेने के लिए आया था। घर वालों ने बेटे को काफी समझाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माना और वापस अपने सफर की ओर निकल गया। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।

मामला जायस थाना क्षेत्र के खरौली गांव का है। इसी गांव के रहने वाले रतिपाल सिंह अपनी पत्नी और लड़के पिंकू सिंह के साथ दिल्ली में रहते थे। कुछ दिन बाद उनकी पत्नी की मौत हो गई तो उन्होंने भानमुति नामक महिला से दूसरी शादी कर ली। इसके बाद से भी वह पत्नी और बेटे के साथ दिल्ली में ही रह रहे थे। बताते हैं कि 2002 में रतिपाल ने पिंकू को और उसकी दूसरी पतनी ने किसी को लेकर डांट-फटकार दिया था। माता-पिता की डांट से क्षुब्ध 11 साल का रिंकू अचानक घर छोड़कर भाग गया था। रतिपाल ने पिंकू सिंह की काफी खोजबीन की लेकिन कहीं उसका पता नहीं चल पाया।

बेटे के आने की खबर मिलते ही दिल्ली से गांव पहुंचे माता-पिता

22 साल बाद पिंकू जब अपने गांव पहुंचा तो यहां उसकी बुआ और परिवार के अन्य लोागें की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। बुआ ने इसके बाद तुरंत सूचना दिल्ली में पिंकू के माता-पिता को दी। बेटे के वापस आने की खबर मिलते ही माता-पिता भी दिल्ली से गांव पहुंच गए, लेकिन पिंकू को साधु की वेशभूषा में देखकर सन्न रह गए। पिंकू को काफी समझाने का प्रयास किया गया लेकिन उसने किसी की भी बात नहीं सुनी। घर पर कुछ घंटे बिताने के बाद वह वापस अपने गंतव्य की ओर निकल पड़ा।

भजन-कीर्तन करते देखकर रोने लगे घर वाले

11 साल की उम्र में जिस लड़के ने घर छोड़ा था अब वह 33 साल का हो चुका था। फर्क केवल इतना था कि पिंकू ने भगवा वस्त्र धारण कर लिया था। पिंकू जब अपने घर लौटा तो उसने सबसे पहले पूरे गांव की परिक्रमा की। इसके बाद वह अपने घर पहुंचा। घर के बाहर बैठकर पिंकू भजन-कीर्तन करने लगा। सूचना मिलते ही पूरा गांव पिंकू को देखने के लिए उमड़ पड़ा। पिंकू के बगल में उसके परिवार वाले भी बैठे थे। पिंकू को भजन-कीर्तन करता देख उसकी बुआ फूट-फूट कर रोने लगी। इसके बाद पिंकू ने घर पर भिक्षा मांगी और फिर चल दिया।

राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए गया था पिंकू

पिंकू के घर वालों ने बताया कि वह राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए अयोध्या गया था। वहां से लौटते समय पिंकू अपने गांव आ गया। परिजनों के पूछने पर पिंकू ने बताया कि घर से भागने के बाद उसकी मुलाकात दिल्ली के एक साधु से हो गई थी। तब से वह उन्हीं के साथ रहने लगा और सन्यासियों जैसे जीवन भी व्यतीत करने लगा। 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए अयोध्या पहुंचा। वापसी में वह भिक्षा लेने के लिए घर आ गया।

चोट का निशान देखकर दादी ने की पहचान

साधु बनकर पिंकू जब अपने गांव में भिक्षा लेने पहुंचा तो दादी ने पहचान की। दादी ने पिंकू के शरीर पर चोट का निशाना देखा तो बचपन में पिंकू को लगा था। पिंकू की दादी ने बताया कि पिंकू ने उन्हें देखते ही पहचान लिया था। इसके बाद पिंकू ने सबको भजन सुनाया, जिसे सुनकर सभी रोने लगे।