झुकती है दुनिया, झुकाने वाला चाहिए… समझिए क्यों G-20 की मेजबानी भारत के बढ़ते रुतबे की गवाही है

The world bows, the one who bows down... Understand why hosting G-20 is a testimony to India's rising status
The world bows, the one who bows down... Understand why hosting G-20 is a testimony to India's rising status
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नई दिल्‍ली: भारत की इमेज पिछले कुछ सालों में बिल्‍कुल बदल गई है। वह लगातार तरक्‍की की तरफ कदम बढ़ा रहा है। उसे पूरी दुनिया ‘ब्राइट स्‍पॉट’ यानी चमकते सितारे की तरह देख रही है। जब हर जगह मंदी (Slowdown) का साया है, भारत की अर्थव्‍यवस्‍था कुलांचे मार रही है। हाल में ब्रिटेन को पछाड़ भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था (Indian Economy) बन गया है। अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर उसका रुतबा लगातार बढ़ रहा है। अब वह दुनिया के 20 सबसे शक्तिशाली देशों के समूह जी20 की मेजबानी करने वाला है। अगले साल 9 और 10 सितंबर को यह बैठक होगी। हालांकि, भारत ने इसे भी अपने अंदाज में आयोजित करने का मन बनाया है। जी20 के सदस्‍य देशों के अलावा वह इसमें मित्र देशों को भी इनवाइट करेगा। इनमें बांग्‍लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नाइजीरिया, नीदरलैंड्स, ओमान, स्‍पेन, सिंगापुर और संयुक्‍त अरब अमीरात गेस्‍ट होंगे। कुल अंतरराष्‍ट्रीय कारोबार में जी20 देशों की हिस्‍सेदारी 75 फीसदी है। ग्‍लोबल जीडीपी में इस समूह का हिस्‍सा 85 फीसदी है।

भारत एक दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक एक साल के लिए जी20 के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालेगा। वह अगले साल 9 और 10 सितंबर को जी20 के वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। इस दौरान समूह की 200 से ज्‍यादा बैठके हो सकती हैं। भारत इन सभी को होस्‍ट करेगा। इस बारे में विदेश मंत्रालय ने भी बताया है। उसके मुताबिक, भारत अपनी अध्यक्षता में दिसंबर 2022 से देशभर में जी20 की 200 से ज्‍यादा बैठकों की अध्यक्षता करेगा। राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों के स्तर पर जी20 नेताओं का शिखर सम्मेलन 9 और 10 सितंबर, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित होगा। जी20 या ‘ग्रुप ऑफ 20’ दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का समूह है। इसमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं। ग्‍लोबल जीडीपी का 85 फीसदी, अंतरराष्ट्रीय व्यापार का 75 फीसदी और विश्व जनसंख्या का दो-तिहाई हिस्सा सामूहिक रूप से इन जी20 देशों से मिलकर बना है।

अपने स्टाइल में जी-20 बैठक आयोजित करेगा
परंपरा रही है कि जी20 की अध्यक्षता करने वाला देश सदस्यों के अलावा कुछ अतिथि देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को समूह की बैठकों और शिखर सम्मेलन में आमंत्रित करता है। इसके तहत भारत अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अलावा बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात को अतिथि देशों के रूप में आमंत्रित करेगा। यानी वह अपने अंदाज में इसे आयोजित करेगा।

20जी शिखर सम्‍मेलन की मेजबानी दुनिया में भारत के बढ़ते रुतबे की निशानी है। वह अपनी धमक से सबका ध्‍यान खींच रहा है। हाल ही में ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए उसने दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था में जगह बना ली है। अब वह सिर्फ अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी से पीछे है। भारतीय स्‍टेट बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, 2029 तक वह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बन जाएगा। 2027 तक उसके जर्मनी और 2029 तक जापान से आगे निकल जाने का अनुमान है।

आज दुनिया के तमाम देशों पर मंदी का साया मंडरा रहा है। अमेरिका और चीन हांफ रहे हैं। दूसरी बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं की भी यही हालत है। तब भारत तेज आर्थिक विकास के र‍थ पर सवार है। चालू वित्‍त वर्ष की पहली तिमाही में उसने 13.5 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की है। पूरी दुनिया की निगाहें उस पर टिक गई हैं। दुनिया उम्‍मीद कर रही है कि उसे कोई मंदी की खोह में जाने से कोई बचा सकता है तो सिर्फ भारत ही है। वह दुनिया की ग्रोथ का इंजन बनने की ताकत रखने लगा है। यही कारण है कि पूरी दुनिया आज उसे तवज्‍जो देने लगी है।

पूरी हनक के साथ ले रहा फैसले
वह पूरी हनक के साथ अपने फैसले ले रहा है। इसमें वह किसी भी दबाव में नहीं आ रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध में भी उसने दिखाया है कि वह किसी के दबाव में नहीं आने वाला है। वह सबसे पहले अपनी बेहतरी को देखेगा। यूरोप और अमेरिका की आपत्ति के बावजूद उसने रूस से सस्‍ते तेल का आयात शुरू कर दिया है। जब पूरी दुनिया असमंजस में पड़ गई कि यूक्रेन मसले पर उसे अमेरिका और यूरोप के खेमे के साथ खड़े होना है या रूस के साथ तो उसने दो-टूक फैसला लिया। वह किसी भी खेमे में नहीं गया। इस दौरान उसने अपना रुख तटस्‍थ रखा। उसने न तो रूस के साथ अपने संबंध बिगाड़े न ही अमेरिका और यूरोप के साथ।

आज पूरी दुनिया भारत की अहमियत को समझती है। वह जानती है कि भारत जो कहता है वह करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित बनाने का महत्‍वाकांक्षी लक्ष्‍य रखा है। भारत के तेवर जिस तरह के हैं, उससे आज कुछ भी नामुमकिन नहीं दिखता है। दुनिया को महसूस होने लगा है कि भारत एक ऐसा देश है जहां उसका निवेश सुरक्षित है। इसकी वजह नीतियों में स्‍पष्‍टता और पारदर्शिता है। यही कारण है कि वो बेझिझक भारत में कारोबार के अवसर तलाश रहे हैं।