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कोरबा. छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले का सीमावर्ती पसान क्षेत्र हाथियों के आतंक से दहशत में है. यह इलाका तीन तरफ से हाथियों से घिर गया है. वन विभाग की उपेक्षा के कारण ग्रामीण अब खुद की अपनी सुरक्षा का जिम्मा उठा चुके हैं. साल भर के धान को हाथी से बचाने के लिए वे उसे सुरक्षित स्थान पर ले जा रहे है. वहीं इस दौरान ग्रामीण हाथियों के आतंक से बचने खुद की मशाल और पटाखे का उपयोग कर रहे हैं. इस संबंध में वन विभाग के अधिकारियों की अलग ही दलील है.
कोरबा और पेंड्रा जिले के सीमा से सटा पसान क्षेत्र जंगली हाथियों के कारण बुरी तरह से प्रभावित है. इस क्षेत्र में हाथियों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि तीन क्षेत्रों से यह घिर गया है. ग्राम खमरिया के जंगल में 24 हाथी डेरा डाले हुए. सेंहा में 17 जबकि मोहनपुर में 12 हाथी विचरण कर रहे हैं. हाथियों की आमदगी के कारण ग्रामीण खुद को काफी मजूबर पा रहे हैं. वन विभाग पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए ग्रामीण साल भर के धान की फसल को सुरक्षित स्थान पर ले जा रहे हैं.
ग्रामीणों ने संभाला मोर्चा
पसान क्षेत्र में हाथियों का आतंक किस कदर बढ़ गया है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वन विभाग ने जब पहल नहीं की तब ग्रामीणों ने खुद ही मोर्चा संभाला और हाथों में मशाल लेकर पटाखों की सहायता से खदेड़ने में लगे हुए हैं. हालांकि ग्रामीणों की यह हरकत हाथियों को उग्र कर सकती है और इसके विपरित परिणाम सामने आ सकते हैं, लेकिन विभागीय अधिकारी इससे इत्तेफाक नहीं रखते. वन परिक्षेत्र अधिकारी धर्मेन्द्र चौहान कहना है कि ग्रामीण अपनी सुरक्षा के लिए यह सब कर रहे हैं, लेकिन वन विभाग भी सतर्क है और उनकी चहलकदमी पर नजर जमाए हुए है.
बहरहाल बताया जा रहा है कि मरवाही क्षेत्र में दो लोगों को मौत के घाट उतारने वाला लोनर हाथी भी पसान क्षेत्र के तराईमार पहुंच गया है, जिससे ग्रामीणों की परेशानी और भी बढ़ गई है. पिछले दिनों ही एक हाथी ने खमरिया में रहने वाले एक ग्रामीण की जान ली थीख् जिससे यहां के ग्रामीण दहशतजदा हैं और वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगा रहे है.