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राजनांदगांव. छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर दूर मानपुर ब्लॉक में बसा एक छोटा सा सीता गांव है. यहां की महिलाओं को पीरियड के दौरान गांव के बाहर बने एक छोटी से झोपड़ी में 5 से 7 दिन बिताने पड़ते हैं. इन्हें अपने घर से निकाल कर उसी छोटी सी झोपड़ी में रखा जाता है. माहवारी का समय पूरा हाेने के बाद महिलाएं अपने घर आती हैं. इन महिलाओं को पीरियड के दौरान उस झोपड़ी में घर वाले ही खाना और पानी पहुंचाते हैं और यह महिलाएं और बालिकाएं ठंडी गर्मी बरसात या जो भी मौसम हो छोटी से झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं.
सीता गांव की महिला रमनी बाई का कहना है कि झोपड़ी के आस पास गन्दगी का अंबार है. बालिकाओं को पीरियड के दौरान केयर करने की जरूरत होती है. उस दौरान ये बालिकाएं झोपड़ी में अकेले रहती हैं. गांव के पटेल दुरघु राम कुरेटी का कहना है कि यह हमारी बरसों पुरानी परंपरा है. जिसके कारण हम महिलाओं और बच्चियों को उस झोपड़ी में घर से बाहर भेज देते हैं और उस झोपड़ी में यह महिलाएं पीरियड कंप्लीट होते तक रहती हैं.
इसलिए रखते हैं बाहर
गांव के पटेल दुरघु का कहना है कि घर में देवी देवताओं की पूजा होती है और घर में हमारे देवता वास करते हैं. इसलिए पीरियड के दौरान महिलाओं को वहां भेज दिया जाता है. क्योंकि महिलाएं पीरियड के दौरान अशुद्ध रहती हैं. बता दें कि राजनांदगांव जिले के मानपुर ब्लॉक के कई गांव में यह प्रथा अभी भी बदस्तूर जारी है और प्रशासनिक कुछ प्रयास के बाद भी यह प्रथा नहीं बंद हो पाई है. शासन प्रशासन द्वारा समय-समय पर शिविर लगाकर जागरुकता फैलाने की कोशिश की जाती है, लेकिन उसका कोई फायदा होता फिलहाल नजर नहीं आ रहा है.