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गाजीपुर। मुख्तार अंसारी की मौत हो चुकी है। मुख्तार बांदा जेल में 3 साल से बंद था। 2 दिन पहले ही तबीयत खराब होने की शिकायत पर उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। आज अचानक से तबीयत गंभीर होने की स्थति में डॉक्टर फिर से मुख्तार को हॉस्पिटल ले गए जहां उसे बचाया नहीं जा सका। मुख्तार की मुख्यमंत्री योगी के साथ भी अदावत हो चुकी है। आइए उस कहानी को जानते हैं जब योगी के काफिले पर मुख्तार ने हमला कराया था…
साल 2005 में मऊ में दंगा हुआ। दंगे का आरोप माफिया डॉन मुख्तार अंसारी पर लगा। इन दंगों के एक साल बाद साल 2006 में गोरखपुर से तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार अंसारी को चुनौती दी थी कि वह मऊ दंगे के पीड़ितों को इंसाफ दिलाएंगे। जब वह गोरखपुर से मऊ जिले के लिए निकले तो उन्हें दोहरीघाट में ही रोक दिया गया था।
ठीक 2 साल बाद साल 2008 में योगी आदित्यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी के लीडरशिप में एलान किया कि वो आजमगढ़ में आतंकवाद के खिलाफ रैली निकालेंगे। दिन तारीख और जगह दोनों तय हो गई। तारीख थी 7 सितंबर 2008। जगह-डीएवी कॉलेज का मैदान। सीएम योगी उसमें मुख्य स्पीकर थे। रैली की सुबह, गोरखनाथ मंदिर से करीब 40 वाहनों का काफिला निकला। उन्हें आजमगढ़ में विरोध की पहले से ही आशंका थी, इसीलिए सीएम योगी की टीम पहले से ही तैयार थी।
सीएम योगी के काफिले पर हो चुका था हमला
योगी के काफिले में योगी की लाल रंग की एसयूवी सातवें नंबर पर थी। शहर के करीब पहुंचते ही तकरीबन 100 चार पहिया और सैकड़ों की संख्या में बाइक भी जुड़ चुकी थीं। एक पत्थर काफिले में मौजूद सातवीं गाड़ी यानी सीएम योगी के गाड़ी पर लगा। योगी के काफिले पर हमला हो चुका था। हमला सुनियोजित था।
जहां प्रशासन फेल वहां मुख्तार खुली जीप में घूमता था
पूर्व पुलिस अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया, ”जब मऊ का दंगा हुआ था उस वक्त मुख्तार अंसारी खुली जीप में घूमता था। जहां पुलिस प्रशासन सब फेल हो रहा हो वहां मुख्तार खुली जीप में घूम रहा था। उस समय सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से वहां दौरा करने के लिए आ रहे थे।”
योगी के काफिले पर बम फेंका गया जान से मारने के लिए
पूर्व पुलिस अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया, “क्योंकि एकतरफा कार्रवाई हो रही थी तो योगी के काफिले पर बम फेंका गया जान से मारने के लिए। संयोग था कि उन्होंने गाड़ी बदल दी थी, नहीं तो उस वक्त बहुत बड़ा हादसा हो जाता। समझा जा सकता है कि मुख्तार का कितना मन बढ़ा हुआ था।”
उन्होंने आगे बताया, ”जेल में जब मुख्तार गया तो बड़े-बड़े वरिष्ठ अधिकारी उसके साथ जाकर बैडमिंटन खेलते थे। वहां दरबार लगता था। जेल से बाकायदा इनकी सरकार चलती थी। बाहर के ठेके-पट्टे, किडनैपिंग और तमाम उलटे-सीधे काम सब वहीं से चलते थे।”
पंजाब से शूटर करते थे मुख्तार के लिए काम
पूर्व पुलिस अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया, “मुख्तार केवल कहने के लिए था कि जेल में हैं। वहां से इसका पूरा गैंग ऑपरेट किया जाता था। जब उत्तर प्रदेश में योगी जी आ गए तो इनको लगा कि यहां खतरा है तो झूठे केस में ये पंजाब चले गए और वहां ऐश करने लगे। इनके बहुत से शूटर पंजाब के थे।”