असली मर्द कभी नहीं करता ये चीजें, तभी तो औरतें तक करती हैं उसका सम्मान

इस खबर को शेयर करें

‘असली मर्द है तो’… ये वाक्य सिर्फ आपने फिल्मों में ही नहीं बल्कि आम जीवन में भी कई लोगों के मुंह से निकलता सुना होगा। ये शब्द किसी पुरुष को सबसे ज्यादा ट्रिगर भी करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके दिमाग में बचपन से ही एक छवि डाल दी जाती है, जो ये तय करती है कि वो असली मायनों में मर्दाना हैं या नहीं।

हालांकि, इनमें से कुछ बातें बेहद टॉक्सिक होती हैं, जो मर्दानगी नहीं बल्कि क्रूर व्यक्ति को परिभाषित करती हैं। सच तो ये है कि जो असली मस्क्युलिन होते हैं, उन्हें नकारात्मकता पर निर्भर रहने की जरूरत ही नहीं पड़ती है। बल्कि उनके तो साकारात्मक गुण ऐसे होते हैं, जिनका औरतें तक सम्मान करती हैं। ऐसे ही कुछ गुणों के बारे में यहां पर बताया गया है।

अपने से कमजोर को दबाने की कोशिश
असली मर्द कभी भी अपनी ताकत को साबित करने के लिए अपने से कमजोर को दबाने या उन्हें शोषित करने की कोशिश नहीं करता है। इसके उलट वो तो उनकी मदद करता है।

वो उनके साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ बोलता है और उनके जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश करता है। उसे इस बात का डर नहीं होता कि कहीं कमजोर व्यक्ति उसके बराबर तक न पहुंच जाए। उसके लिए ये ज्यादा मायने रखता है कि उसने अगर कमजोर की मदद नहीं की तो वो खुद को क्या जवाब देगा?

बच्चे, महिला और कमजोर पर हाथ उठाना
अक्सर देखा जाता है कि शादीशुदा जीवन, रिश्तेदारी या फिर आम सामाजिक जीवन में कुछ पुरुष अपनी शारीरिक शक्ति का दुरुपयोग करते हैं। वो बच्चों, महिला, बड़े-बूढ़ों और किसी भी रूप में शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति पर हाथ उठाते हैं।

इसके जरिए वो उनके मन में डर पैदा करते हैं। दूसरों को उनसे खौफ खाना उन्हें काफी पसंद आता है, क्योंकि ये उनके अहंकार को बढ़ाने में मदद करता है।

सच तो ये है कि असली मर्द को अपनी मर्दानगी साबित करने के लिए किसी को डराने की जरूरत नहीं पड़ती। बल्कि उनके लिए तो दूसरे के मन में अपने लिए सम्मान का भाव होना ज्यादा अहमियत रखता है।

भावनाएं जाहिर न करना
‘लड़के रोते नहीं’, इस बात को छोटी उम्र से ही लड़कों के मन में इस कदर बैठा दिया जाता है कि वो बड़े होने पर भी अपनी भावनाओं को कभी जाहिर नहीं करते। पर सच्चे मर्द भावना से भागते नहीं हैं। वो इन्हें कमजोरी नहीं मानते। बल्कि इससे उलट वो तो अपनी भावनाएं गर्व के साथ जाहिर करते हैं।

दूसरे क्या सोचेंगे
असली मर्द सही चीजें करने से पहले ये नहीं सोचते कि लोग क्या कहेंगे! उनके लिए तो बस सही का साथ देना और गलत को न सहना ही मायने रखता है। वो अपने काम को दूसरों के द्वारा प्रमाणीकरण किए जाने का इंतजार नहीं करते।