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नई दिल्ली: दो साल पहले का दौर याद कीजिए, पाकिस्तान और चीन में अलग ही लेवल की दोस्ती देखी जा रही थी। पीओके से गुजरने वाले CPEC से दोनों देश ‘क्रांति’ की बातें कर रहे थे लेकिन कोरोना काल में ऐसा पासा पलटा कि दोनों देश रास्ते पर आ गए। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से आतंकवाद को लेकर जोरी टॉलरेंस की नीति पर देश आगे बढ़ रहा है। पाकिस्तान से साफ कह दिया गया कि बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते। बीच में संबंध सुधारने की पहल भी हुई लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया क्योंकि चीन उसे शह दे रहा था। अब मौजूदा हालात में भारत की कूटनीति के आगे बुरी नजर रखने वाले दोनों पड़ोसी ‘नतमस्तक’ हो गए हैं। जी हां, आतंकवाद के मोर्चे पर पाकिस्तान के खिलाफ भारत को बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल हुई है। संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान में पल रहे आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा के डेप्युटी चीफ अब्दुल रहमान मक्की को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया है। चीन ने भी भारत का साथ दिया। उधर, ‘कंगाली’ की कगार पर पहुंचा पाकिस्तान भारत से बातचीत की गुहार लगा रहा है।
भारत की बात चीन की समझ में आई
संयुक्त राष्ट्र से आई यह खबर भारत के लिहाज से महत्वपूर्ण है क्योंकि अब तक भारत की बात चीन को समझ में नहीं आ रही थी। वह बार-बार पाकिस्तानी आतंकियों को बचाने के लिए अड़ंगा लगा रहा था। अब ड्रैगन ने रवैया बदला तो परिणाम सबके सामने है। एक कूटनीतिक दांव से मक्की को ‘मसलने’ का फैसला हो गया। इस आतंकी को काली सूची में डालने के लिए भारत और अमेरिका काफी समय से प्रयास कर रहे थे। कुछ घंटे पहले ‘दीवार’ बनकर खड़ा चीन पीछे हट गया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति ने 68 साल के मक्की को घोषित आतंकवादियों की सूची में शामिल कर दिया है। अब मक्की की संपत्ति जब्त की जा सकेगी, उसकी यात्रा पर पाबंदी लगने के साथ ही हथियार भी नहीं मिलेगा।
पाकिस्तान के बुरे हालात
दरअसल, कोरोना काल में जो दो साल का वक्त गुजरा है, उसने न सिर्फ इंसानों बल्कि वैश्विक हालात को भी प्रभावित किया है। आज की तारीख में आप भारत, पाकिस्तान और चीन की हालत देखिए। कोरोना से भारत में भी मौतें हुईं पर जल्द ही पावरफुल वैक्सीनों का प्रोटेक्शन मिलने से हालात पर काबू पा लिया गया। आतंकियों को पालने वाला पाकिस्तान कोरोना में पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है। हालत यह है कि हथियारों की फिक्र छोड़ पाकिस्तान रोटी के लिए मोहताज है। भारी भरकम कर्ज और खाली हो चुके विदेशी मुद्रा भंडार ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया है। जलवायु परिवर्तन के बहाने पाकिस्तान दुनिया से मदद मांग रहा है। देश में आटे की भारी कमी है और खरीदने के लिए पाकिस्तान के पास पैसे ही नहीं हैं। दुनिया में किसी भी दो देशों के संबंध पारस्पिक लाभ की बुनियाद पर बनते हैं लेकिन ‘कंगाल’ देश की मदद भले की जाए उससे उम्मीद नहीं होती। शायद पाकिस्तान की दुर्गति देख चीन को यह बात समझ में आ गई है। खुद पाक पीएम शहबाज शरीफ भारत से बातचीत के लिए व्याकुल दिख रहे हैं।
भारत का बढ़ रहा कद
चीन पहले से ही कई महीनों से कोरोना की मार से बेहाल है। उसका पूरा तंत्र गड़बड़ा गया है। लाखों की संख्या जानें गई हैं। उसने आंकड़े छिपाए लेकिन अस्पतालों में शवों की तस्वीरें झूठ नहीं बोलतीं। इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘आपदा में अवसर’ खोजने के मंत्र के साथ आगे बढ़ता भारत आज कोरोना काल के बाद भी बेहतर स्थिति में है। दुनिया में उसका कद बढ़ रहा है। अमेरिका खुलेआम भारत की ‘जय जय’ कर रहा है। दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और पावरफुल जी-20 समूह के अध्यक्ष भारत के बारे में अमेरिका ने भविष्यवाणी की है कि 2023 भारत का होगा। वाइट हाउस में हिंद प्रशांत क्षेत्र के समन्वयक कुर्ट कैंपबेल ने हाल में कहा था कि इस साल अमेरिकी कूटनीति में भारत पर बड़ा फोकस रहेगा। पूरी दुनिया आज भारत को विकासशील देशों की सशक्त आवाज के तौर पर देख रही है। कोरोना काल में पीएम मोदी के नेतृत्व में दुनिया ने भारत की लीडरशिप को देखा। भारत ने कई देशों को वैक्सीन सप्लाई की और मदद भेजी।
चीन का मूड कैसे बदला
शायद आपके मन में सवाल उठ रहे हों कि जो चीन बॉर्डर पर युद्ध की तैयारी करता दिख रहा हो, डोकलाम-गलवान के बाद अरुणाचल में दुस्साहस किया हो, अचानक से वह पाकिस्तान की दोस्ती भूल भारत की बात क्यों मान बैठा? संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत रहे सैयद अकबरुद्दीन ने इस सवाल का जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि मक्की को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव से चीन ने रोक हटाने का फैसला इसलिए किया क्योंकि वह दुनिया में खुद को अलग-थलग नहीं करना चाहता। अकबरुद्दीन ने कहा, ‘चीन जैसा देश आतंकियों के रक्षक के रूप में क्यों दिखना चाहेगा?’ उन्होंने साफ कहा कि चीन अब तक पाकिस्तान के इशारे पर करता आ रहा था लेकिन उसकी भी कुछ सीमाएं हैं और वह उससे आगे पाकिस्तान के चक्कर में अपने हितों के साथ समझौता नहीं करेगा। पूर्व राजनयिक ने कहा कि चीन अब आतंकवाद से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए तैयार है। भारत को उम्मीद है कि वह सीमा मुद्दे पर चिंताओं को भी दूर करेगा।
आज के समय में अमेरिका और चीन में टकराव बढ़ा है। ताइवान और गलवान जैसे मुद्दों पर अमेरिका उसके विरोध में खड़ा दिखा। अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत क्वॉड का सदस्य है जिसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की हरकतों पर अंकुश लगाने के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वैसे भी, जी-20 के चलते पूरी दुनिया की नजर भारत पर है। देश में सितंबर के महीने में नई दिल्ली में जी-20 देशों का सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। यहां अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन समेत दुनिया के दिग्गज नेता पहुंचेंगे।
अब तक चीन को शायद लग रहा था कि अमेरिका और रूस को बैलेंस करने के चक्कर में शायद भारत हालात को न संभाल पाए लेकिन भारत ने अमेरिका ही नहीं यूरोप समेत पूरी दुनिया के सामने अपने हितो को तवज्जो दी। भारत आज के समय में अपने पुराने मित्र देश रूस से बेझिझक हथियार और तेल खरीद रहा है। अमेरिका भी भारत से संबंध बिगाड़ना नहीं चाहता इसलिए उसने भी भारत-रूस संबंधों पर आंख मूंदना ही बेहतर समझा। अमेरिका चाहता था कि यूक्रेन युद्ध के लिए भारत रूस की कड़ी आलोचना करे लेकिन पीएम मोदी ने दोनों देशों के राष्ट्रपतियों से बातकर शांति का आह्वान किया। यही वजह है कि चीन पाकिस्तान को पीछे छोड़ अपने हितों के बारे में सोच रहा है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि फिलहाल टाइम भारत का है।
यह भारत की बढ़ती ताकत ही है कि यूएन में 7 महीने से जो चीन मक्की को बचा रहा था, उसने अपने हाथ हटा लिए। 15 में से 14 देश भारत के प्रस्ताव के सपोर्ट में पहले से थे। नया साल आया और यूएन में भी भारत की चली। हालांकि आतंकियों की लिस्ट लंबी है जिसे चीन की मदद से यूएन में बचाया जा रहा है। अब उनका बचना भी मुश्किल है। पाकिस्तान की बर्बादी और भारत का बढ़ता दबदबा देख अपनी अर्थव्यवस्था बचाने के लिए चीन को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा है। 2022 में चीन की जीडीपी ग्रोथ 3% पर सिमट गई। जबकि टारगेट 5 के ऊपर था। यह 48 साल में चीन की सबसे कम ग्रोथ है।