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नई दिल्ली: डिफॉल्ट होने के कगार पर पहुंच चुके अमेरिका की हालत दिन-ब-दिन खस्ता होती जा रही है। दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी की रोजाना की कमाई 13 अरब डॉलर रह गई है जबकि खर्च 17 अरब डॉलर से ज्यादा पहुंच गया है। हालत यह हो गई है कि सरकार के खाते में केवल 49 अरब डॉलर रह गए हैं। इस हफ्ते यूएस ट्रेजरी के कैश बैलेंस में 20 अरब डॉलर की कमी आई है। ट्रेजरी मिनिस्टर जेनेट येलेन (Janet Yellen) ने चेतावनी दी है कि अगर डेट सीलिंग की लिमिट नहीं बढ़ाई गई तो एक जून को देश डिफॉल्टर बन जाएगा। डेट लिमिट बढ़ाने के लिए रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक नेताओं के बीच बातचीत चल रही है लेकिन अब तक इस पर कोई डील नहीं हो पाई है। इस बीच रेटिंग एजेंसी फिच (Fitch) ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी की टॉप रैंकिंग पर असर पड़ सकता है।
जानकारों का कहना है कि अगर अमेरिका डिफॉल्ट करता है तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा और ग्लोबल इकॉनमी मंदी की चपेट में आ सकती है। इससे अमेरिकी सरकार और लोगों के लिए बोरोइंग की कॉस्ट बढ़ जाएगी। इसका देश की इकॉनमी पर भी व्यापक असर देखने को मिलेगा। डेट लिमिट वह सीमा होती है जहां तक फेडरल गवर्नमेंट उधार ले सकती है। 1960 से इस लिमिट को 78 बार बढ़ाया जा चुका है। पिछली बार इसे दिसंबर 2021 में बढ़ाकर 31.4 ट्रिलियन डॉलर किया गया था। लेकिन यह इस सीमा के पार चला गया है।