लौट के बुद्धू घर को आए? बिहार में ‘R’ को छोड़ फिर से ‘M’ पर ही दांव लगाएंगे तेजस्वी!

Did the fool return home? Leaving 'R' in Bihar, Tejashwi will again bet on 'M' only!
Did the fool return home? Leaving 'R' in Bihar, Tejashwi will again bet on 'M' only!
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पटना: बिहार के डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव ( Tejashwi Yadav ) अपने पिता की राह पर चलेंगे? ‘A टु Z’ की बात करने वाले तेजस्वी पापा लालू यादव ( Lalu Yadav ) की तरह बिहार में ‘M-Y’ की सियासत करेंगे? दरअसल, आज की तारीख में आरजेडी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है ‘M-Y’ समीकरण को अटूट रखना। शायद यही कारण है कि तेजस्वी यादव भले ही ‘A टु Z’ की बात करते हैं लेकिन अब वे ‘R’ ( राजपूत ) को छोड़ ‘M’ ( मुस्लिम ) पर दांव लगाएंगे और उनकी पार्टी बिहार में M-Y की सियासत करेगी। दरअसल, तेजस्वी मुस्लिम से इतर राजपूत पर हाथ आजमा रहे थे, लेकिन जब मुस्लिम वोट बैंक बिखरने लगा तो रणनीति बदलने पर उतारू दिख रहे हैं। कहा जा रहा है कि जगदानंद की जगह अब्दुल बारी सिद्दिकी को प्रदेश अध्यक्ष की कमान दी जाएगी। वो कहते हैं ना- लौट के बुद्धू घर को लौटा।

दरअसल, हाल के दिनों में हुए उपचुनावों में मुस्लिम मतों में बिखराव हुआ है। शायद आरजेडी के थिंक टैंक भी इसको लेकर परेशान है। खास कर बिहार की सियासत में जब से ‘ओवैसी फैक्टर’ आया है, तब से सबसे अधिक आरजेडी को ही नुकसान हुआ है। कहा तो ये भी जा रहा है कि अगर 2020 विधानसभा चुनाव में ओवैसी फैक्टर नहीं होता तो तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री होते। सीमांचल इलाके में आरजेडी को जो नुकसान हुआ वह अब बिहार के अन्य क्षेत्रों में भी दस्तक देने लगा है।

हाल ही में गोपालगंज में हुए उपचुनाव में आरजेडी की हार हुई थी। आरजेडी के नेता खुलकर कहते हैं कि अगर एआईएमआईएम नहीं होती तो आरजेडी जीत जाती। ओवैसी की पार्टी AIMIM के खाते में 12 हजार मत जाना आरजेडी उम्मीदवार की हार का कारण बना। यही नहीं, कुढ़नी में भी ओवैसी ने उम्मीदवार खड़ा कर महागठबंधन की मुश्किल बढ़ा दी है।

‘M-Y’ की सियासत करेंगे तेजस्वी यादव?
खबर है कि आरजेडी प्रमुख लालू यादव सिंगापुर जाने से पहले पार्टी में बड़ा फेरबदल करने वाले हैं। बताया जा रहा है कि ‘M-Y’ समीकरण को ध्यान में रखकर संगठन में बड़े स्तर पर बदलाव होने वाला है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जगदानंद सिंह की छुट्टी कर उनकी जगह अब्दुल बारी सिद्दीकी को जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके अलावा सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखकर लालू यादव के खास भोला यादव को प्रधान महसचिव बनाया जाएगा।

सुधाकर प्रकरण के बाद नाराज चल रहे जगदानंद सिंह
दरअसल, कृषि मंत्री सुधाकर सिंह का जिस तरह से इस्तीफा लिया गया, तब ही से जगदानंद सिंह नाराज चल रहे हैं। यूं कहें तो लालू यादव और उनके परिवार से वे ‘दूर’ हो गए। हालांकि पार्टी नेताओं को उम्मीद थी कि लालू यादव उन्हें मना लेंगे। शायद लालू यादव ने उन्हें मनाने की कोशिश ही नहीं की! दरअसल, जगदानंद सिंह 45 दिनों से अधिक समय से आरजेडी के प्रदेश कार्यालय नहीं आए हैं। आरजेडी के कुछ लोग जहां उनके बेटे सुधाकर सिंह के मंत्री पद से हटाए जाने के बाद उनकी नाराजगी की बात कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग उनके स्वास्थ्य का हवाला दे रहे हैं।

लालू के सिंगापुर जाने के पहले प्रदेश नए अध्यक्ष के नाम की होगी घोषणा
इधर, खबर है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के सिंगापुर जाने के पहले बिहार प्रदेश के नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा संभव है। जानकारी के अनुसार, किडनी ट्रांसप्लांट के लिए लालू यादव 23 या 24 नवंबर को सिंगापुर जाने वाले हैं। संभावना ये भी है कि डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव भी उनके साथ सिंगापुर जाएं। ऐसे में बिहार आरजेडी अध्यक्ष को लेकर ऊहापोह की स्थिति समाप्त हो सकती है। माना जा रहा है कि इस बार लालू यादव सिंगापुर लंबे समय तक रह सकते हैं।

तो बदलाव की ओर है आरजेडी
दरअसल, वर्तमान में बिहार की सियासत बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है। लालू यादव और नीतीश कुमार की राजनीति का पटाक्षेप होना है और तेजस्वी का शुभारंभ। सामने 2024 का लोकसभा और 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव है। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष का पद ज्यादा दिन तक खाली नहीं रखा जा सकता। ऐसे में तेजस्वी यादव अब्दुल बारी सिद्दीकी पर दांव लगाने की तैयारी में हैं। खबर है कि लालू यादव ने भी हामी भर दी है।

सिद्दीकी ही क्यों?
अब सवाल उठता है कि तेजस्वी यादव अब्दुल बारी सिद्दीकी पर ही दांव क्यों लगाना चाहते है? इसका सबसे बड़ा कारण है कि सिद्दीकी का अनुभव। दूसरी ओर बिहार में महागठबंधन की सरकार चल रही है। ऐसे में नीतीश कुमार को भी तेजस्वी साधना चाहते हैं। बताया जाता है कि सिद्दीकी नीतीश कुमार की भी पसंद हैं और लालू यादव के आजमाए हुए भी। ऐसा इसलिए कि जब आरजेडी सबसे बड़ी टूट हुई तो सिद्दीकी आरजेडी के साथ ही रहे और आज भी पार्टी और परिवार के साथ हैं।