हरियाणा सरकार को केन्द्र से प्रदूषण पर लगी फटकार; CM खट्टर ने अफसर तलब किए

Haryana government reprimanded by the Center on pollution; CM Khattar summoned officers
Haryana government reprimanded by the Center on pollution; CM Khattar summoned officers
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चंडीगढ़: हरियाणा की प्रमुख घग्गर और यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण पर केंद्र ने फटकार लगाई है। इसके बाद हरियाणा CM मनोहर लाल ने नदियों में प्रदूषण को लेकर समीक्षा शुरू कर दी है। जल्द ही हरियाणा घग्गर को लेकर हिमाचल प्रदेश और यमुना को लेकर उत्तराखंड सरकार के साथ बैठकें करेगा। CM ने अफसरों को इसके लिए व्यापक प्लानिंग बनाने के निर्देश दिए हैं।

इन क्षेत्रों में हो नदियों के पानी का प्रयोग
यमुना कार्य योजना की समीक्षा बैठक में CM मनोहर ने नदियों के उपचारित पानी का अधिक से अधिक उपयोग सिंचाई, थर्मल पावर प्लांट, औद्योगिक व बागवानी जैसे क्षेत्रों में करने की योजनाएं बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि घग्गर व यमुना का संरक्षण करना जरूरी है। इसके लिए हरियाणा के साथ लगते पड़ोसी राज्यों के अधिकारियों के साथ भी संयुक्त बैठक की तैयारी अफसर शुरू कर दें।

छह जिलों का गिरता है गंदा पानी
घग्गर नदी पंचकूला से हरियाणा में प्रवेश करती है। जिसके बाद पंचकूला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, फतेहाबाद और सिरसा जिलों की ड्रेनों का पानी इसमें जाता है। इनमें से कई ऐसी ड्रेन हैं, जिनके पानी को बिना साफ किए ही नदी में डाला जा रहा है। जैसे-जैसे ड्रेनों का पानी घग्गर में मिलता है, उसी के मुताबिक प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जाता है।

बढ़ जाता है BOD स्तर
इस पानी में न केवल बायो आक्सीजन डिमांड (BOD) की मात्रा बढ़ जाती है बल्कि फीकल बैक्टीरिया की मात्रा भी बढ़ जाती है। ऐसे में इस पानी को किसी भी तरह से प्रयोग में नहीं लाया जा सकता है। अगर इस पानी का प्रयोग किया जाता है तो यह स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है।

पानीपत-सोनीपत में गंदी होती है यमुना
हरियाणा के ताजेवाला बांध से यमुना जब दिल्ली की तरफ बढ़ती है तो इसे सबसे पहले प्रदूषित पानीपत और सोनीपत में किया जाता है। इसके बाद जब यमुना दिल्ली की सीमा में प्रवेश कर जाती है तो यह पानी पीने-नहाने तो क्या सिंचाई लायक भी नहीं रह जाता। ड्रेन नंबर छह से 15 एमसीडी और बादशाहपुर ड्रेन से 90 एमसीडी गंदा पानी यमुना में मिल रहा है।

प्रदूषित यमुना से पेयजल आपूर्ति
प्रदूषित यमुना का पानी फरीदाबाद जिले आपूर्ति किया जा रहा है। 1997 में रेनीवेल योजना शुरू हुई थी। तब तक यमुना का पानी सिंचाई और पेयजल के लिए काफी बेहतर माना जाता था मगर पिछले 25 साल में आलम यह है कि यमुना के जल का शोधन करके जो पानी पीने के लिए फरीदाबाद भेजा जाता है, वह शुद्धता की कसौटी पर खरा नहीं उतरता। भारतीय मानक ब्यूरो की एक रिपोर्ट में रेनीवेल का पानी अशुद्ध बताया गया है।

क्या है BOD और DO
नदी के पानी की गुणवत्ता को बीओडी और डीओ के मानकों पर मापा जाता है। बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) का मतलब है कि उस पानी में किसी जैविक पदार्थ को डी-कंपोज करने के लिए किसी बैक्टीरिया या सूक्ष्म जीव को कितने ऑक्सीजन की जरूरत है। डिजॉल्व ऑक्सीजन (DO) उस पानी में घुली हुई ऑक्सीजन होती है। पानी में बीओडी की मात्रा तीन मिलीग्राम प्रति लीटर से कम होनी चाहिए और DO की मात्रा पांच मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा होनी चाहिए।