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शिमला: भारी कर्ज के बोझ तले दबे हिमाचल प्रदेश की कमान संभालने वाले कांग्रेस सरकार के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के सामने सबसे बड़ी चुनौती अर्थिक परेशानियों का समाधान करना है। मुश्किल यह है कि भारी भरकम चुनावी वादों के बोझ तले दबी सरकार के सामने विकल्प भी सीमित ही नजर आ रहे हैं। समाचार एजेंसी यूनिवार्ता की रिपोर्ट के मुताबिक, सूबे की सुक्खू सरकार एकबार फिर लोन लेने की तैयारी करती दिख रही है। इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की गई है। मालूम हो कि सरकार इसी माह 1500 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है।
हिमाचल प्रदेश सरकार अब राज्य सकल घरेलू उत्पाद छह फीसदी तक कर्ज ले सकेगी। इस संबंध में हिमाचल प्रदेश राजकोषीय उत्तरदायत्वि और बजट प्रबंधन (संशोधन) अधिनियम 2023 की अधिसूचना जारी की गई है। सुक्खू सरकार ने हाल ही में विधानसभा के शीतकालीन सत्र में हिमाचल प्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संशोधन) अधिनियम, 2023 पारित किया था। इसके मुताबिक राज्य सरकार राज्य सकल घरेलू उत्पाद का 3.5 के बजाए छह फीसदी तक कर्ज ले सकती है। राज्य सरकार ने इस बारे में अधिसूचना भी जारी कर दी है।
आंकड़े बतलाते हैं कि हिमाचल प्रदेश सरकार इसी माह 1500 करोड़ रुपए कर्ज ले चुकी है। यही नहीं इस वित्तीय वर्ष में अब तक राज्य सरकार 9500 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। इससे राज्य पर कर्ज का कुल बोझ 75 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संशोधन) अधिनियम लागू होने के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार इस वित्त वर्ष के बाकी बचे दो महीनों के लिए भी कर्ज ले सकेगी। सूबे की खस्ता हाल वित्तीय हालात के बीच नई सरकार इस वित्त वर्ष के समाप्त होने से पहले भी कर्ज लेने के लिए आवेदन कर सकती है।
हाल ही में सूबे के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने अर्थिक चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा था कि प्रदेश का सरकारी खजाना खाली है। मौजूदा सूरत-ए-हाल यह है कि राज्य सरकार के पास रोजाना के खर्चों को चलाने तक के पैसे नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि सीएम सुक्खू उपाय नहीं तलाश रहे हैं। हाल ही में सरकार ने मंत्रियों और अधिकारियों के खर्चों में कटौती करने की ओर कदम बढ़ाया है। सीएम ने मंत्रियों से कहा है कि बताइये विभागों के खर्चे कम कैसे किए जाएं। सीएम सुक्खू ने मंत्रियों से एक महीने में रिपोर्ट देने को कहा है। मंत्रियों को राजस्व बढ़ाने के उपाय भी बताने को कहा गया है।
उल्लेखनीय है कि सीएम सुक्खू ने ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) लागू करने की बात भी कही है। महिलाओं को आर्थिक मदद देने की चुनौती भी बेहद बड़ी है। इन तमाम वादों को पूरा करने के लिए हजारों करोड़ खर्च होंगे। ऐसे में वादों को पूरा करने के लिए रकम जुटाना सरकार के समक्ष बड़ी चुनौती बन गया है। इतना ही नहीं सरकार को कर्मचारियों का 11 हजार करोड़ रुपए के एरियर का भी भुगतान करना है। देखना यह भी होगा कि सरकार चुनावी वादों और सरकारी खर्चों से पार पाते हुए सूबे में विकास कार्यों को आगे ले जाने के लिए क्या कदम उठाएगी।