अमित शाह को जाटों ने बताया ‘चौधरी’, जानिए क्या है इसके संकेत

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लखनऊ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत में निर्णायक की भूमिका निभाने वाले जाटों ने लुटियन दिल्ली में हुई पंचायत में गृहमंत्री अमित शाह को ‘चौधरी’ बोलकर विधानसभा चुनाव के लिए बड़ा संकेत दिया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति जाटों के इर्द-गिर्द घूमती है। बात वर्ष 2014 व 2019 के लोकसभा चुनावों की हो या फिर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव की। जाटों ने भाजपा की झोली को हर बार उम्मीद से ज्यादा भरने का काम किया। कृषि कानूनों के विरोध के कारण अब विधानसभा चुनाव में जाटों को अपने पक्ष में करने की सभी राजनीतिक दल कोशिश कर रहे हैं। ऐसे चुनावी माहौल में राष्ट्रीय राजधानी में शाह के साथ हुई जाटों की पंचायत ने दिल्ली से लखनऊ तक सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है।

सांसद प्रवेश वर्मा के आवास पर हुई बैठक में पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई जिलों से बड़ी संख्या में जाट नेता शामिल हुए। बैठक में शामिल हुए केंद्रीय पशुपालन, डेयरी व मत्स्य पालन राज्य मंत्री संजीव बाल्यान ने मुजफ्फरनगर दंगे में जाटों के खिलाफ समाजवादी पार्टी द्वारा दर्ज कराए गए सैकड़ों मुकदमों का जिक्र करते हुए कहा कि इस पूरी कौम पर किसी का अहसान है तो उसका नाम है अमित शाह। राजनीति आती रहेगी, जाती रहेगी। छह हजार से अधिक मामले दर्ज थे, सभी वापस लिए गए और 1100 से अधिक लोग जेल से बाहर आए। शत-प्रतिशत न्याय हुआ है। ये ध्यान रखना अमित शाह से ज्यादा जाटों को कोई लाड़ नहीं करता और लगाव नहीं रखता।

बैठक में शामिल हुए जाट नेताओं ने गृह मंत्री के सामने दिल खोलकर अपनी बात रखी। इस बीच, लोगों ने एक स्वर में कहा कि अमित शाह हमारे लिए गृहमंत्री बाद में, पहले ये हमारे चौधरी हैं। इसके बाद पंचायत में चौधरी अमित शाह जिंदाबाद के नारे भी लगाए गए। जाट नेताओं ने कैबिनेट मंत्री का पद न मिलने और आरक्षण न मिलने जैसे कुछ बिंदुओं को लेकर अपनी नाराजगी अवश्य जाहिर की, लेकिन मंच पर बैठे अमित शाह को जाटों का चौधरी बताकर ऐसा संकेत दे दिया, जिसका आने वाले विधानसभा चुनाव पर सीधा असर देखने को मिल सकता है।

करीब डेढ़ घंटे चली पंचायत के दौरान वहां उपस्थित पश्चिम उत्तर प्रदेश से आए जाट नेता अपनी बात सीधे गृह मंत्री से करते नजर आए। किसी ने शिकायत की तो किसी ने अधिकार के साथ नाराजगी व्यक्त की। वहीं, इस दौरान बीच-बीच में कई बार अमित शाह जिंदाबाद, नरेन्द्र मोदी जिंदाबाद और जय श्रीराम के नारे भी लगते रहे। अमित शाह ने भी साफ कहा कि हमारे ऊपर जाटों का ऋण है और उन्हें अपनी शिकायत करने का पूरा हक है। यहां जितनी बातें जाट नेताओं की ओर से कही गई हैं, वो मैंने नोट नहीं की हैं, लेकिन ये सभी बातें मेरे दिल पर छपी हैं। यदि आगे भी कभी उन्हें अपनी बात कहने की जरूरत पड़ती है तो वो सीधे मेरे घर आएं और वहां आकर अपनी बात कहें, मुझे डांटना भी है तो डांट भी लें।