मुफ्त उपहार मामले की सुनवाई अब जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच करेगी, जानिए क्या है पूरा मामला

Justice Chandrachud's bench will now hear the free gift case, know what is the whole matter
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नई दिल्ली: मुफ्त उपहार मामले की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच करेगी। चीफ जस्टिस एनवी रमण की अगुवाई वाली बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। चीफ जस्टिस रमण 26 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं और उन्होंने कहा कि अब मामले में जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस रमण ने बुधवार को सुनवाई के दौरान आदेश दिया कि मामला अब जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच करेगी। इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा कमिटी के गठन के लिए नाम सुझाने की सलाह पर याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कुछ सुझाव दिए।

उन्होंने कहा कि इसके लिए बनाई जाने वाली कमिटी में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा को रखा जा सकता है। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमारी समझ से संवैधानिक बॉडी को हेड करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रमण ने कहा कि भारत सरकार क्यों नहीं इस पर स्टडी के लिए कमिटी का गठन करती है। मेहता ने जवाब दिया कि केंद्र सरकार हर तरह से सहायता करने को तैयार है और कमिटी तीन महीने में रिपोर्ट पेश कर सकती है। चुनाव आयोग के वकील अरविंद दत्तार ने कहा कि सवाल यह है कि मुफ्त उपहार की परिभाषा क्या है। अगर कुछ चीजें चुनावी घोषणा पत्र में है तो क्या वह मुफ्त उपहार माना जाएगा? मुफ्त उपहार का अर्थव्यवस्था पर क्या असर होता है इसको लेकर बहुत मैटेरियल है।

चीफ जस्टिस ने इस दौरान टिप्पणी करते हुए कहा है कि जो अभी विपक्ष में हैं कल को वह पावर में आ सकता है और वह मैनेज करेगा। मुफ्त उपहार जैसी चीजें अर्थव्यवस्था को खराब कर सकती है। इस बात को देखने की जरूरत है और हम इस मामले में सीधे तौर पर आदेश पारित नहीं कर सकते हैं ऐसे में मामले में बहस और विचार विमर्श की जरूरत है।

याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय के वकील विकास सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में सुब्रह्मण्यम बालाजी बनाम तामिलनाडु राज्य मामले में जो फैसला दिया था उस पर दोबारा विचार करने की जरूरत है। तब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राजनीतिक पार्टी चुनावी घोषणा पत्र में जो वायदा करती है वह करप्ट प्रैक्टिस नहीं है और रिप्रजेंटेशन ऑफ पिपुल एक्ट की धारा-123 में चुनावी घोषणा पत्र का वादा करप्ट प्रैक्टिस की श्रेणी में नहीं है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सीएजी यह तय नहीं कर सकती है कि सरकार किस तरह से पैसे का खर्च करे और कहां खर्च करे। साथ ही अदालत इसको लेकर गाइडलाइंस नहीं बना सकती है कि क्या चुनावी वादे होना चाहिए। इस पर चीफ जस्टिस रमण ने कहा कि वह जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच गठन कर रहे हैं जो मुफ्त उपहार मामले की सुनवाई करेगा।

क्या है याचिका
चुनाव से पहले वोटरों को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार बांटने या मुफ्त उपहार देने का वादा करने वाले राजनीतिक पार्टियों की मान्यता रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है। याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि राजनीतिक पार्टियों द्वारा सरकारी फंड से चुनाव से पहले वोटरों को उपहार देने का वादा करने या उपहार देने का मामला स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करता है। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने अर्जी दाखिल कर केंद्र सरकार और भारतीय चुनाव आयोग को प्रतिवादी बनाया गया है और अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि पब्लिक फंड से चुनाव से पहले वोटरों को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार देने का वादा करने या मुफ्त उपहार बांटना स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव के खिलाफ है और यह वोटरों को प्रभावित करने और लुभाने का प्रयास है। इससे चुनाव प्रक्रिया प्रदूषित होती है। याचिकाकर्ता ने कहा कि इससे चुनाव मैदान में एक समान अवसर के सिद्धांत प्रभावित होते हैं। याची ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों द्वारा मुफ्त उपहार देने और वादा करना वोटरों को लुभाने का प्रयास है और यह एक तरह की रिश्वत है।

सुप्रीम कोर्ट में आम आदमी पार्टी की ओर से कहा गया है कि सरकार जो लोगों के कल्याण के लिए स्कीम चलाती है उसे मुफ्त उपहार नहीं कह सकते हैं। संविधान में नीति निर्देशक सिद्धांत हैं जिसके तहत राज्य को सामाजिक और वेलफेयर प्रोग्राम चलाने हैं ताकि देश में सामाजिक संतुलन कायम हो और हर तबके को बुनियादी सुविधाएं मिल सके। जिनमें गरीब कामगारों को कम कीमत पर भोजन या फ्री भोजन के लिए कैंटीन की सुविधाएं वेलफेयर स्कीम है। नाइट शेल्टर की व्यवस्था, कम कीमत या फ्री में पाने का पानी, बेसिक हेल्थकेयर, 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा, जो भोजन की व्यवस्था नहीं कर सकते उन्हें फ्री रासन, मिड डे मिल, महिलाओं को फ्री ट्रांसपोर्टेशन आदि शामिल है। चुनाव में वोटरों को लुभाने के लिए बांटे जाने वाले मुफ्त उपहार के खिलाफ दाखिल याचिका हस्तक्षेप याचिका दायर करते हुए कांग्रेसी नेता जया ठाकुर ने कहा है कि राजनीतिक पार्टी अगर सब्सिडी देती है तो वह सही है क्योंकि वह संवैधानिक दायित्व का निर्वाह करते हैं।

‘देश में रिटायर या रिटायर होने जा रहे शख्स की वैल्यू नहीं’
सुप्रीम कोर्ट में मुफ्त उपहार मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमण ने कहा कि एक रिटायर आदमी या जो रिटायर होने जा रहा है उसकी भारत में कोई वैल्यू नहीं है। चीफ जस्टिस रमण ने बुधवार को सुनवाई के दौरान उक्त टिप्पणी की। चीफ जस्टिस रमण खुद 26 अगस्त को रिटायर होने जा रहे हैं।

मामले की सुनवाई के दौरान जब याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा कि मामले में बनाई जाने वाली कमिटी के मामले में उनका सुझाव है कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस आरएम लोढ़ा की अगुवाई में कमिटी बनाई जानी चाहिए। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि जो पर्सन इस देश में रिटायर है या जो रिटायर होने जा रहा है उसकी कोई वैल्यू नहीं है। तब विकास सिंह ने कहा कि लेकिन व्यक्ति का जो व्यक्तित्व है वह मायने रखता है।