मध्यप्रदेश पटवारी भर्ती परीक्षा पर ताजा अपडेट, हाई कोर्ट ने खारिज की ये याचिका, जानें डिटेल्स

Latest update on Madhya Pradesh Patwari recruitment exam, High Court rejected this petition, know details
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इन्दौर/भोपाल: विवादों में घिरी मध्य प्रदेश पटवारी भर्ती परीक्षा पर बड़ी अपडेट सामने आई है। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर ब्रांच में रघुनंदन सिंह परमार की पटवारी भर्ती परीक्षा के संबंध में लगाई गई जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। वही हाई कोर्ट याचिकाकर्ता पर दस हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है।

जानिए हाई कोर्ट ने क्या कहा
हाई कोर्ट के जज एस.ए. धर्माधिकारी और हिरदेश ने अपने फैसले में कहा है कि याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार के समक्ष अपनी याचिका प्रस्तुत न कर सीधे न्यायालय में याचिका दायर की, जो कि हाई कोर्ट के नियमों का सीधा उल्लघंन है। कोर्ट ने यह भी निर्णय दिया कि कोर्ट का कीमती समय खराब करने के लिए याचिकाकर्ता पर अर्थदण्ड लगाया जाये। यह राशि याचिकाकर्ता द्वारा हाई कोर्ट विधिक सेवा समिति इंदौर में 30 दिनों के भीतर जमा की जाएगी। यदि ऐसा नहीं होता है, तो इस प्रकरण की सुनवाई कोर्ट के समक्ष होगी और भू-राजस्व के एरियर के रूप में राशि वसूलने के लिए उचित निर्णय लिया जाएगा।कोर्ट ने यह भी लिखा है कि पटवारी परीक्षा भर्ती में हुई कथित अनियमितताओं की जाँच के लिए राज्य सरकार ने पहले ही कार्यवाही कर दी है।

ये है पूरा मामला
दरअसल, रघुनंदन सिंह परमार ने पटवारी भर्ती परीक्षा में हुई तथाकथित धांधली के संबंध में जनहित याचिका लगाई थी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका की सुनवाई के लिए हाई कोर्ट के वर्तमान जज या सेवानिवृत्त जज की उच्च स्तरीय समिति की मांग की थी।एडवोकेट जनरल ने अपनी दलील में कहा कि याचिकाकर्ता ने सिर्फ समाचार पत्रों की कटिंग के आधार पर बल्कि अप्रमाणित और अप्रसांगिक दस्तावेज देते हुए याचिका लगाई है। याचिकाकर्ता सक्रिय रूप से राजनीति में संलग्न है। इसलिए उनकी मंशा राजनीति से प्रेरित है। याचिकाकर्ता अपनी याचिका के संबंध में संबंधित अधिकारी के पास शिकायत लेकर जा सकते हैं। उन्होंने ऐसा नहीं किया और इस तरह हाई कोर्ट के नियम 2008 का उल्लंघन हुआ है, अत: याचिका खारिज किए जाने योग्य है।

राज्य सरकार कर रही है कार्यवाही
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी लिखा कि सिर्फ वकील की फीस देकर जनहित याचिका लगाने के आधार पर और कोर्ट के समक्ष अपने सामाजिक कार्यकर्ता होने का प्रमाण न देने में असफल होने पर कोर्ट ने माना कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। प्रकरण में तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने यह याचिका समाचार पत्रों की रिर्पोटिंग के आधार पर प्रस्तुत की गई है। किसी प्रकार का अनुसंधान नहीं किया गया है न ही कोई सूचना का स्त्रोत दिया गया है जिस आधार पर यह कहा जा सके कि परीक्षा में गड़वड़ी हुई है। इसलिए कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी है।पटवारी परीक्षा से जुडे विषय में राज्य सरकार पहले ही कार्यवाही कर चुकी थी। एडवोकेट जनरल ने इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग के 19.07.2023 का आदेश प्रस्तुत किया। कोर्ट ने माना कि राज्य सरकार की इस कार्यवाही के बाद याचिकाकर्ता द्वारा मांग की जा रही जांच समिति की कोई आवश्यकता नहीं है।

आगामी आदेश तक नियुक्तियों पर रोक
बता दे कि राज्य सरकार के आदेश पर एमपी सामान्य प्रशासन विभाग ने समूह 2 उपसमूह 4 संयुक्त भर्ती परीक्षा के अंतर्गत होने वाली पूरी नियुक्ति प्रक्रिया को आगामी आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया है। वही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी कह चुके है कि जब तक परीक्षा में संदेह समाप्त नहीं हो जाता, तब तक नियुक्तियाँ नहीं होंगी।जांच होगी और गड़बड़ी निकलने पर गड़बड़ करने वाले को मामा ठीक कर देगा।