मध्य प्रदेश में किसानों के माथे पर चिंता की लकीर, फिर करवट लेगा मौसम, यहां जानिए अपने जिले का हाल

Line of worry on the forehead of farmers in Madhya Pradesh, the weather will turn again, know here the condition of your district
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भोपाल: मध्य प्रदेश में शुक्रवार को भी कुछ स्थानों पर हल्की बारिश दर्ज की गई। पिछले 24 घंटे के दौरान नईगढ़ी, ब्योहारी, सतना में 1 सेंटीमीटर बारिश दर्ज हुई है। जबकि अन्य स्थानों का मौसम शुष्क बना रहा। मौसम में हुए बदलाव के कारण प्रदेश की न्यूनतम तापमान में हल्की गिरावट दिखाई दी। सबसे कम न्यूनतम तापमान रीवा में 11.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। वहीं, प्रदेश में सर्वाधिक अधिकतम तापमान 35.5 डिग्री सेल्सियस खंडवा में रिकॉर्ड हुआ है। मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि शनिवार को उमरिया अनूपपुर सीधी शहडोल सिंगरौली बालाघाट जिलों में गरज चमक के साथ बारिश हो सकती है। मौसम विभाग ने यहां के लिए येलो अलर्ट जारी किया है।

मौसम विभाग के मुताबिक, इसके साथ ही 13 मार्च के बाद प्रदेश का मौसम एक बार फिर करवट लेगा। एक ताजा पश्चिमी विक्षोभ के 13 मार्च से पश्चिमी हिमालय तक पहुंच सकता है। इसका प्रभाव मध्य प्रदेश के मौसम में भी दिखाई देगा। अगले 2 से 3 दिनों के दौरान उत्तर पश्चिम, पश्चिम और मध्य भारत में अधिकतम तापमान में 2-3 डिग्री की वृद्धि हो सकती है। इसके बाद इसमें कमी आएगी।

15 मार्च से एमपी में एक्टिव होगा बारिश का सिस्टम
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, 15 मार्च से मध्य प्रदेश में बारिश का सिस्टम सक्रिय होगा। अरब सागर से आने वाली हवाओं के कारण देवास, बड़वानी, बैतूल, बुरहानपुर, खरगोन, भोपाल, सीहोर, राजगढ़ आदि जिलों में बारिश का अनुमान है। मौसम काहे तंत्र 18 मार्च तक सक्रिय है सकता है इस दौरान प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में बारिश और ओलावृष्टि की गतिविधि देखने को मिल सकती है।

किसानों के माथे पर चिंता की लकीर
पिछले दिनों से ओलावृष्टि के साथ हो रही बारिश ने प्रदेश में गेहूं चना व सरसों सहित अन्य रवि की फसलों को नुकसान पहुंचाया है। 13 मार्च के बाद भी प्रदेश में बारिश और ओलावृष्टि की घटनाएं हो सकती हैं। इस अनुमान ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर की कृषि वैज्ञानिक डॉ शेखर सिंह बघेल ने बताया कि राज्य में गेहूं, मटर, सरसों सहित अन्य फसलें पककर तैयार है। अगर तेज बारिश, ओलावृष्टि होती है तो इन फसलों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है।