लोकसभा चुनाव: यूपी में 11 केंद्रीय मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर, कड़ी परीक्षा

Lok Sabha elections: Reputation of 11 Union Ministers at stake in UP, tough test
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लखनऊ। मिशन-2024 में जुटी भारतीय जनता पार्टी के यूपी कोटे में आए 11 मंत्रियों की साख जहां इस चुनाव में दांव पर है। वहीं उत्तर प्रदेश सरकार के दो मंत्रियों को अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए जूझना पड़ेगा। विपक्ष भी इन मंत्रियों की सीट पर अपनी बिसात बिछाने में जुटा है। देखना दिलचस्प होगा कि कौन से मंत्री अपनी साख बचाकर दोबारा संसद में पहुंचते हैं और किसे हार का सामना करना पड़ता है। भाजपा ने गाजियाबाद से सांसद रहे मंत्री रिटायर जनरल वीके सिंह का टिकट काट दिया है। लखनऊ से केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दो बार से सांसद बन मंत्री बन रहे हैं। उनके सामने सपा-कांग्रेस का संयुक्त प्रत्याशी रविदास मेहरोत्रा हैं। राजनाथ सिंह दो बार से लखनऊ में भारी मतों से जीत रहे हैं। ऐसे में पुराने जुझारू कार्यकर्ता व लखनऊ मध्य से विधायक रविदास को उतारकर विपक्ष ने चुनौती देने का प्रयास किया है।

यूपी में सबसे ज्यादा उत्सुकता केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री रही स्मृति ईरानी की अमेठी सीट को लेकर बनी हुई है। कांग्रेस यहां अभी तक कोई प्रत्याशी ही तय नहीं कर सकी है। चर्चाए हैं कि गांधी परिवार से ही यहां प्रत्याशी आ सकता है। ऐसा हुआ तो यह रोचक मुकाबला होगा। पिछली बार स्मृति ईरानी ने करीब 50 हजार वोटों के अंतर से राहुल गांधी को मात दी थी।

कैबिनेट मंत्री महेंद्र नाथ पाण्डेय भी तीसरी बार चंदौली से मैदान में हैं। वह वर्ष 2019 में उनका सपा-बसपा के संयुक्त प्रत्याशी संजय सिंह चौहान से मुकाबला हुआ था। महेंद्रनाथ पाण्डेय को वर्ष 2014 की तुलना में 4.5 फीसदी ज्यादा वोट मिले थे और वह विजय हुए। इस बार सपा-कांग्रेस का प्रत्याशी है। ऐसे में दलित वोट बैंक कहां जाएगा। बसपा के इस बार अलग होने से देखना मजेदार होगा कि त्रिकोणीय मुकाबले में उनका मत प्रतिशत कितना रहता है। वह पुरानी साख बचाने में कामयाब होते हैं या फिर नया समीकरण उभरता है।

खीरी सीट से अजय मिश्र उर्फ टेनी वर्ष 2014 में सपा, कांग्रेस, बसपा से हुए चतुष्कोणीय मुकाबले में करीब 37 फीसदी और वर्ष 2019 में यहां त्रिकोणीय मुकाबला सपा, कांग्रेस व भाजपा के बीच हुआ और टेनी 54 फीसदी वोट पाकर विजय हुए थे। इस बार सपा-कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी उत्कर्ष वर्मा होने से मुकाबला काबिलेगौर हो गया है।

मुजफ्फरनगर से संजीव बालियान मैदान में हैं। पिछली बार चौधरी अजित सिंह मैदान में थे। ऐसे में दोनों को ही करीब 49 फीसदी वोट मिले। वर्ष 2014 में संजीव बालियान को 58 फीसदी वोट मिला था, जो बीते चुनावों में चौधरी अजित सिंह के लड़ने से 9 फीसदी कम हो गया था। अब इस बार सपा-कांग्रेस से हरेंद्र मलिक सामने हैं तो चौधरी अजित सिंह के बेटे चौधरी जयंत सिंह की पार्टी रालोद से भाजपा का गठबंधन हो चुका है। ऐसे में आमने-सामने की एक बार फिर टक्कर होने के आसार कम हैं। बसपा ने दारा सिंह प्रजापति को टिकट दिया है। ऐसे में फिर त्रिकोणीय मुकाबला तय माना जा रहा है।

आगरा सुरक्षित सीट से एसपी सिंह बघेल स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री हैं। वह 56 फीसदी वोट पाकर जीते थे। सपा ने अभी प्रत्याशी नहीं उतारा है। विपक्ष यहां दलित, मुस्लिम और पिछड़े कार्ड खेलने की तैयारी में है। ऐसे में बघेल के लिए साख बचाना कड़ी चुनौती होगा।

साध्वी निरंजन ज्योति फतेहपुर से दूसरी बार जीती हैं। वह क्रमशः 45 और 54 फीसदी वोट पाकर जीतती रही हैं। इस बार उन्हें अपना रिकार्ड बचाए रखना महत्वपूर्ण होगा। पंकज चौधरी छह बार से भाजपा सांसद हैं। पिछली बार उन्हें 59 फीसदी वोट मिले जबकि वर्ष 2014 में 44.65 फीसद वोट मिला था। इस बार उनके सामने मत प्रतिशत कायम रखना चुनौती होगा।

मोहनलालगंज सुरक्षित सीट से कौशल किशोर, भाजपा के जालौन से भानुप्रताप सिंह वर्मा के अलावा अपना दल की अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से मैदान में होंगे। इन सभी के लिए अपने सियासी आधार की पुरानी जमीन बनाए रखना चुनौती होगा।

यूपी के मंत्रियों की साख भी दांव पर
दूसरी ओर यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद पहली बार पीलीभीत से चुनाव मैदान में हैं। उनके लिए वरुण गांधी की सीट से जीत हासिल करना प्रतिष्ठा का प्रश्न बना होगा। वहीं राजस्व राज्यमंत्री अनूप वाल्मीकि हाथरस सुरक्षित सीट से मैदान में हैं। जितिन जहां विधान परिषद सदस्य हैं वहीं अनूप अलीगढ़ की खैर विधानसभा से विधायक बन वर्ष 2022में मंत्री बने थे।