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चरखी दादरी: रेतीले टिब्बों में लगातार जलस्तर नीचे जाने के बाद बने जल संकट के हालातों को अपनी आंखों से देखने व पूर्वजों के समक्ष आई समस्याओं के बाद चरखी दादरी के गांव पिचौपा खुर्द निवासी प्रतीक सांगवान ने जल संकट का आधुनिक तकनीक से दूर करने का संकल्प लिया। अपनी करीब आठ वर्षों की मेहनत के बूते प्रतीक सांगवान को इंग्लैंड की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क में पीएचडी करने का मौका मिला है। यूके सरकार के प्राकृतिक पर्यावरण अनुसंधान परिषद के तरफ से प्रतीक सांगवान को दो करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप मिली है। अब वह विदेश धरती पर हरियाणा सहित उत्तर भारत में बने जलसंकट के लिए विदेशी धरती पर शोध करेगा। बेटा की उपलब्धि पर परिजनों व ग्रामीणों ने खुशियां मनाते हुए उज्जवल भविष्य की कामना की है।
300 अभ्यर्थियों ने किया था आवेदन
बता दें कि चरखी दादरी के गांव पिचौपा खुर्द निवासी प्रतीक सांगवान ने अपनी स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल कुंजपुरा से पूरी की है। उन्होंने टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान, मुंबई से जल नीति और शासन में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है। प्रतीक को अब इंग्लैंड की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क में पीएचडी में दाखिला मिला है। इंग्लैंड सरकार के प्राकृतिक पर्यावरण अनुसंधान परिषद के तरफ से 2 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति मिली है। इसके लिए दुनिया भर से 300 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, जिसमें भारत के प्रतीक सफल रहे हैं। प्रतीक ने बताया कि उसके शोध का मुख्य उद्देश्य हरियाणा और उत्तरी भारत में गहराते जल संकट का समाधान तलाशना होगा।
सिंचाई प्रबंधन के तरीके खोजेगी ये शोध
यह शोध दुनिया की सबसे विकसित तकनीकों को स्थानीय हालातों में ढाल कर, किसानों के लिए मुकमल सिंचाई प्रबंधन के तरीके खोजेगी। वर्तमान में प्रतीक कुमार वेल लैबस नाम की संस्था के साथ काम करते हैं, जो प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और कृषि आजीविका में अनुसंधान के लिए समर्पित संगठन है। इससे पहले प्रतीक कुमार ने सिंचाई और जल संसाधन विभाग, हरियाणा के साथ काम किया है, जहां वह जल संरक्षण कार्यक्रमों को लागू करने में सक्रिय रूप से शामिल रहे। शुरू से ही प्रतीक को बेहतर शिक्षा मुहैया करवाने में उनकी माता का अहम योगदान रहा है।