राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सामने नया संकट, इन 19 सीटों पर हो सकता है सिर फुटव्वल

New crisis in front of Congress in Rajasthan assembly elections
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जयपुर : आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर प्रदेश में बिसात बिछ चुकी है। कांग्रेस और भाजपा के साथ अन्य दल भी चुनावी तैयारी में जुट गए हैं। विधानसभा चुनावों में टिकट वितरण को लेकर प्रदेश कांग्रेस टेंशन में है। टेंशन यह है कि उन 19 विधानसभा सीटों पर किसे टिकट दे, कांग्रेसी नेताओं को दें या उन्हें जिन्होंने जुलाई 2020 में सरकार को गिरने से बचाया था। इन 19 विधानसभा सीटों में 13 वो सीटें हैं जहां कांग्रेसी प्रत्याशियों को हराते हुए निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। इन 13 निर्दलीय विधायकों ने सरकार को समर्थन दे दिया। साथ ही सियासी संकट के दौरान सरकार को बचाने में मदद की। शेष 6 सीटें वे हैं जहां कांग्रेस प्रत्याशियों को हराते हुए बसपा के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। बसपा के टिकट पर जीते सभी 6 प्रत्याशियों ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। ऐसे में अब आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस टिकट वितरण को लेकर सियासी भंवर में फंसी हुई है।

विधायकों से वादा कर चुके अशोक गहलोत
जुलाई 2020 में जब सचिन पायलट और उनके समर्थित विधायकों ने बगावत का रुख अख्तियार किया था। तब सरकार बचाने के लिए अशोक गहलोत को 34 दिन तक बाड़ाबंदी करनी पड़ी थी। इस बाड़बंदी में 13 निर्दलीयों और बसपा से आए 6 विधायकों ने अशोक गहलोत का पुरजोर समर्थन किया था। उन्हीं के समर्थन के कारण राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बची थी। जब हालात सामान्य हुए तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि जिन विधायकों ने सरकार बचाने में उसका साथ दिया, वे उनका जिन्दगीभर आभारी रहेंगे।

इन विधायकों के पक्ष में हमेशा खड़े रहेंगे और अभिभावक के रूप में काम करेंगे। 8 महीने बाद विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में 19 निर्दलीय और 3 बसपा से आए विधायक दावेदारी पेश करेंगे। गहलोत उन्हें इनकार नहीं करेंगे। इधर, पूर्व में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके प्रत्याशी भी दावेदारी करेंगे।

कांग्रेसी नेता कर चुके विरोध
जिन 19 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों की हार हुई थी, वे सरकार का कई बार विरोध कर चुके हैं। इन 19 सीटों पर चुनाव हारने वाले कांग्रेस नेता एकजुट होकर पिछले साल प्रदेश प्रभारी सुखजिन्दर सिंह रंधावा से मिले थे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अपनी पार्टी के नेताओं की सुनवाई करने के बजाय निर्दलीयों और दूसरी पार्टियों के टिकट पर चुनाव जीतने वाले नेताओं के काम कर रही है। कांग्रेस नेताओं की डिजायर पर काम ही नहीं हो रहे। इस मुद्दे को लेकर पिछले दिन प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में हंगामा भी हुआ था। 10 विधानसभा सीटें ऐसी है जहां कांग्रेस के बागियों ने ही कांग्रेस को हराया था लेकिन अब सभी कांग्रेसी नेता टिकट की दावेदारी करने वाले हैं।

इन निर्दलीयों ने बचाई थी सरकार
13 विधानसभा सीटों पर चुनाव जीतने वाले निर्दलय विधायकों ने कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार को गिरने से बचाया था। इनमें बहरोड़ विधायक बलजीत यादव, बस्सी विधायक लक्ष्मण मीणा, शाहपुरा विधायक आलोक बेनीवाल, दूदू विधायक बाबूलाल नागर, खंडेला विधायक महादेव सिंह खंडेला, मारवाड़ जंक्शन विधायक खुशवी सिंह जोजावर, सिरोही विधायक संयम लोढा, गंगानगर विधायक राजकुमार गौड़, कुशलगढ विधायक रमीला खड़िया, थानागाजी विधायक कांति प्रसाद मीणा, गंगापुर सिटी विधायक रामकेश मीणा, किशनगढ विधायक सुरेश टाक और महुआ विधायक ओमप्रकाश हुड़ला शामिल हैं।

13 सीटों पर ये कांग्रेसी नेता हार गए थे चुनाव
बहरोड़ से डॉ. आरसी यादव, बस्सी से दौलत सिंह मीणा, शाहपुरा से मनीष यादव, दूदू से रितेश बैरवा, खंडेला से सुभाष मील, मारवाड़ जंक्शन से जसाराम राठौड़, सिरोही से जीवाराम आर्य, गंगानगर से अशोक चांडक, कुशलगढ से फतेहसिंह, थानागाजी से सुनील कुमार, गंगापुरसिटी से राजेश अग्रवाल, किशनगढ से नंदाराम और महुआ से अजय कुमार चुनाव हार गए थे। ये सभी कांग्रेसी नेता आगामी विधानसभा चुनाव में भी टिकट के लिए दावेदारी पेश करेंगे। साथ ही इन्हीं सीटों पर चुनाव जीतने वाले निर्दलीय विधायक भी दावेदारी करेंगे जिन्होंने गहलोत सरकार को गिरने से बचाया था। ऐसे में कांग्रेस के सामने टिकट वितरण को लेकर बड़ा संकट आने वाला है।

ये हैं वे 6 विधायक जिन्होंने बसपा के टिकट पर चुनाव जीता
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में बसपा के टिकट पर 6 प्रत्याशियों की जीत हुई थी। इन 6 विधायकों ने भी कांग्रेस की गहलोत सरकार को समर्थन दे दिया था। डेढ साल बाद ही बसपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले ये 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। इनमें उदयपुरवाटी विधायक राजेन्द्र सिंह गुढा, तिजारा से संदीप यादव, नगर से वाजिब अली, करौली से लाखन सिंह, नदबई से जोगेन्द्र सिंह अवाना और किशनगढबास से दीपचंद खेरिया शामिल हैं। इस सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी रहे भगवाना राम सैनी, दुर्रु मियां, मुरारी लाल, करौली से दर्शन सिंह, हिमांशु कटारा और डॉ. करण सिंह यादव चुनाव हार गए थे। ये हारे हुए कांग्रेसी नेता भी चुनाव में टिकट की दावेदारी पेश करेंगे।