छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में नया मोड़; ED की हाईकोर्ट से CBI जांच की मांग

New twist in Chhattisgarh liquor scam; ED demands CBI inquiry from High Court
New twist in Chhattisgarh liquor scam; ED demands CBI inquiry from High Court
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रायपुर: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर सीबीआई को राज्य में कथित शराब घोटाले में मामला दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की है। ईडी के अधिवक्ता सौरभ पांडेय ने बताया कि एजेंसी ने उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका (आपराधिक) दायर की है जिसमें शराब घोटाले में मामला दर्ज करने और मामले की जांच करने के लिए सीबीआई को निर्देश देने की मांग की गई है। बता दें कि ईडी राज्य में कथित 2000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले की जांच कर रही है।

इस मामले में अब तक अनवर ढेबर (कांग्रेस नेता और रायपुर के महापौर एजाज ढेबर के भाई) तथा छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सौरभ पांडेय ने बताया एजेंसी ने याचिका में कहा है कि राज्य ने इस मामले में अब तक कोई भी मामला दर्ज नहीं किया है, जबकि ईडी ने घोटाले के संबंध में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 67 (2) के तहत संज्ञेय और गैर-जमानती अपराधों के संबंध में जानकारी साझा की थी।

सौरभ पांडेय ने बताया कि ईडी ने यह भी दावा किया है कि राज्य पुलिस अवैध रूप से ईडी अधिकारियों और ईडी कार्यालय परिसर (रायपुर में) की रेकी कर रही है। इसके अलावा राज्य में पीएमएलए के तहत अपराध करने के आरोप में केंद्रीय जेल रायपुर में बंद व्यक्तियों को अनुचित सहायता प्रदान की जा रही है, जो जेल नियमावली का पूरी तरह से उल्लंघन है। अधिवक्ता ने बताया कि ईडी ने दावा किया है कि सरकारी अस्पतालों और निजी अस्पतालों द्वारा आरोपी व्यक्तियों को अस्पतालों में अनावश्यक मदद प्रदान की गई ताकि उन्हें जेल परिसर में रहने से बचाया जा सके। ईडी ने कहा है कि वह धन शोधन वाले हिस्से की जांच कर रही है, लेकिन भारतीय दंड संहित के तहत आने वाले अपराधों की जांच सीबीआई करे।

सौरभ पांडेय ने बताया कि याचिका को अभी अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना बाकी है। राज्य में कथित शराब घोटाले के तीन आरोपियों के अधिवक्ता फैजल रिजवी ने कहा है कि ईडी ने अपनी याचिका में बेबुनियाद आरोप लगाए हैं, जिससे पता चलता है कि ईडी का इरादा गलत है। रिजवी ने कहा- सभी आरोप निराधार हैं। मामला अदालत में लंबित है। ईडी शिकायतकर्ता नहीं हो सकता क्योंकि उसके साथ कोई जबरन वसूली नहीं हुई है।

ईडी ने इस वर्ष चार जुलाई को रायपुर की एक अदालत में शराब घोटाला मामले में आरोपपत्र दायर किया था जिसमें उसने 2019 में शुरू हुए कथित शराब घोटाले में 2161 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का दावा किया था। इसमें कहा गया था कि आबकारी विभाग की मुख्य जिम्मेदारी शराब की आपूर्ति को ठीक करना, जहरीली शराब की त्रासदियों को रोकने के लिए उपयोगकर्ताओं के लिए गुणवत्तापूर्ण शराब की उपलब्धता सुनिश्चित करना और राज्य के लिए राजस्व अर्जित करना है। लेकिन अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर ने इन उद्देश्यों पर पानी फेर दिया है।

इसमें कहा गया था कि इस गिरोह में राज्य के वरिष्ठ नौकरशाह, राजनेता, उनके सहयोगी और आबकारी विभाग के अधिकारी शामिल हैं। उच्चतम न्यायालय ने 18 जुलाई को एजेंसी से कहा कि वह छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में संयम बनाए रखे। बाद में 24 जुलाई को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने ढेबर को अंतरिम जमानत दे दी थी। छत्तीसगढ़ में 2018 में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का गठन होने के बाद 2019 में राज्य सरकार ने राज्य में मामलों की जांच के लिए सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली थी।