2000 रुपये का नोट बदलने से ज्यादा बैंकों में डिपॉजिट करा रही है जनता, आखिर क्या है कारण

People are depositing more in banks than changing 2000 rupee note, what is the reason
People are depositing more in banks than changing 2000 rupee note, what is the reason
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पिछले महीने आरबीआई ने 2000 रुपये नोट को वापस लेने का ऐलान किया था. 23 मई से ये प्रोसेस शुरू हो चुका है, जो कि सितंबर के आखिरी महीने तक जारी रहेगा. इस दौरान आम लोग अपने दो हजार रुपये के नोट को या तो बदलवा सकते हैं, और डिपॉजिट भी करा सकते हैं. इस बात तो 10 दिन से ज्यादा समय बीत चुका है. इस दौरान बैंकों में दो हजार रुपये नोट लाने वालों के बीच काफी बड़ा ट्रेंड देखने को मिला है. बैंकों की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार आम लोग बैंकों में 2000 रुपये के नोट को एक्सचेंज करने की जगह बैंकों डिपॉजिट करा रहे हैं. 23 मई के बाद अब तक बैंकों या यूं कहें कि बैंकिंग ​सिस्टम में 2000 रुपये के नोटों के 80 हजार करोड़ रुपये पहुंच चुके हैं. जबकि 2,000 रुपये के लगभग पूरे 3.6 करोड़ रुपये के नोट बैंकिंग सिस्टम में आने की उम्मीद है. बैंकों को मिलने वाले सरप्लस कैश से डिपॉजिट रेट्स में कमी आने की उम्मीद है. जैसा कि 2016 की नोटबंदी के दौरान देखा गया था.

करेंसी इन सर्कूलेशन पर क्या पड़ा असर?
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 26 मई को समाप्त सप्ताह के दौरान करेंसी इन सर्कूलेशन यानी सीआईसी 36,492 करोड़ रुपये घटकर 34.41 लाख करोड़ रुपये रह गई है. आरबीआई ने बैंकों से 23 मई से 2,000 रुपये के नोट बदलने या जमा करने को कहा है. आने वाले सप्ताह में सीआईसी में और गिरावट आने की उम्मीद है. करेंसी इन सर्कूलेशन जनता के पास मौजूद उस कैश या करेंसी को कहते हैं जिसका फिजिकली कंज्यूमर्स और ट्रेडर्स के बीच ट्रांजेक्शन करने के लिए यूज किया जाता है.

एक्सचेंज से ज्यादा डिपॉजिट करा रहे लोग
वहीं बैंकों में 2000 रुपये के नोटों को लाने के बाद बैंकों के साथ डील करने का अलग ट्रेंड देखने को मिला है. जैसा ​कि उम्मीद की जा रही थी कि लोग डिपॉजिट से ज्यादा एक्सचेंज पर भरोसा दिखाएंगे, लेकिन बैंकों में इसके विपरीत देखने को मिल रहा है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन दिनेश खारा के अनुसार अकाउंट्स में 14,000 करोड़ रुपए डिपॉजिट किए जा चुके हैं. 3000 करोड़ रुपए का एक्सचेंज हुए हैं. बैंक ऑफ इंडिया को 2,000 रुपए के 3,100 करोड़ रुपए के नोट मिले हैं. जिनमें अधिकतर डिपॉजिट हुए हैं. एक बैंकिंग स्रोत के अनुसार, आरबीआई द्वारा इन नोटों को प्रचलन से वापस लेने की घोषणा के बाद, कुल मिलाकर, बैंकों को 2,000 रुपये के 80,000 करोड़ रुपये से अधिक के नोट मिलनेका अनुमान है. नोट बदलने के लिए 30 सितंबर की समय सीमा समाप्त होने में और चार महीने बाकी हैं, बैंकों को उम्मीद है कि लगभग पूरी राशि बैंकिंग सिस्टम में वापस आ जाएगी. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के ग्रुप चीफ इकनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष कहते हैं, ‘हमारा मानना ​​है कि 3.6 लाख करोड़ रुपये की लगभग पूरी रकम बैंकिंग सिस्टम में वापस आ जाएगी.

लिक्विडिटी और डिपॉजिट पर क्या पड़ेगा असर?
केयर रेटिंग रिपोर्ट के मुताबिक, जून-सितंबर की अवधि में 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने से 1-1.8 लाख करोड़ रुपये की लिक्विडिटी देखी जा सकती है. कंफर्टेबल लिक्विडिटी की स्थिति शॉर्ट टर्म रेट्स को कम कर सकती है. एसबीआई के मुताबिक, लिक्विडिटी, बैंक डिपॉजिट और ब्याज दरों पर अनुकूल असर पड़ेगा. हम समझते हैं कि एक्सचेंज-डिपॉजिट डायनामिक्स को डिकोड करने पर, बैंक पहले से ही इनमें से कुछ नोटों को अपने करेंसी चेस्ट में रखेंगे, इस प्रकार डिपॉजिट पर प्रभाव सीमित होगा. यह मानते हुए कि कुल 2000 रुपये के नोटों का 10-15 प्रतिशत करेंसी चेस्ट में है, तो शेष 3 लाख करोड़ रुपये में से 2-2.1 लाख करोड़ रुपये कंज्यूमर्स की ओर से खर्च किए जाएंगे. एसबीआई का कहना है कि लगभग एक लाख करोड़ रुपये बैंकों में जमा हैं. हालांकि, अब तक के रुझान को देखते हुए, बैंकों द्वारा पूर्व में अनुमानित एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा डिपॉजिट होने की संभावना है.

क्या पब्लिक में देखने को मिलेगा कैश में उछाल?
सरकार द्वारा 8 नवंबर, 2016 को 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा के बाद, जनता के पास कैश बढ़ने लगा और यह अब एक नई ऊंचाई पर है. कैश पेमेंट का पसंदीदा तरीका रहने के साथ, 19 मई, 2023 को समाप्त पखवाड़े में जनता के पास करेंसी 33.71 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड हाई पर रही, जो 25 नवंबर, 2016 को दर्ज 9.11 लाख करोड़ रुपये से 270 फीसदी ज्यादा थी. खास बात तो ये है कि इसके दो सप्ताह पहले ही 500 और 1000 रुपये के नोटों को तत्काल प्रभाव से लीगल टेंडर से बाहर कर दिया गया था.

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, नोटबंदी की घोषणा से कुछ दिन पहले 4 नवंबर, 2016 को जनता के पास नकदी 87.6 फीसदी या 15.74 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 17.97 लाख करोड़ रुपये हो गई थी. 19 मई, 2023 तक जनता के पास कैश में साल-दर-साल वृद्धि 2.50 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा पहुंच गई थी. नवंबर 2016 में सिस्टम से 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोट बंद होने के बाद जनता के पास मुद्रा, जो 4 नवंबर, 2016 को 17.97 लाख करोड़ रुपये थी, नोटबंदी के तुरंत बाद जनवरी 2017 में घटकर 7.8 लाख करोड़ रुपये रह गई. हालांकि, विश्लेषकों को 2,000 रुपये के नोटों को बंद किए जाने के बाद जनता के पास कैश में बड़े उछाल की उम्मीद नहीं है.