दुनिया के लिए रेड अलर्ट! 10 सालों में गर्म भट्टी सी तपने लगी धरती, UN की रिपोर्ट में मिले डरावने संकेत

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UN Report On Global Warming: तकनीक का हाथ पड़कर तेजी से विकसित होती दुनिया में कार्बन उत्सर्जन मानवीय अस्तित्व के लिए लगातार खतरा बनता जा रहा है. इसकी बानगी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में भी सामने आई है, जिसमें दावा किया गया है कि वर्ष 2014 से 2023 के बीच 10 वर्षों का साल सबसे गर्म दशक रहा है.

संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने मंगलवार (19 मार्च) को अपनी एनुअल क्लाइमेट स्टेटस रिपोर्ट जारी की है. इसमें आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि 2023 अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा. जबकि 2014 से 2023 का समय सबसे गर्म दशक के रूप में रिकॉर्ड किया गया है. इन 10 सालों में हीटवेव ने महासागरों को प्रभावित किया. साथ ही ग्लेशियरों को रिकॉर्ड बर्फ का नुकसान हुआ.

एंटोनियो गुटेरेस बोले – धरती खत्म होने के कगार पर

विश्व मौसम विज्ञान संगठन की इस रिपोर्ट पर संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में पता चलता है कि हमारी धरती खत्म होने की कगार पर है.

एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, “हमारी धरती एक संकट के संकेत दे रही है. जीवाश्म ईंधन प्रदूषण चार्ट से पता चलता है कि जलवायु को कितना नुकसान पहुंच रहा है. ये एक चेतावनी है कि धरती पर कितनी तेजी से बदलाव हो रहे हैं.”

‘दुनिया के लिए रेड अलर्ट है रिपोर्ट’

WMO की प्रमुख एंड्रिया सेलेस्टे साउलो ने कहा, “इस रिपोर्ट को दुनिया के लिए रेड अलर्ट के रूप में देखा जाना चाहिए.” उन्होंने कहा कि गर्मी का रिकॉर्ड एक बार फिर टूट गया और कुछ मामलों में तोड़ा गया.” एंड्रिया सेलेस्टे साउलो ने कहा, “हमने 2023 में जो देखा… खासतौर पर महासागरों में हीटवेव बढ़ा. ग्लेशियर पिघलकर पीछे खिसक गए. अंटार्कटिक महासागर के बर्फ को नुकसान पहुंचा. कुल मिलाकर ये सब चिंता का कारण है.”

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई कि 1950 में रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से दुनियाभर के प्रमुख ग्लेशियरों को बर्फ का सबसे बड़ा नुकसान हुआ है. खासतौर पर पश्चिमी उत्तरी अमेरिका और यूरोप में चीजें बिगड़ी हैं.