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नई दिल्ली।: पिछले साल की तुलना में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में कमी आई है। इसके विपरीत उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में बीते वर्ष के मुकाबले में इस साल पराली जलाने के मामलों में 16 हजार से ज्यादा की कमी आई है, जबकि उत्तर प्रदेश में पिछले साल की तुलना में 900 से ज्यादा मामले बढ़े हैं। पंजाब और हरियाणा में किसान धान की फसल के अवशेष खेतों में ही जला देते हैं। हालांकि, हर साल पराली का धुआं दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के काफी बड़े हिस्से का दम घोंट देता है।
पराली जलाने के मामले
राज्य वर्ष 2022 वर्ष 2023 बदलाव
पंजाब 48915 34459 14456 (इतने घटे)
हरियाणा 3459 2085 1374 (इतने घटे)
उत्तर प्रदेश 1737 2649 913 (इतने बढ़े)
समग्र योग 54111 39193 14918 (इतने घटे)
क्या है सेकेंडरी एयरोसोल
सेकेंडरी एयरोसोल में सल्फेट, नाइट्रेट, अमोनियम आदि के कण होते हैं, जिसके संभावित स्रोत बिजली संयंत्र, रिफाइनरी, ईंट भट्ठा, वाहन, उद्यम, कृषि, आर्गेनिक वेस्ट डिकंपोजीशन आदि हैं। वहीं, बायोमास बर्निंग में कृषि अवशेष (पराली), लकड़ी, उपला, डालियां और पौधों की पत्तियां जलाने से निकलने वाला धुआं शामिल है।
खुले में कचरा जला रहे
दिल्ली सरकार द्वारा स्थापित रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी के पोर्टल आर-आसमान के मुताबिक, तीन कारकों के चलते सबसे ज्यादा हवा प्रदूषित हो रही है। वाहन से निकलने वाला धुआं, पराली का धुआं और सेकेंडरी एयरोसोल की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। इसके अलावा ठंड बढ़ने के साथ ही खुले में कचरा जलाने से निकलने वाले धुएं के कारण भी प्रदूषण बढ़ रहा है।
किसानों का प्रदर्शन
पंजाब में किसान संगठनों ने सोमवार को प्रदर्शन कर पराली जलाने के आरोप में किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग की। किसानों ने कई स्थानों पर उपायुक्तों और उप-विभागीय मजिस्ट्रेट के कार्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किया और कहा कि केस वापस लिए जाएं।