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देहरादून: उत्तराखंड के 1357 गांवों में नियमित पुलिस व्यवस्था शुरू हो गई है। सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय से छह नए पुलिस थाने व 20 चौकियों का वर्चुअल उद्घाटन किया है। अब इन गांवों में राजस्व पुलिस की व्यवस्था समाप्त हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास व व्यवस्थाओं में परिवर्तन के साथ राज्य के जिन क्षेत्रों में राजस्व पुलिस की जगह पर नियमित पुलिस की आवश्यकता हो रही है, उनमें चरणबद्ध तरीके से नियमित पुलिस की व्यवस्था की जा रही है। पुलिस व्यवस्था राज्य की कानून व्यवस्था का दर्पण होती है। सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था को बनाने की पुलिस की बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि व्यवस्थाओं को सुधारने की हमेशा गुंजाइश होती, इस दिशा में उत्तराखंड पुलिस को निरंतर कार्य करना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस की यह भी बड़ी जिम्मेदारी है कि समाज के अच्छे लोगों का उन पर विश्वास बढ़े और आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों को पुलिस का डर भी हो। पुलिस अधिकारियों को अपने नियमित कार्यों के अलावा जनहित से जुड़े विषयों पर लगातार कार्य करना होगा। 2025 तक उत्तराखंड को नशा मुक्त राज्य बनाने, स्वच्छता अभियान, सामाजिक सरोकारों के अन्य कार्यों में भी पुलिस को लगातार कार्य करना होगा। इस मौके विधायक शैलारानी रावत, रेनू बिष्ट, सुरेश सिंह चौहान, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार शामिल थे।
ये क्षेत्र हैं शामिल
छह पुलिस थानों के तहत 661 गांव और 20 चौकियों में 696 गांव शामिल हैं। ये क्षेत्र पहले राजस्व पुलिस के अधीन थे। अब इनमें नियमित पुलिस की व्यवस्था शुरू गई है। नये पुलिस थानों के अधीन पौड़ी में थाना यमकेश्वर, टिहरी में थाना छाम, चमोली में थाना घाट, नैनीताल में थाना खनस्यूॅ एवं अल्मोड़ा में थाना देघाट एवं धौलछीना शामिल हैं। 20 नई चौकियों में देहरादून के लाखामंडल, पौड़ी में बीरोंखाल, टिहरी में गजा, कांडीखाल एवं चमियाला, चमोली में नौटी, नारायणबगड़ व उर्गम, रूद्रप्रयाग में चोपता, दुर्गाधार, उत्तरकाशी में सांकरी एवं धौंतरी, नैनीताल में औखलकांडा, धानाचूली, हेड़ाखाल, धारी, अल्मोड़ा में मजखाली, जागेश्वर , भौनखाल और चंपावत में बाराकोट शामिल हैं।