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नई दिल्ली। इस महिला का कहना है कि वो अपनी मां की मौत के बाद से काफी दुखी थी. जीवन में आगे नहीं बढ़ पा रही थी. लेकिन उसने मां की मौत के कई साल बाद उनसे बात की है. उसने बताया कि ऐसा कैसे संभव हुआ है. जर्मनी के बर्लिन की रहने वाली सिरीन मालास ने अपनी मां को साल 2018 में किडनी फेल होने के कारण खो दिया था. वो 82 साल की थीं. अपनी मां की मौत से थोड़ा वक्त पहले ही उन्होंने अपनी पहली संतान को जन्म दिया था. फिर मां को खोने का सदमा उनसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. सिरीन शोक में रहने लगीं. फिर उन्होंने अपने गम से निकलने का जरिया तलाश लिया.
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके लिए उन्होंने AI (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) का रुख किया. उन्होंने अपनी मां की मौत के कई साल बाद उनसे बात की. वो चाहती थीं कि उनकी मां अपनी नातिन से मिलें. सिरीन के लिए ये सब इसलिए भी मुश्किल था क्योंकि वो सीरिया छोड़कर जर्मनी रहने आ गई थीं. 2015 में ही अपनी मां से बिछड़ गई थीं.
वो कहती हैं, ‘जब आप कमजोर होते हैं, तो आप सबकुछ स्वीकार कर लेते हैं.’ सिरीन ने अपनी शोक प्रक्रिया में मदद के लिए प्रोजेक्ट दिसंबर नाम के एक AI टूल का सहारा लिया. जो मृतकों का AI रूप बनाता है. इसके लिए यूजर्स को मृतक से जुड़ी जानकारी देनी होती है, जैसे उसकी उम्र, उससे रिश्ता क्या है. ये सब जानकारी एक फॉर्म में भरनी होती है.
OpenAI के GPT2 द्वारा संचालित AI चैटबॉट, मृत व्यक्ति के बारे में दी गई जानकारी के आधार पर एक प्रोफाइल बनाता है. यूजर्स AI चैटबॉट के साथ बातचीत कर सकते हैं. ऐप के संस्थापक, जेसन रोहरर के अनुसार, ऐप के 3,000 से अधिक यूजर्स हैं, जिनमें से अधिकांश ने इसका उपयोग किसी खोए हुए अपने से बात करने के लिए किया है.