हिमाचल में कोरोना फिर बरपाने लगा कहर, पांच महीने बाद एक ही दिन में 10 की मौत

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शिमला। प्रदेश में कोरोना एक बार फिर कहर बरपाने लगा है। करीब पांच महीने बाद गुरुवार को एक ही दिन कोरोना से 10 लोगों की मौत हो गई है। इससे स्वास्थ्य विभाग के हाथ-पांव फूल गए हैं। सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट कर सैंपलों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। गुरुवार को 21 छात्र-छात्रओं समेत प्रदेश भर में 138 नए कोरोना पॉजिटिव मरीज भी सामने आए हैं।

ऊना में एक ही स्कूल के 5 छात्र-छात्राओं सहित 9, कांगड़ा में 7, मंडी में 4 और हमीरपुर में एक विद्यार्थी संक्रमित हुए हैं। गुरुवार को ऊना में कोरोना से 60, 55 और 60 वर्षीय व्यक्ति ने दम तोड़ दिया। कांगड़ा में 74, 101 वर्षीय महिला, हमीरपुर में 90 वर्षीय महिला, मंडी में 38 वर्षीय महिला और 77 वर्षीय बुजुर्ग, शिमला में 68 वर्षीय व्यक्ति और 95 वर्षीय महिला की मौत हुई है। प्रदेश में कोरोना से मौत का आंकड़ा अब 3783 पहुंच गया है।

मरने वालों में 38 साल व इससे ज्यादा उम्र के लोग हैं। इससे पहले एक ही दिन में 16 जून को 10 लोगों की मौत हुई थी। प्रदेश में अब 1128 एक्टिव मामले हैं। सरकार ने घरों में आइसोलेट लोगों से अपील की है कि तबीयत ज्यादा खराब होने पर अस्पताल आएं। गुरुवार को 8392 लोगों की सैंपलिंग हुई है।

बीते 11 दिनों में प्रदेश भर में 45 मौतें हो चुकी हैं। सबसे ज्यादा मौतें जिला कांगड़ा में हुई हैं। यहां मौत का आंकड़ा 23 है। यहां पर रोजाना दो से तीन लोग दम तोड़ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग का तर्क है कि जिन लोगों की मौत हो रही है, वह शुगर, दमा, हार्ट जैसी बीमारियों से भी ग्रसित हैं। प्रदेश में अभी कोविड की दूसरी लहर जारी है। लोगों की लापरवाही के चलते संक्रमण फिर से फैल रहा है।

सरकारी स्कूलों में 65% छात्र और छात्राओं ने लगाईं नियमित कक्षाएं
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में गुरुवार को छठी से बारहवीं कक्षा के 65 फीसदी विद्यार्थियों ने उपस्थिति दर्ज करवाई। छठी कक्षा में 56.77 फीसदी, सातवीं में 56, आठवीं में 65.60, नवीं में 70, दसवीं में 70, ग्यारहवीं में 67 और बारहवीं कक्षा में 69 फीसदी विद्यार्थियों ने वीरवार को स्कूलों में आकर नियमित कक्षाएं लगाईं। तीसरी से पांचवीं कक्षा के विद्यार्थियों की हाजिरी दूसरे दिन भी करीब पचास फीसदी ही रही। स्कूलों में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए तय किए गए मानकों के आधार पर कक्षाएं लगाई गईं। थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही शिक्षकों और विद्यार्थियों को स्कूल परिसर में प्रवेश दिया गया।