आस्था या अंधविश्वास, MP के शाजापुर में होली की अनोखी परंपरा, दहकते अंगारों पर चले लोग

Faith or superstition, unique tradition of Holi in MP's Shajapur, people walk on burning embers
Faith or superstition, unique tradition of Holi in MP's Shajapur, people walk on burning embers
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शाजापुर: देश में अलग-अलग हिस्सों में होली का त्योहार अलग-अलग मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार बनाया जाता है। कई जगह फूलों से तो कहीं पर रंग गुलाल लगाकर तो कही लट्ठ बरसातें हुए होली खेलते हैं। लेकिन मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में दहकते अंगारों पर चलकर होली खेलने की परंपरा बारे में जानकार हैरान रह जाएंगे। इस पर यकीन कर पाना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन लोग यंहा आग पर चलकर होली मनाते हैं। यह परंपरा हर साल उन लोगों द्वारा निभाई जाती है जिनकी मन्नत पूरी होती है।

मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में होली के पर्व पर एक अनोखी परंपरा का निर्वहन होता है। अब इसे आस्था कहें या अंधविश्वास, यहां गल महादेव मंदिर के बाहर कंडे से बने अंगारों पर ग्रामीण जन चलते हैं और अपनी मांगी हुई मन्नत को पूरी करते हैं। बताया जाता है कि इन अंगारों पर चलने पर ग्रामीण अपनी मन्नत मांगते हैं और पूरी होने पर अंगारों पर चलकर पूरी करते हैं हालांकि यह परंपरा कब शुरू हुई इस मामले में गांव के किसी व्यक्ति को नहीं मालूम है लेकिन यह परंपरा सालों से चली आ रही है।

जानकारी के अनुसार, शाजापुर जिले के ग्राम पोलाय खुर्द में गल महादेव मंदिर के बाहर बड़े ही अनूठे ओर अनोखी परंपरा का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। मंदिर के बाहर गोबर से बने कंडे से अंगारे बनाये जाते है। और उस दहकते अंगारों पर गांव के लोग, बच्चे, बूढे, महिला पुरुष नंगे पैर होकर गुजरते है। सबसे खास बात ये है कि ये कार्यक्रम साल में महज एक बार होली के दिन आयोजित होता है। धधकते अंगारों पर चलने की परंपरा कई पीढ़ियों से चली आ रही है। ऐसी ग्रामीणों की आस्था और मान्यता है कि यहां पर धड़कते हुए अंगारों पर चलने से गल महादेव भक्तों की इच्छा पूरी करते हैं।

गर्म अंगारों पर चलने से पैरों पर नही पड़ते छाले

ग्रामीणों का दावा है कि इतने गरम अंगारों पर चलने के बाद भी न तो उनके पैरों में छाले पड़ते हैं और न ही किसी तरह की तकलीफ होती है। ग्रामीणों ने बताया कि आयोजन शाम 9 बजे मंदिर प्रांगण में प्रारंभ होता है। जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। ग्रमीण बताते है कि गल महादेव मंदिर में विशेष पूजा अर्चना के बाद में पलास की लकडी में आग लगाकर के अंगारे बनाए जाते हैं इसके बाद जलते हुए अंगारों पर गल महादेव की पूजा अर्चना करने के पश्चात नंगे पैर अंगारों पर निकलने का सिलसिला शुरू होता है। गल महादेव महादेव के यहां पर जो भी भक्त मन्नत मांगता है। उस भक्तों की मन्नत बाबा एक वर्ष में पूरी करते हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह परंपरा उनके गांव में कब शुरू हुई, इस बात की कोई सटीक जानकारी तो उनके पास नहीं है।. लेकिन बुजुर्ग ग्रामीणों के अनुसार यह परंपरा कई साल से चली आ रही है।. इसलिए बुजुर्गों के कहने पर हर साल गांव में यह परंपरा होली पर निभाई जाती है।