उत्तराखंड में हाईकोर्ट के फर्जी आदेश बनाकर 7000 बीघा जमीन को कराया अपने नाम, पांच पर मुकदमा

In Uttarakhand, 7000 bighas of land got in its name by making fake orders of the High Court, sued five
In Uttarakhand, 7000 bighas of land got in its name by making fake orders of the High Court, sued five
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देहरादून: Uttarakhand News: अंगेलिया हाउसिंग से संबंधित हाईकोर्ट के तीन फर्जी आदेश बनाने के मामले में सीबीआइ ने पांच आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। वहीं, मुकदमे में हाईकोर्ट रजिस्ट्री विभाग के तीन अज्ञात कार्मिकों को भी आरोपित बनाया गया है। इन आदेश के माध्यम से देहरादून के आसपास करीब 7000 बीघा जमीन को कुछ जालसाजों ने अपने नाम करा लिया था। इस मामले में अंगेलिया हाउसिंग के डायरेक्टर की ओर से वर्ष 2013 में हाईकोर्ट नैनीताल को शिकायत की गई। इसमें हाईकोर्ट ने गत नवंबर को सीबीआइ जांच के आदेश दिए थे।

उच्च न्यायालय में 2004 में दायर किया गया था वाद
जानकारी के अनुसार, अंगेलिया हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड की 7000 बीघा जमीन से संबंधित उच्च न्यायालय में वर्ष 2004 में एक वाद दायर किया गया था। बाद में कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं हुआ। याचिका के विचाराधीन रहते हुए देहली कंपनी ला बोर्ड प्रिंसिपल बेंच दिल्ली हाईकोर्ट में भी अंगेलिया हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड की याचिका विचाराधीन थी।

इसी बीच एक पक्षकार मौसमी भट्टाचार्य निवासी विद्युत निकुंज, पटपड़गंज, दिल्ली ने अपने कुछ साथियों के साथ खुद को फायदा पहुंचाने के लिए उच्च न्यायालय के तीन फर्जी आदेश बनाकर कोर्ट में पेश किए थे। कुछ समय बाद सोसायटी के निदेशक संतोष कुमार बंगला को इसका पता चल गया।

इसकी शिकायत उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल से की गई। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले की जांच कराकर एफआइआर दर्ज करने के आदेश रजिस्ट्रार जनरल को दिए थे। रजिस्ट्रार जनरल ने वर्ष 2013 में ही इस मामले में नैनीताल के मल्लीताल थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।

बाद में यह मुकदमा दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया। जब तक हाईकोर्ट की अगली कार्रवाई होती तब तक दिल्ली पुलिस इसमें अंतिम रिपोर्ट लगा चुकी थी। अंतिम रिपोर्ट लग जाने के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले की क्रिमिनल रिट याचिका के रूप में सुनवाई की।

निदेशक ने सीबीआइ जांच के लिए लिखा प्रार्थनापत्र
इसी बीच कंपनी के निदेशक ने अदालत में प्रार्थना पत्र देकर कहा था कि इस मामले की सीबीआइ जांच करवाई जाए। पूर्व में कोर्ट ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को आदेश दिए थे कि इस मामले की जांच इन हाउस करें।

जांच करने पर कोर्ट का कोई आदेश उच्च न्यायालय की फाइल में नहीं पाया गया, जिसकी रिपोर्ट रजिस्ट्रार जनरल ने सील बंद लिफाफे में कोर्ट में पेश की। तब पता चला कि ये तीनों आदेश फर्जीवाड़ा कर बनाए गए हैं। इसमें प्रथमदृष्टया हाईकोर्ट की रजिस्ट्री विभाग के कुछ अधिकारियों का हाथ माना गया।

14 नवंबर को दिए थे सीबीआइ जांच के आदेश
हाईकोर्ट ने गत 14 नवंबर को सीबीआइ जांच के आदेश दिए। इस मामले में सीबीआइ ने नवंबर से अब तक जांच की और शुक्रवार को मौसमी भट्टाचार्य, धरमपाल यादव, कलिराम यादव, नरेश कुमार निवासी शास्त्री नगर, मेरठ और अवधेश कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। इसमें रजिस्ट्री विभाग के अधिकारियों के नाम अज्ञात हैं।