- बिहार में शादी के लिए सज रहा था दूल्हा कि पहुंच गई पुलिस; फिर हुआ असली खेल का खुलासा…. - April 29, 2024
- मध्य प्रदेश में खिड़की पर बैठी थी बिहार की महिला, पति से बोली-कुछ ठीक नहीं लग रहा, कुछ देर बाद मच गया हड़कंप - April 29, 2024
- बिहार में 9 सीटों पर लड़ेगी AIMIM, लिस्ट में मुजफ्फरपुर-जहानाबाद समेत ये बड़े नाम - April 29, 2024
चंडीगढ़। बाजरे के सबसे बड़े उत्पादक राज्य राजस्थान में भले ही इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य तय नहीं है, लेकिन हरियाणा सरकार ने 2350 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर बाजरे की खरीद करने का निर्णय लिया है। केंद्र सरकार ने बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य यही तय किया है।
हरियाणा में यदि 2350 रुपये क्विंटल से कम पर बाजरे की बिक्री होती है तो सरकार भावांतर भरपाई योजना के तहत 450 रुपये प्रति क्विंटल की दर से किसानों को प्रदान करेगी। न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार के दाम के बीच के अंतर को कम करने के लिए प्रदेश सरकार ने यह फैसला किया है। हरियाणा सचिवालय की आठवीं मंजिल पर नवनिर्मित मीडिया सेंटर का लोकार्पण करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि राज्य की मंडियों में धान व बाजरे समेत अन्य फसलों की खरीद सुचारू चल रही है।
सीएम ने कहा कि छह से 10 अक्टूबर तक बारिश की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन 11 अक्टूबर को भी राज्य के कई जिलों में बरसात हुई। बारिश की संभावना से पहले ही किसान अपनी फसल काटकर मंडियों में ले जाते हैं। शुरू में फसलों की खरीद से लेकर उठान तक कुछ परेशानी आई, लेकिन अब इन दिक्कतों को दूर कर लिया गया है और राज्य की मंडियों में फसलों का उठान भी सुचारू हो गया है।
हरियाणा में खरीफ सीजन की फसलों की खरीद पहली अक्टूबर से आरंभ हो चुकी है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी पीडीएस के तहत दिए जाने वाले बाजरा के लिए सरकार 1.60 लाख टन की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद करेगी। बाकी बाजरा किसानों को मंडियों में बेचना पड़ सकता है। हैफेड की ओर से इस बाजरे की खरीद की जाएगी। पिछले साल भी प्रदेश सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर बिकने वाले बाजरे के रेट की भरपाई की थी। दक्षिण हरियाणा में बाजरे का उत्पादन काफी अधिक होता है।
केंद्र सरकार ने अगले साल यानी 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के तौर पर मनाने का निर्णय लिया है, इसलिए सरकार इसे आम लोगों के खानपान का हिस्सा बनाना चाहती है. लेकिन कई मौके ऐसे आते हैं, जबक मार्केट में बाजरे का रेट एमएसपी से कम मिलता है, जिसका तोड़ सरकार ने भावांतर भरपाई योजना लागू कर निकाल दिया है। केंद्र सरकार का मानना है कि बाजरे की फसल की उत्पादन लागत प्रति क्विंटल 1268 रुपये पड़ती है। खुले बाजार में बाजरा पिछले साल 1300 से 1800 रुपये क्विंटल तक बिका था, जिसकी भरपाई सरकार ने की थी। मार्केट में रेट कम होने की वजह से सरकार पर पूरा बाजरा एमएसपी पर खरीदने का दबाव रहता है, इसलिए हरियाणा सरकार बाजरे की खेती को हतोत्साहित कर रही है।
हैफेड ने हाल में ही बाजरे से बनने वाले उत्पाद भी लांच किए हैं, ताकि इस बाजरे की खपत हो सके। बाजरे के स्थान पर तिलहन और दलहन की खेती करने पर किसानों को प्रति एकड़ चार हजार रुपये की मदद देने का प्रविधान किया गया है। हरियाणा में चरखी दादरी, भिवानी, रेवाड़ी, झज्जर, महेंद्रगढ़, नूंह और हिसार में बाजरे की खेती होती है।