अभी अभीः मोदी सरकार की एक ओर सर्जिकल स्ट्राइक, सुबह-सुबह कर दिया बडा ऐलान, 5 साल के लिए….

Right now: Surgical strike on one side of Modi government, made a big announcement in the morning, for 5 years....
Right now: Surgical strike on one side of Modi government, made a big announcement in the morning, for 5 years....
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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने गैर-कानूनी गतिविधियों में संलिप्त पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर पांच साल के लिए बैन लगा दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से जारी गजट नोटिफिकेशन में पीएफआई को गैर-कानूनी संस्था घोषित कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अब पीएफआई किसी प्रकार की गतिवधि को अंजाम नहीं दे सकता है। वह ना कोई कार्यक्रम आयोजित कर सकता है, न तो उसका कोई दफ्तर होगा, न वो कोई सदस्यता अभियान चला सकता है और न ही फंडिंग ले सकता है। केंद्र सरकार की यह कार्रवाई उसकी पिछले दिनों की सख्ती के मुताबिक ही है। अब तक के सबसे बड़े अभियान में पीएफआई के खिलाफ दो बार देशव्यापी छापेमारी हो चुकी है। इन छापेमारियों में संगठन के बड़े-बड़े नेता गिरफ्तार किए गए हैं। देश के 8 राज्यों में मंगलवार को भी पीएफआई के करीब 25 ठिकानों पर छापे पड़े थे और 170 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया था।

क्यों लगाया बैन, केंद्र सरकार की दलीलें जान लीजिए
➤ नोटिफिकेशन में कहा गया है कि पीएफआई ने समाज के विभिन्न वर्गों जैसे युवाओं, छात्रों, महिलाओं, इमामों, वकीलो या समाज के कमजोर वर्गों के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से अपने सहयोगी संगठनों या सम्बद्ध संस्थाओं या अग्रणी संगठनों की स्थापना की है। इसका एकमात्र उद्देश्य इसकी सदस्यता, प्रभाव और फंड जुटाने की क्षमता बढ़ाना है।

➤ पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या संबद्ध संस्ताएं या अग्रणी संगठन सार्वजनिक तौर पर एक सामाजिक-आर्थिक और राजनैतिक संगठन के रूप में कार्य करते हैं। हालांकि, ये गुप्त एजेंडे के तहत समाज के एक वर्ग विशेष को कट्टर बनाकर लोकतंत्र की अवधारणा को कमजोर करने की दिशा में कार्य करते हैं तथा देश के संवैधानिक प्राधिकार और संवैधानिक ढांचे के प्रति घोर अनादर दिखाते हैं।

➤ पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या संबद्ध संस्थाएं या अग्रणी संगठन गैर-कानूनी गतिविधियों में संलिप्त हैं जो देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के खिलाफ है। इससे शांति और सांप्रदायिक सद्भाव का माहौल खराब होने और देश में उग्रवाद को प्रोत्साहन मिलने की आशंका है।

➤ पीएफआई के संस्थापक सदस्य स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी (SIMI) के नेता रहे हैं और पीएफआई का संबंध जमात-उल-मुजाहिद्दीन यानी जेएमबी (JMB) से भी रहा है। ये दोनों संगठन प्रतिबंधित हैं।

➤ पीएफआई के वैश्विक आतंकवादी समहूों, जैसे इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया यानी आईसआईएस (ISIS) के साथ अंतरराष्ट्रीय संपर्क के कई उदाहरण हैं।

➤ पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या संबद्ध संस्थाएं या अग्रणी संगठन चोरी-छिपे देश में असुरक्षा की भावना को बढ़ावा देकर एक समुदाय के कट्टरपंथ को बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। इसकी पुष्टि इस तथ्य से होती है कि इसके कुछ सदस्य अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से जुड़ चुके हैं।

➤ केंद्रीय सरकार का यह मत है कि इन कारणों से विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम 1967 यानी UAPA, 1967 की धारा 3 की उप-धारा 1 के अधीन अपनी शक्तियों का प्रयोग करना आवश्यक है।

➤ आगे नोटिफिकेशन में कहा गया है कि अगर पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या संबंध संस्थाओं या अग्रणी संगठनों के गैर-कानूनी क्रियाकलापों पर तत्काल रोक या नियंत्रण न लगाया गया तो पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या संबंध संस्थाएं या अग्रणी संगठन विध्वंसात्मक गतिविधियों को जारी रखेंगे, आतंक आधारित रिग्रेसिव रिजीम को प्रोत्साहित करेंगे, एक वर्ग विशेष के लोगों में देश के प्रति असंतोष पैदा करेंगे और देश की अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों को और तेज करेंगे।