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शिमला। राजभवन शिमला में शनिवार को आयोजित समारोह में 71 वर्षीय शिव प्रताप शुक्ल ने हिमाचल प्रदेश के 29 वें राज्यपाल के रूप में शपथ ली। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना ने पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। शिव प्रताप शुक्ल ने संस्कृत में शपथ ली। शपथ से पहले परिवार के सदस्यों के साथ यज्ञ किया।
जनता से राज्यपाल ने किया वादा
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की खजनी तहसील के रुद्रपुर गांव के रहने वाले शिव प्रताप शुक्ल ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद पत्रकारों से कहा कि वह हिमाचल में अधिकांश यात्रा सड़क से करेंगे। दूर जाने पर ही हेलीकॉप्टर प्रयोग करेंगे। लोगों की समस्याएं हल करने का प्रयास होगा। पूर्व राज्यपालों की ओर से शुरू की गई योजनाओं को पूरा किया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से आग्रह किया जाएगा। मादक पदार्थों की रोकथाम के लिए काम किया जाएगा। जब वह राज्यसभा सदस्य थे तो पंजाब व हिमाचल के सांसद राज्यों में नशे की स्थिति पर चिंता जताते थे।
हिमाचल को होगा चौतरफा विकास
राज्यपाल ने कहा कि कौशल विकास सर्वाधिक प्राथमिकता में रहना चाहिए। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना से कोई भी व्यक्ति आर्थिक तौर पर संपन्न होगा और रोजगार देने की स्थिति में भी पहुंचेगा। हिमाचल शिक्षा के मामले में अग्रणी राज्य है। यदि कोई आवश्यकता रहेगी तो इस क्षेत्र में भी काम किया जाएगा। इस दौरान लेडी गवर्नर जानकी शुक्ल, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, मंत्री, विधायक, मुख्य संसदीय सचिव, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ल, सहप्रभारी तजिंदर सिंह बिट्टू, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह सहित गण्यमान्य उपस्थित थे।
सरकार के कार्यों में विरोधाभास की संभावना नहीं
शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि राज्यपाल का दायित्व है कि समय-समय पर सरकार को बुलाकर समस्याओं का समाधान करें। सरकार की ओर से किए जा रहे कार्यों में किसी प्रकार के विरोधाभास की संभावना नहीं है। मुझे देवभूमि में काफी कुछ सीखने को मिलेगा। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने शिमला के बदलते मौसम पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि गोरखपुर से शिमला के लिए चलने से पहले ठंड की स्थिति पर बात की गई तो बताया गया था कि गर्म कपड़े लेकर आएं। स्थिति यह है कि गोरखपुर और शिमला के मौसम में कोई विशेष अंतर नजर नहीं आ रहा है। ऐसा कम हिमपात होने के कारण हुआ है। ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जहां पेड़ न हों और वहां पौधारोपण पर ध्यान दिया जाएगा।