हरियाणा पंचायत चुनाव में नहीं होगा पिछड़ा वर्ग का आरक्षण, चुनाव आयोग ने लगाया ब्रेक

There will be no reservation of backward classes in Haryana Panchayat elections, the Election Commission put a break
There will be no reservation of backward classes in Haryana Panchayat elections, the Election Commission put a break
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चंडीगढ़: हरियाणा में शहरी निकाय चुनाव के बाद अब सरकार पंचायत चुनाव कराने को तैयार है। इसके लिए राज्य चुनाव आयोग को जरूरी तैयारियां करने का इशारा कर दिया गया है। राज्य में अगस्त में संभावित पंचायत चुनाव में पिछड़ा वर्ग (ए) के लिए आरक्षण का कोई प्रविधान नहीं रहेगा।

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उम्मीद की जा रही थी कि सरकार इन चुनाव में पिछड़ा वर्ग ए के लिए आरक्षण व्यवस्था जारी रखेगी। इसे लेकर पिछले दिनों ड्रा भी आयोजित किया जा चुका है, जिसे अब होल्ड पर रखने का अहम फैसला हुआ है। शहरी निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग ए के लिए आरक्षण का कोई प्रविधान नहीं किया गया था।

इसी तर्ज पर पंचायत चुनाव होंगे। शहरी निकायों की तरह जिला परिषदों, पंचायत समितियों व ग्राम पंचायतों के वार्डों में पिछड़ा वर्ग ए के लिए इस बार कोई भी वार्ड आरक्षित नहीं रहेगा। हालांकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने नगर निकायों में पिछड़ा वर्ग का आरक्षण रद करने के संबंध में पिछले दिनों आए उच्च न्यायालय के फैसले के बाद स्थिति साफ कर दी थी।

मुख्यमंत्री ने इस बात की सार्वजनिक घोषणा की थी कि न्यायालय के आदेश को देखते हुए सरकार इस बार पंचायती राज संस्थाओं में भी पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण निर्धारित नहीं कर पाएगी। इसके बावजूद जिला स्तर पर लिखित आदेश नहीं आने के कारण पंचायती राज चुनाव की प्रक्रिया निर्बाध रूप से जारी रही और इसी कड़ी में आरक्षण के ड्रा कर दिए गए थे।

शहरी निकायों में पिछड़ा वर्ग ए के लिए आरक्षण निर्धारित करने के बाद बावल के रामकिशन महलावत ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उच्च न्यायालय ने महलावत का यह तर्क मान लिया था कि जब तक पिछड़ा वर्ग की जनगणना का प्रमाण नहीं हो, तब तक आरक्षण देने का कोई आधार नहीं बनता।

अदालत के इसी फैसले का संदर्भ देते हुए मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों स्पष्ट कहा था कि प्रमाण देने में एक से दो वर्ष का समय लग जाएगा। हमारे लिए इतने लंबे समय तक चुनाव स्थगित रखना सही नहीं रहेगा, लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग से किसी तरह की गाइडलाइन नहीं पहुंचने के कारण जिला निर्वाचन अधिकारियों ने पिछड़ा वर्ग ए के लिए ड्रा करवा दिए थे। इससे हर जिले में असमंजस की स्थिति बनी हुई थी।

अधिकारियों का ड्रा करवाना मुख्यमंत्री की मौखिक घोषणा से एकदम विपरीत था। इसी असमंजस को दूर करने के लिए रेवाड़ी जिले के कुछ लोगों ने शुक्रवार को हरको बैंक के चेयरमैन अरविंद यादव से संपर्क किया। अरविंद यादव ने इस विषय को भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ व मुख्यमंत्री कार्यालय के समक्ष उठाया।

इसके बाद तत्काल ही संबंधित जिला विकास एवं पंचायत अधिकारियों के पास राज्य सरकार ने पिछले दिनों किए गए ड्रा के आरक्षण को होल्ड पर रखने व न्यायालय के आदेश के आधार पर नए आदेशों की प्रतीक्षा करने का संदेश पहुंचवा दिया है।

नगर परिषद और पालिकाओं के चुनाव में प्रधान पद को बीसी ए वर्ग के लिए आरक्षित करने को चुनौती देने वाली याचिका भी बावल निवासी रामकिशन ने हाईकोर्ट में दायर की थी। हरियाणा सरकार द्वारा नगर निकाय चुनाव में प्रधान पद को बीसी के आरक्षित करने का निर्णय लिया गया था।

इसका यह कहते हुए विरोध किया गया था कि यह आरक्षण सुप्रीम कोर्ट द्वारा मराठा आरक्षण मामले में दिए गए फैसले के खिलाफ है। इस दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पंचायत चुनाव जल्दी करवाए जाएंगे। सरकार ने राज्य चुनाव आयोग को चुनाव कराने के संबंध में औपचारिकता पूरी करने के लिए कह दिया है।

अब चुनाव कब करवाए जाने हैं, यह फैसला चुनाव आयोग को लेना है। उन्होंने भी चुनावी प्रक्रिया से जुड़ी औपचारिकताएं, वार्ड बंदी, मतदाता सूचियां अपडेट करने की प्रक्रिया पूरी करनी होती है। निकाय के साथ-साथ पंचायती चुनाव में ओबीसी रिजर्वेशन पर गणना आधारित डाटा न होने के कारण कोर्ट ने रोक लगा रखी है। हरियाणा सरकार अलग से कमीशन बैठाकर इकाई अनुसार ओबीसी का डाटा एकत्रित करेगी। तब तक चुनाव को टाला नहीं जा सकता।

” उच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार इस बार पंचायती राज संस्थाओं के वार्डों में पिछड़ा वर्ग ए के लिए आरक्षण नहीं रहेगा। इस बारे में जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। हमने संबंधित अधिकारियों को पहले किए गए ड्रा के आरक्षण के अनुसार शुरू की गई प्रक्रिया को रोकने के आदेश जारी कर दिए हैं। महिलाओं व अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षण का प्रतिशत पहले की तरह ही रहेगा।