बसपा समेत इन पार्टियों को नहीं मिला एक पैसा, इलेक्टोरल बॉन्ड पर नया डेटा आ गया सामने

These parties including BSP did not get a single penny, new data on electoral bonds has come out
These parties including BSP did not get a single penny, new data on electoral bonds has come out
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Election Commission Bond News: चुनाव आयोग ने कुछ घंटे पहले इलेक्टोरल बॉन्ड पर नया डेटा जारी किया है. यह जानकारी सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में सौंपी गई थी. बाद में शीर्ष अदालत ने इसे सार्वजनिक करने को कहा था. निर्वाचन आयोग ने अपनी वेबसाइट पर चुनावी बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से डिजिटल रूप में प्राप्त डेटा को अपलोड करते हुए कहा, ‘राजनीतिक दलों से प्राप्त डेटा को सीलबंद लिफाफे में खोले बिना सुप्रीम कोर्ट में जमा किया गया था.’

चुनावी बॉन्ड की दूसरी लिस्ट से पता चलता है कि किसी राजनीतिक दल को वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान कितना धन मिला था. रविवार को सार्वजनिक किए गए ECI डेटा की दलवार लिस्ट कुछ इस प्रकार से है.

– भाजपा ने कुल 6,986.5 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड भुनाए. इसमें से 2,555 करोड़ रुपये 2019-20 में प्राप्त हुए.

– तृणमूल कांग्रेस (TMC) को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 1,397 करोड़ रुपये मिले, जो भाजपा के बाद दूसरा सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता दल है.

– चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कांग्रेस ने कुल 1,334.35 करोड़ रुपये रिडीम किए.

– चुनावी बॉन्ड के माध्यम से चौथा सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता दल भारत राष्ट्र समिति (BRS) है. इसने 1,322 करोड़ रुपये के बॉन्ड को भुनाया है.

– द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 656.5 करोड़ रुपये मिले, जिसमें लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन की कंपनी फ्यूचर गेमिंग से 509 करोड़ रुपये शामिल हैं.

सपा को 14 करोड़

– सपा को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 14.05 करोड़, अकाली दल को 7.26 करोड़, AIADMK को 6.05 करोड़ और नेशनल कॉन्फ्रेंस को 50 लाख रुपये मिले.

– ओडिशा के प्रमुख दल बीजू जनता दल ने 944.5 करोड़ रुपये, युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआर कांग्रेस) ने 442.8 करोड़ रुपये, तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने 181.35 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड को भुनाया.

इन्हें एक पैसा नहीं

– बहुजन समाज पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), सीपीआई (एम) और ओवैसी की AIMIM की तरफ से दाखिल दस्तावेजों के मुताबिक चुनावी बॉन्ड के माध्यम से इन्हें एक पैसा नहीं मिला.

निर्वाचन आयोग की तरफ से मार्च 2018-अप्रैल 2019 की अवधि के लिए सार्वजनिक किए गए चुनावी बॉन्ड के डेटा में दानदाताओं के नाम शामिल नहीं हैं.