पूर्व भारतीय ऑलराउंडर युवराज सिंह का मानना है कि रोहित शर्मा को भारत का टेस्ट कप्तान बनाकर बीसीसीआई चयनकर्ताओं ने भावनात्मक निर्णय लिया। इस साल की शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत की 1-2 हार के बाद विराट कोहली ने पद से हटने का फैसला किया था जिसके बाद अनुभवी बल्लेबाज रोहित ने टीम की बागडोर संभाली। चूंकि रोहित के पास पहले से ही ODI और T20I टीम की बागडोर थी, इसलिए टेस्ट कप्तान के रूप में उनको लिया जाना तय था।
हालांकि, कई लोगों की राय थी कि बीसीसीआई को कुछ अन्य विकल्पों पर गौर करना चाहिए क्योंकि रोहित उस समय 34 वर्ष के थे और चोटों का उनका इतिहास रहा है। उनके हैमस्ट्रिंग ने उन्हें पिछले कुछ वर्षों में परेशान किया है।
मुंबई इंडियंस में अपने समय के दौरान रोहित के नेतृत्व में खेलने वाले युवराज ने हिटमैन की कप्तानी की तारीफ तो की लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि दाएं हाथ के बल्लेबाज को कुछ समय पहले सफेद गेंद का कप्तान बनाया जाना चाहिए था।
युवराज ने स्पोर्ट्स 18 पर बात करते हुए रोहित के बारे में कहा, “शानदार लीडर। जब मैं मुंबई इंडियंस के लिए खेल रहा था तो मैं उनके अंडर में खेला था। बहुत अच्छे सोचने वाले, बहुत अच्छे कप्तान हैं। रोहित को कम से कम सफेद गेंद वाले क्रिकेट में कुछ समय पहले कप्तान होना चाहिए था। लेकिन चूंकि विराट इतना अच्छा कर रहे थे और टीम भी अच्छा कर रही थी, यह आसान नहीं था।”
युवराज ने कहा, “मुझे लगा कि टेस्ट क्रिकेट में उन्हें कप्तान बनाना एक भावनात्मक फैसला था। आप फिटनेस के अधीन अपने टेस्ट कप्तान की घोषणा नहीं कर सकते। उन्हें काफी चोट लग रही है। वह उस उम्र में है जहां उन्हें अपने शरीर की देखभाल करनी चाहिए। ”
उन्होंने कहा, ‘इससे उन पर टेस्ट कप्तानी पर भी दबाव पड़ेगा। उन्हें टेस्ट क्रिकेट में पारी की शुरुआत किए अभी कुछ ही साल हुए हैं। वह अच्छा खेल रहे हैं। इस खिलाड़ी को टेस्ट क्रिकेट में अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान देने दीजिए। मुझे आशा है कि वह आनंद लेंगे, लेकिन 5 दिनों तक खड़े रहना आसान नहीं है।”