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शिमला: साल 2022 के अंत में अडाणी ग्रुप ने हिमाचल प्रदेश में अपने दो सीमेंट प्लांट को बंद करने का फैसला लिया। 15 दिसंबर, 2022 को लिए गए इस फैसले के चलते सूबे के करीब 20,000 परिवार के रोजगार पर संकट पड़ गया। अडाणी ने ये फैसला अधिक लागत का हवाला देते हुए लिया था। कइयों ने ये कयास लगाया कि अडाणी ने ये फैसला इसलिए लिया क्योंकि वो सूबे में बनी कांग्रेस की नई सरकार से नाराज हैं। लेकिन हाल ही में अडाणी ग्रुप ने दोनों सीमेंट प्लांट को वापस से शुरू करने के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं।
अडाणी ने रखी अपनी बात
बंद पड़े सीमेंट प्लांट को वापस शुरू करने के लिए अडाणी ग्रुप राज्य सरकार से बातचीत कर रही है। अडाणी ग्रुप ने कहा, ट्रक यूनियन को हर साल पचास हजार किलोमीटर की दूरी तय करने लिए तैयार होना होगा। साथ ही प्लांट में इस्तेमाल होने वाली 3311 ट्रकों की संख्या घटाकर 550 तक करनी होगी। साथ ही ट्रक यूनियन को भाड़े कम करने होंगे।
सीईओ ने लिखा पत्र
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 19 जनवरी को अडाणी सीमेंट के सीईओ ने राज्य के मुख्य सचिव और हिमाचल प्रदेश की स्थाई समिति के अध्यक्ष को पत्र लिखा है। सीईओ अजय कपूर ने लेटर में लिखा है, यह एक बहुत गंभीर स्थिति है। ट्रक यूनियन प्रभावी रूप से कंपनी पर नियंत्रण कर रही हैं। परिवहन और परिचालन संबंधी फैसले कंपनी के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। ट्रक यूनियनों द्वारा भाड़ा जानबूझकर ज्यादा रखा जा रहा है।
विवाद की मुख्य वजह
अडाणी ग्रुप ने दोनों सीमेंट प्लांट को अधिक लागत का हवाला देते हुए बंद किया था। अडाणी ग्रुप की मांग है कि ट्रक यूनियन मनमाने ढंग से पैसे ना लें। बता दें कि अडाणी ग्रुप की पेशकश थी कि ट्रकों को बतौर भाड़ा 6 रुपये प्रति टन प्रति किलोमीटर (PTPK) दिया जाएगा। लेकिन ट्रक यूनियन को ये नामंजूर था। यूनियन की मांग है कि उन्हें एसीएल के लिए 10.58 रुपए PTPK और एसीसी के लिए 11.41 रुपए PTPK दी जाए। एसीएल औ एसीसी दोनों सीमेंट प्लांट के नाम हैं।
हिमाचल सरकार और अडाणी ग्रुप क्या चाहते हैं?
बीते साल हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बनी। सुखविंदर सिंह सुक्खू को सूबे का सीएम बनाया गया। सीएम बनने के कुछ ही दिन बाद अडाणी ग्रुप ने अपने दो सीमेंट प्लांट को बंद करने का फैसला लिया। तभी से लेकर अब तक राज्य सरकार और अडाणी ग्रुप में बातचीत चल रहा है। बीत शुक्रवार राज्य सरकार और अडाणी ग्रुप में एक बैठक हुई। बैठक में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान शामिल थे। राज्य सरकार और अडाणी ग्रुप दोनों चाहते हैं कि सीमेंट प्लांट को फिर से शुरू किया जाए क्योंकि प्लांट बंद होने से करीब 20,000 परिवारों पर इसका प्रभाव पड़ा है।
अडाणी ग्रुप की मांग है कि ट्रक यूनियन को हर साल पचास हजार किलोमीटर की दूरी तय करने लिए तैयार होना होगा। साथ ही प्लांट में इस्तेमाल होने वाली 3311 ट्रकों की संख्या घटाकर 550 तक करनी होगी। और भाड़े को कम करना होगा। ट्रक यूनियन अडाणी के इस मांग को मानने के लिए अभी तैयार नहीं है। सुक्खू के लिए ये परीक्षा की घड़ी है। देखना दिलचस्प होगा कि क्या सीएम सुक्खू अडाणी ग्रुप और ट्रक यूनियन के बीच समझौता कराने में कामयाब हो पाते हैं।