- बिहार में भीषण गर्मी से राहत! कड़केगी बिजली-बरसेंगे बादल, IMD ने इन जिलों के लिए जारी किया अलर्ट - May 6, 2024
- ‘हमारा पुराना रिश्ता…’, CM नीतीश कुमार ने खुले मंच से की बाहुबली अनंत सिंह की तारीफ - May 6, 2024
- हरियाणा में रेलवे ट्रैक पर मिली प्रेमी जोड़े की लाश, दो दिन पहले हुए थे घर से लापता - May 6, 2024
शिमला: देश में जातिगत जनगणना पर छिड़ी बहस के बीच हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने बड़ा बयान दिया है। शुक्ल ने जातिगत जनगणना की आलोचना की है। उनका कहना है कि इस तरह के मुद्दे उठाकर कुछ लोग देश को तोड़ने में लगे हैं। हालांकि उन्होंने इस बयान के दौरान किसी भी राजनीतिक दल का जिक्र नहीं किया।
शिमला में एक पुस्तक के विमोचन के दौरान अपने संबोधन में राज्यपाल शुक्ल ने कहा कि दुनिया आज भारत की तरफ देख रही है, जबकि भारत कर कुछ लोग देश को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। जातिवाद को बढ़ावा देकर लोकतंत्र को सशक्त नहीं किया जा सकता है। समाजवादी चिंतक राम मनोहर लोहिया की पंक्तियों ‘दाम बांधो जाति तोड़ो’ का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने कहा कि समाज को जोड़ने की आवश्यकता है न कि जाति के आधार पर बांटने की। राज्यपाल का यह बयान उस समय आया है जब सीडब्लयूसी की बैठक में कांग्रेस शासित राज्यों में जातिगत मतगणना करवाने का प्रस्ताव पारित हुआ है। इस प्रस्ताव के बाद कांग्रेस शासित राज्य हिमाचल प्रदेश में भी जाति आधारित जनगणना होनी है।
गौरतलब हो, बीते दिनों बिहार में जातीय जनगणना के बाद कांग्रेस ने 5 राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर जातीय जनगणना का वादा किया है। राहुल गांधी ने भी इस बाबत बयान दिया है। राज्यपाल शुक्ल ने भले ही भाषण में किसी का नाम न लिया हो लेकिन उनका इशारा सूबे में सत्तासीन कांग्रेस की तरफ ही है।
जाति आधारित जनगणना को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कह चुके हैं कि हिमाचल में सभी को जातियों का पता है। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है, जो फॉर्मेलिटी है, वह कर रहे हैं. हिमाचल में तो वैसे भी सब लोगों को पता होता है। दूसरी ओर भाजपा के नेता जाति आधारित मतगणना का पुरजोर विरोध कर इसे लोगों विशेषकर हिन्दू समाज को बांटने की कवायद बता रही है।
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने बुधवार शाम राजभवन में शशांक मणि की पुस्तक ‘मिडिल ऑफ डायमंड इंडिया’ का विमोचन किया। लेडी गवर्नर जानकी शुक्ला भी इस अवसर पर उपस्थित रहीं। इस दौरान राज्यपाल ने शशांक मणि के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ‘मिडिल ऑफ डायमंड इंडिया’ पुस्तक के माध्यम से भारत के आर्थिक, सामाजिक और राजनीती के केंद्र को उच्च वर्ग से देश के उभरते हुए मध्यम वर्ग की तरफ ले जाने का एक साहसिक प्रयास किया है, वहीं दूसरी तरफ जातिगत जनगणना कर वोट के लिए कुछ लोग देश को तोड़ने में लगे हैं। राज्यपाल ने कहा कि यह पुस्तक हाशिए पर रहने वाले उन लोगों की अनसुनी कहानियों को उजागर करती है जिन्हें उनके स्थान और भाषा के कारण लंबे समय तक नजरअंदाज किया गया है।
शुक्ल ने कहा कि देश के प्रत्येक व्यक्ति को भारत को एकजुट करने के लिए काम करने की आवश्यकता है और शशांक मणि द्वारा संचालित जागृति यात्रा यही काम कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत का अतीत गौरवशाली है और हमारी आध्यात्मिकता ने किसी न किसी रूप में समाज को एकजुट किया है। उन्होंने कहा कि हमारे ग्रामीण परिवेश में सामाजिक समरसता की मिसाल स्पष्ट रुप से दिखाई देती है। हर वर्ग के लोग एक साथ रहते हैं और यही भारत की ताकत है। यदि हम भारत को समझना चाहते हैं तो हमें राम को समझना होगा, क्योंकि भगवान राम ने समाज के हर वर्ग को साथ लेकर आध्यात्मिकता का मार्ग प्रशस्त किया।
उन्होंने कहा कि यह पुस्तक देश के विकास में मध्यम वर्ग के योगदान और उनकी ताकत की भूमिका पर भी प्रकाश डालती है साथ ही यह भारत के प्रति एक नई सोच को भी प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक भारत के इतिहास के बारे में भी गहराई से इंगित करती है जो उद्यमिता पर आधारित था और उस काल में देश की अर्थव्यवस्था कितनी मजबूत थी। उन्होंने कहा कि उद्यमिता की मदद से हम मध्यम वर्ग को आगे ले जा सकते हैं और विकसित भारत के सपनों को पूरा कर सकते हैं।