राजस्थान में राजा जैसा जीवन जीते है विधायक, एक बार बन जाइये बस, फिर मौज ही मौज

Legislators live life like a king in Rajasthan, just become once, then have fun
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जयपुर. पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार की ओर से लिए गए निर्णय के बाद राजस्थान में भी विधायकों की पेंशन (Former MLA’s pension) को लेकर सवाल उठ रहे हैं. पंजाब सरकार ने फैसला किया कि भले वयक्ति कितनी ही बार विधायक रहा हो लेकिन अब पेंशन उसे एक बार की ही मिलेगी. यह मसला केवल पंजाब तक सीमित नहीं है. राजस्थान समेत दूसरे राज्यों में भी कुछ इसी तरह सरकारी खजाना खाली हो रहा है. सेना या दूसरी सरकारी नौकरियों में भी 15 साल की सर्विस के बाद पेंशन की पात्रता होती है. लेकिन राजस्थान में यदि एक बार भी विधायक बने तो भविष्य पूरी तरह सुरक्षित हो जाता है.

केवल एक बार विधायक रहने से ही व्यक्ति को ताउम्र पेंशन मिलने का रास्ता साफ हो जाता है. पेंशन भी पूरे 35 हजार रुपये मिलती है. नौ बार विधायक रहीं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह भी इसे गलत बताती हैं. सुमित्रा सिंह का कहना है कि विधायक को पेंशन की पात्रता के लिए कम से कम तीन बार जीतकर विधानसभा पहुंचने की शर्त रखनी चाहिए. कई बार तात्कालिक वजहों से भी कोई व्यक्ति चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच जाता है. लेकिन उसके जनाधार और योग्यता का पैमाना तब पता चलता है जब जनता उसे बार-बार चुनकर भेजती है.

अभी मिलती है इतनी पेंशन

हालांकि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह सबको बराबर पेंशन के पंजाब सरकार को फैसले को भी गलत बता रही हैं. उनका कहना है कि एक बार जीते और पांच बार जीते विधायक में कुछ फर्क तो होना ही चाहिए. राजस्थान में पूर्व विधायक को पेंशन के प्रावधानों की अगर बात करें तो 5 वर्ष तक विधायक रहने पर 35 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन का प्रावधान है. उसके बाद प्रत्येक वर्ष के लिए 1600 रुपये की अतिरिक्त पेंशन मिलती है.

विधायक की उम्र बढ़ने के साथ बढ़ती जाती है पेंशन राशि

पूर्व विधायक की उम्र यदि 70 वर्ष हो गई तो पेंशन में 20 प्रतिशत अतिरिक्त बढ़ोतरी होती है. 80 वर्ष की उम्र होने पर 30 प्रतिशत अतिरिक्त बढ़ोतरी होती है. यदि विधानसभा का विघटन 5 वर्ष से पहले होता है तो उसे भी 5 वर्ष की अवधि मान पेंशन मिलती है. पूर्व विधायक के निधन के बाद उसकी पत्नी या पति को 17500 रुपये पेंशन मिलती है.

सांसद को 25 हजार और विधायक को 35 हजार!

एक बार सांसद रहे व्यक्ति को 25 हजार रुपये पेंशन मिलती है जबकि राजस्थान में एक बार विधायक रहे व्यक्ति को 35 हजार रुपये पेंशन मिलती है. विधायक रहते हुए विधानसभा सदस्य को अभी 40 हजार रुपये वेतन, 70 हजार रुपए निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और 50 हजार रुपये मकान किराया भत्ता समेत कई तरह के भत्ते और अन्य सुविधाएं मिलती हैं. जब विधायक नहीं रहते तो अच्छी पेंशन मिलती है. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भंडारी पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के फैसले को साहसिक बताते हुए कहते हैं कि दूसरे प्रदेशों में भी इस तरह की व्यवस्था होनी चाहिए.

राजस्थान में अभी 570 पूर्व विधायक हैं

जनप्रतिनिधियों द्वारा सरकारी कर्मचारियों जैसी सुविधा लेना या उसकी मांग करना अनुचित है. लोग जनप्रतिनिधियों को इसलिए चुनते हैं ताकि वे लोगों के लिए काम करें. लेकिन वो तो उन पर भार बढ़ा रहे हैं. भंडारी के मुताबिक प्रदेश में अभी 570 पूर्व विधायक हैं जिन्हें पेंशन मिल रही है. वहीं 218 दिवंगत पूर्व विधायकों की पत्नियों को भी पेंशन मिल रही है. इस पर करीब 35 करोड़ रुपये खर्चा आ रहा है. यह राशि जनकल्याणकारी योजनाओं पर खर्च की जा सकती है.