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भिंड. मध्य प्रदेश के भिंड जिले में एक ऐसा गांव है जहां कभी दूध नहीं बेचा जाता. ग्रामीणों का मानना है कि यदि दूध बेचा गया, तो कुछ न कुछ अनिष्ट झेलना पड़ता है. इस वजह से लोग दूध बेचने से भी डरते हैं. हालांकि ग्रामीणों अपनी कमाई के लिए दूध की जगह घी बेचते हैं. दरअसल भिंड जिले के अटेर विधानसभा क्षेत्र के कमई का पुरा गांव की आबादी दो हजार के आसपास है. यादव जाति बाहुल्य इस गांव में कभी दूध नहीं बेचा जाता.
ग्रामीणों के मुताबिक, दूध बेचने पर गांव के देवता हरसुख बाबा सजा देते हैं. इस वजह से ग्रमीणों ने दूध बेचने से पहरेज कर रखा है. हालांकि गांव के लोग दूध की जगह देशी घी और मक्खन बनाकर बेचते हैं. ग्रामीण आनन्द यादव बताते हैं कि गांव में जिसने बाबा की बात नहीं मानी, उसकी भैंस दूध देना बंद कर देती है या फिर उसके थनों से खून आने लगता है. इसकी वजह से लोग दूध नहीं बेचते, लेकिन घर चलाने के लिए देशी घी बेचते हैं. साथ ही कहा कि घी बचने से कभी किसी के पशु को कोई परेशानी नहीं होती है.
हर घर में मिलेगा घी
कमई का पुरा गांव में आपको हर घर में 50-50 किलो तक देशी घी मिल जाएगा. वहीं, हरसुख बाबा के प्रति समर्पित होने के कारण गांव वाले दूध और घी में किसी भी तरह की कोई मिलावट नहीं करते हैं. जबकि यहां के घी की शुद्धता को देखते हुए दूर दूर से लोग घी और मक्खन लेने गांव में आते हैं. मजेदार बात यह है कि घी और मक्खन लेने आने वाले लोगों को मठ्ठा मुफ्त में दिया जाता है.
गांव में बना हरसुख बाबा का विशाल मंदिर
कमई गांव में हरसुख बाबा का बड़ा मंदिर बना है. ग्रामीणों बताते हैं कि भैंस का दूध या मट्ठा तब तक किसी को नहीं देते जब तक बाबा की एक महीने तक पूजा न हो जाए. ग्रामीणों के मुताबिक, बाबा ने समाधि लेने से पहले कहा था कि कभी दूध नहीं बेचना, खुद पियो और जरूरतमंदों को पिलाओ. उनकी समाधि के बाद से गांव में दूध बेचना प्रतिबंधित है.